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विशेष : रूस में मिलेंगे भारत-चीन के रक्षामंत्री, बातचीत की संभावना

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और हिंसक झड़प के बाद चरम पर है. दोनों देशों ने वार्ता के जरिए मामले को सुलझाने की बात कही है. इसी बीच खबर है कि भारतीय और चीनी रक्षा मंत्री के मॉस्को में होने वाली विजय परेड के दौरान बैठक करने की संभावना है. पढ़ें विशेष रिपोर्ट...

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भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
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Published : Jun 21, 2020, 7:50 PM IST

Updated : Jun 21, 2020, 11:00 PM IST

नई दिल्ली : 15 जून की रात को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसके बाद भारत और चीन के संबंध हालिया समय में सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं. हालांकि इसके बीच बुधवार (24 जून) को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगहे के बीच मॉस्को में बातचीत की संभावना है. जानकारी के मुताबिक, रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु के साथ ऐतिहासिक मास्को के रेड स्क्वायर में विजय परेड के दौरान दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच बैठक होने की संभावना है.

एक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया, 'भारत, चीन और रूस के रक्षा मंत्रियों को परेड के दौरान एक ही टेबल पर बैठाया जाएगा. यह शायद इसलिए व्यवस्थित किया जा रहा है ताकि भारत और चीनी रक्षा मंत्री एक दूसरे से बात कर सकें. उसके लिए बहुत अवसर मिलेंगे.'

हालांकि दोनों एशियाई रक्षा मंत्रियों के बीच-वन-टू-वन बैठक करने की पुष्टि नहीं हुई है.

दिलचस्प बात यह है कि रूस-भारत-चीन (आरआईसी) त्रिपक्षीय आभासी सम्मेलन में मंगलवार (23 जून) को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के वांग यी की मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच मंत्री स्तरीय बातचीत दो दिनों में दूसरी बार होगी. तीसरे प्रतिभागी रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव होंगे.

इन घटनाओं में प्रमुख महत्व यह है कि रूस संभवत: एक मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है क्योंकि यह भारत और चीन दोनों के करीब माना जाता है. इससे विशेष रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दो एशियाई देशों के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश का भाव कम देना है. हालांकि दोनों पड़ोसियों द्वारा प्रस्ताव ठुकरा दिया गया था.

इस तथ्य को स्वीकार्यता बढ़ने लगी है कि भारत और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद का कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता है, राजनयिक और राजनीतिक कदम ही रास्ता है.

रूस की विजय परेड को शुरू में 9 मई को तय किया गया था, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया.

हर साल मॉस्को में आयोजित होने वाला विजय परेड दूसरे विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर मित्र देशों की शक्तियों की जीत की 75वीं वर्षगांठ मनाया जाता है.

उल्लेखनीय है कि यह रूस और अन्य मित्र देशों के लोगों द्वारा किए गए वीरता और बलिदान का सम्मान करने के लिए इसे आयोजित किया जाता है. बुधवार के कार्यक्रम में भारत और चीन सहित लगभग 13 अन्य देशों की सैन्य टुकड़ी इसमें शामिल होंगी. भारत ने IAF C-17 ग्लोबमास्टर विमान में 75 सदस्यीय दल भेजा है, जबकि चीनी दल में 105 सदस्य होंगे, जोकि पहले ही एक चीनी Y-20 भारी परिवहन सैन्य विमान में मास्को पहुंच चुके है.

नई दिल्ली : 15 जून की रात को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसके बाद भारत और चीन के संबंध हालिया समय में सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं. हालांकि इसके बीच बुधवार (24 जून) को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगहे के बीच मॉस्को में बातचीत की संभावना है. जानकारी के मुताबिक, रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु के साथ ऐतिहासिक मास्को के रेड स्क्वायर में विजय परेड के दौरान दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच बैठक होने की संभावना है.

एक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया, 'भारत, चीन और रूस के रक्षा मंत्रियों को परेड के दौरान एक ही टेबल पर बैठाया जाएगा. यह शायद इसलिए व्यवस्थित किया जा रहा है ताकि भारत और चीनी रक्षा मंत्री एक दूसरे से बात कर सकें. उसके लिए बहुत अवसर मिलेंगे.'

हालांकि दोनों एशियाई रक्षा मंत्रियों के बीच-वन-टू-वन बैठक करने की पुष्टि नहीं हुई है.

दिलचस्प बात यह है कि रूस-भारत-चीन (आरआईसी) त्रिपक्षीय आभासी सम्मेलन में मंगलवार (23 जून) को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के वांग यी की मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच मंत्री स्तरीय बातचीत दो दिनों में दूसरी बार होगी. तीसरे प्रतिभागी रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव होंगे.

इन घटनाओं में प्रमुख महत्व यह है कि रूस संभवत: एक मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है क्योंकि यह भारत और चीन दोनों के करीब माना जाता है. इससे विशेष रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दो एशियाई देशों के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश का भाव कम देना है. हालांकि दोनों पड़ोसियों द्वारा प्रस्ताव ठुकरा दिया गया था.

इस तथ्य को स्वीकार्यता बढ़ने लगी है कि भारत और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद का कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता है, राजनयिक और राजनीतिक कदम ही रास्ता है.

रूस की विजय परेड को शुरू में 9 मई को तय किया गया था, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया.

हर साल मॉस्को में आयोजित होने वाला विजय परेड दूसरे विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर मित्र देशों की शक्तियों की जीत की 75वीं वर्षगांठ मनाया जाता है.

उल्लेखनीय है कि यह रूस और अन्य मित्र देशों के लोगों द्वारा किए गए वीरता और बलिदान का सम्मान करने के लिए इसे आयोजित किया जाता है. बुधवार के कार्यक्रम में भारत और चीन सहित लगभग 13 अन्य देशों की सैन्य टुकड़ी इसमें शामिल होंगी. भारत ने IAF C-17 ग्लोबमास्टर विमान में 75 सदस्यीय दल भेजा है, जबकि चीनी दल में 105 सदस्य होंगे, जोकि पहले ही एक चीनी Y-20 भारी परिवहन सैन्य विमान में मास्को पहुंच चुके है.

Last Updated : Jun 21, 2020, 11:00 PM IST
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