नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध को लेकर 12 अक्टूबर को कोर कमांडर स्तर की बातचीत शुरू होगी. भारतीय सेना के सूत्र के मुताबिक दोनों पक्षों ने कोर कमांडर स्तरीय वार्ता के अब तक छह दौर आयोजित किए हैं.
बेनतीजा रहीं अब तक हुईं छह बैठकें
छह जून, 22 जून, 30 जून, 14 जुलाई, दो अगस्त और 21 सितंबर को कोर कमांडर स्तर पर हुईं छह बैठकें अब तक बेनतीजा रही हैं. इसी बीच 1959 में तत्कालीन चीनी पीएम चाउ एन लाई द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को लिखे पत्र का हवाला देते हुए चीन उसके अनुसार विवाद सुलझाने की मांग कर रहा है. मंगलवार को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने 1959 के प्रस्ताव को प्रधानता दी. चीनी प्रवक्ता ने कहा कि चीन लद्दाख को भारत के केंद्र शासित क्षेत्र के रूप में मान्यता नहीं देता है. साथ ही वहां भारत के सैन्य बुनियादी ढांचा निर्माण पर भी आपत्ति जताई.
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टकराव बढ़ाने का यह स्पष्ट प्रयास
चीन का टकराव बढ़ाने का यह स्पष्ट प्रयास दिखता है. वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 1,00,000 से अधिक सैनिक तैनात हैं. टकराव को दूर करने के लिए सैन्य बातचीत के अलावा संबंधित रक्षा मंत्रियों, विदेश मंत्रियों और विशेष प्रतिनिधियों के बीच बैठकों की झड़ी लग गई है, मगर बात नहीं बनी. भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य प्रणाली की बैठक 30 सितंबर को 19वीं बार हुई और एलएसी के वर्तमान स्थिति की समीक्षा की.
हिंसक झड़प के बाद तनाव
मई में टकराव के बाद दोनों देशों की सेनाओं ने अपने हजारों सैनिक एलएसी पर तैनात कर दिए हैं. 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद लद्दाख में स्थिति काफी बिगड़ गई.
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स्थिति तब और बिगड़ गई, जब चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (चीनी सेना) ने बीते तीन हफ्तों में पैंगोंग झील के दक्षिणी और उत्तरी तट पर भारतीय सैनिकों को धमकाने की कम से कम तीन बार कोशिश की है. यहां तक कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 45 साल में पहली बार हवा में गोलियां चलाई गई हैं.