ETV Bharat / bharat

चीन की आक्रामकता के बाद बड़ी भूमिका में आया भारत, बनाए नए समीकरण

चीन की आक्रामकता के बाद भारत बड़ी भूमिका में आ चुका है. दुनिया भर के देशों के साथ नए समीकरण बना रहा है. पढ़ें रिपोर्ट.

modi
मोदी
author img

By

Published : Dec 27, 2020, 9:53 PM IST

नई दिल्ली : चीन के साथ सीमा पर गतिरोध गहराने के चलते भारत ने अन्य देशों के साथ अपने संबंधों को नए सिरे से सुदृढ़ करने की कोशिश के तहत कूटनीतिक कदम उठाते हुए अमेरिका, जापान, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे विश्व के शक्तिशाली देशों के साथ अपने संबंध मजबूत करने पर जोर दिया. इस कदम का एक बड़ा लक्ष्य अपना भू-राजनीतिक प्रभाव बढ़ाना तथा बीजिंग के विस्तारवादी व्यवहार के उलट शांति, स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रबल समर्थक के तौर अपनी स्थिति मजबूत करना था. एशिया की दो शक्तियों (भारत और चीन) के बीच संबंधों में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प होने के बाद खटास पैदा हो गई. मध्य जून में हुई इस झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे. चीनी सैनिक भी हताहत हुए, लेकिन चीन ने अब तक इसका ब्योरा नहीं दिया है लेकिन एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक 35 चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे.

चीन नीति पर एक मजबूत और स्पष्ट लकीर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष से दो टूक कह दिया कि इस अप्रत्याशित घटनाक्रम का द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा. भारत ने अपनी चीन नीति पर एक मजबूत और स्पष्ट लकीर खींचते हुए पड़ोसी देश को सीमा प्रबंधन पर बातचीत के नियमों का उल्लंघन करते हुए लद्दाख गतिरोध शुरू करने के लिए जवाबदेह ठहराया. भारत ने चीन को इस बात से भी अवगत कराया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति एवं स्थिरता शेष बचे संबंधों की प्रगति का आधार हैं और उन्हें अलग करके नहीं देखा जा सकता. सीमा गतिरोध दूर करने के लिए जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच 10 सितंबर को मास्को में एक बैठक में पांच सूत्री सहमति बनी थी. हालांकि, एलएसी पर टकराव वाले स्थानों पर गतिरोध दूर करने में अभी तक कोई ठोस सफलता नहीं मिली है.

पड़ोसी देशों, खाड़ी देशों, मध्य एशिया से सहयोग बढ़ाए

जयशंकर ने हाल ही में एक थिंक टैंक से कहा था कि भारत के उभरने से खुद-ब-खुद प्रतिक्रियाएं शुरू होंगी. हमारे प्रभाव को कमजोर करने और हमारे हितों को सीमित करने की कोशिशें की जाएंगी. इनमें से कुछ सीधे सुरक्षा क्षेत्र में होंगी. कुछ अन्य अर्थव्यवस्था, संपर्क और यहां तक कि सामाजिक संपर्कों में दिखाई देंगी. क्षेत्र में नये भू-राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं. ऐसे में भारत ने भी निकट पड़ोसी देशों, खाड़ी देशों, मध्य एशिया और आसियान देशों (दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्र संगठन) के साथ अपने रणनीतिक सहयोग की कोशिशों को दोगुना कर दिया. हालांकि, पाकिस्तान के साथ भारत का संबंध जस का तस बना हुआ है क्योंकि इस्लामाबाद ने (पाकिस्तान के) सीमा पार (भारत में) आंतकवाद का समर्थन करना जारी रखा है, ताकि वह जम्मू कश्मीर में अस्थिरता पैदा कर सके. जबकि नई दिल्ली आतंकवाद की इस बुराई से सख्ती से निपटने की अपनी नीति पर अग्रसर है.

पाकिस्तान से जस के तस संबंध

आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ अपने कूटनीतिक अभियान को भी भारत ने जारी रखा है और इस बात पर दृढ़ है कि इस्लामाबाद जब तक सीमा पार (भारत में) आतंकवाद को बंद नहीं करेगा, तब तक उसके साथ कोई वार्ता नहीं होगी. वर्ष 2020 में भारत की एक कूटनीतिक उपलब्धि यह भी रही कि उसने मुक्त एवं स्थिरता वाले हिंद-प्रशांत के लिए संयुक्त रूप से काम करने के संकल्प जैसे क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर अमेरिका के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को विस्तारित किया.

अमेरिका से हुई वैश्विक रणनीतिक साझेदारी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की फरवरी में हुई भारत यात्रा के दौरान दोनों देश अपने संबंधों को एक व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के मुकाम पर ले गए. ट्रंप के साथ उनकी पत्नी मेलानिया, बेटी इवांका और दामाद जारेड कुशनर तथा ट्रंप प्रशासन के कई शीर्ष अधिकारी आए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी को ट्रंप के साथ वार्ता के बाद मीडिया को जारी किए गए अपने बयान में कहा था कि यह संबंध 21 वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी है. यह विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच संबंधों में बढ़ते सामंजस्य को प्रदर्शित करता है. अक्टूबर में भारत और अमेरिका ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के लिए काफी समय से लंबित बेसिक एक्सचेंज एंड कोआपरेशन एग्रीमेंट (बीईसीए) पर मुहर लगाई. इस समझौते ने दोनों देशों के बीच अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी, साजो सामान और भू-स्थानिक नक्शे साझा करने का मार्ग प्रशस्त किया. भारत, अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल के दौरान भी संबंध और मजबूत होने की उम्मीद करता है. वह 1970 के दशक में सीनेटर रहने के दिनों से ही भारत-अमेरिका करीबी संबंधों के मजबूत पैरोकार के तौर पर जाने जाते हैं.

रूस, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, दक्षिण कोरिया से संबंध बेहतर

रूस, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, इंडोनेशिया और अफ्रीकी महाद्वीप के साथ संबंधों को और बेहतर करने की नई दिल्ली की कोशिशें भी रंग लाईं हैं. पड़ोस में, नेपाल के साथ भारत के संबंध में साल के मध्य में कुछ तनाव पैदा हो गया था. दरअसल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख दर्रे को उत्तराखंड के धारचुला से जोड़ने वाली सामरिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किमी लंबी एक सड़क का उद्घाटन किया था. वहीं, नेपाल ने दावा किया कि यह सड़क उसके भूभाग से होकर गुजरी है. हालांकि, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और थल सेना प्रमुख एमएम नरवणे द्वारा नवंबर में की गई काठमांडू की यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच संबंध वापस पटरी पर लौटते नजर आ रहे हैं.

कोरोना से लड़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया

भारत ने इस साल के आखिरी आठ महीनों में वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस महामारी से लड़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. भारत ने महामारी से निपटने के लिए 150 से अधिक देशों को मेडिकल सहायता की आपूर्ति की है. भारत ने कोरोना वायरस महामारी के कारण लागू लॉकडाउन के चलते विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए मई में एक बड़ा अभियान शुरू किया. इसके तहत वाणिज्यिक विमानों, सैन्य परिवहन विमानों और नौसेना के जंगी जहाजों के जरिए विदेशों से काफी संख्या में भारतीयों को वापस लाया गया. करीब 39 लाख भारतीयों को इस अभियान के तहत स्वदेश लागया गया, जिसे भारत के इतिहास में सबसे बड़ा स्वदेश वापसी अभियान बताया गया है.

प्रमुख समुद्री मार्गों में चीन की गतिविधियों पर घेरा

प्रमुख समुद्री मार्गों में चीन की गतिविधियों से चिंता पैदा होने के बाद भारत, आस्ट्रेलिया और जापान के विदेश मंत्रियों ने टोक्यो में छह अक्टूबर को व्यापक वार्ता की. यह वार्ता चतुष्कोणीय (क्वाड) गठबंधन के तत्वावधान में की गई. इस वार्ता के जरिए स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत महासागर के लिए एक सामूहिक दृष्टि रखने का संकेत दिया गया. भारत जून में एक बड़ी कूटनीतिक सफलता हासिल करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का 2021-22 अवधि के लिए अस्थायी सदस्य देश बना. भारत ने 2020 में ब्रेक्जिट के परिणामों और अब्राहम संधि, खाड़ी क्षेत्र में तेजी से हो रहे घटनाक्रमों पर भी सावधानी पूर्वक नजर बनाए रखी. अब्राहम संधि, इजराइल ने संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के साथ की है ताकि दोनों खाड़ी देशों और यहूदी देश के बीच राजनयिक संबंधों को सामान्य किया जा सके.

नई दिल्ली : चीन के साथ सीमा पर गतिरोध गहराने के चलते भारत ने अन्य देशों के साथ अपने संबंधों को नए सिरे से सुदृढ़ करने की कोशिश के तहत कूटनीतिक कदम उठाते हुए अमेरिका, जापान, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे विश्व के शक्तिशाली देशों के साथ अपने संबंध मजबूत करने पर जोर दिया. इस कदम का एक बड़ा लक्ष्य अपना भू-राजनीतिक प्रभाव बढ़ाना तथा बीजिंग के विस्तारवादी व्यवहार के उलट शांति, स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रबल समर्थक के तौर अपनी स्थिति मजबूत करना था. एशिया की दो शक्तियों (भारत और चीन) के बीच संबंधों में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प होने के बाद खटास पैदा हो गई. मध्य जून में हुई इस झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे. चीनी सैनिक भी हताहत हुए, लेकिन चीन ने अब तक इसका ब्योरा नहीं दिया है लेकिन एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक 35 चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे.

चीन नीति पर एक मजबूत और स्पष्ट लकीर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष से दो टूक कह दिया कि इस अप्रत्याशित घटनाक्रम का द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा. भारत ने अपनी चीन नीति पर एक मजबूत और स्पष्ट लकीर खींचते हुए पड़ोसी देश को सीमा प्रबंधन पर बातचीत के नियमों का उल्लंघन करते हुए लद्दाख गतिरोध शुरू करने के लिए जवाबदेह ठहराया. भारत ने चीन को इस बात से भी अवगत कराया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति एवं स्थिरता शेष बचे संबंधों की प्रगति का आधार हैं और उन्हें अलग करके नहीं देखा जा सकता. सीमा गतिरोध दूर करने के लिए जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच 10 सितंबर को मास्को में एक बैठक में पांच सूत्री सहमति बनी थी. हालांकि, एलएसी पर टकराव वाले स्थानों पर गतिरोध दूर करने में अभी तक कोई ठोस सफलता नहीं मिली है.

पड़ोसी देशों, खाड़ी देशों, मध्य एशिया से सहयोग बढ़ाए

जयशंकर ने हाल ही में एक थिंक टैंक से कहा था कि भारत के उभरने से खुद-ब-खुद प्रतिक्रियाएं शुरू होंगी. हमारे प्रभाव को कमजोर करने और हमारे हितों को सीमित करने की कोशिशें की जाएंगी. इनमें से कुछ सीधे सुरक्षा क्षेत्र में होंगी. कुछ अन्य अर्थव्यवस्था, संपर्क और यहां तक कि सामाजिक संपर्कों में दिखाई देंगी. क्षेत्र में नये भू-राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं. ऐसे में भारत ने भी निकट पड़ोसी देशों, खाड़ी देशों, मध्य एशिया और आसियान देशों (दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्र संगठन) के साथ अपने रणनीतिक सहयोग की कोशिशों को दोगुना कर दिया. हालांकि, पाकिस्तान के साथ भारत का संबंध जस का तस बना हुआ है क्योंकि इस्लामाबाद ने (पाकिस्तान के) सीमा पार (भारत में) आंतकवाद का समर्थन करना जारी रखा है, ताकि वह जम्मू कश्मीर में अस्थिरता पैदा कर सके. जबकि नई दिल्ली आतंकवाद की इस बुराई से सख्ती से निपटने की अपनी नीति पर अग्रसर है.

पाकिस्तान से जस के तस संबंध

आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ अपने कूटनीतिक अभियान को भी भारत ने जारी रखा है और इस बात पर दृढ़ है कि इस्लामाबाद जब तक सीमा पार (भारत में) आतंकवाद को बंद नहीं करेगा, तब तक उसके साथ कोई वार्ता नहीं होगी. वर्ष 2020 में भारत की एक कूटनीतिक उपलब्धि यह भी रही कि उसने मुक्त एवं स्थिरता वाले हिंद-प्रशांत के लिए संयुक्त रूप से काम करने के संकल्प जैसे क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर अमेरिका के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को विस्तारित किया.

अमेरिका से हुई वैश्विक रणनीतिक साझेदारी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की फरवरी में हुई भारत यात्रा के दौरान दोनों देश अपने संबंधों को एक व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के मुकाम पर ले गए. ट्रंप के साथ उनकी पत्नी मेलानिया, बेटी इवांका और दामाद जारेड कुशनर तथा ट्रंप प्रशासन के कई शीर्ष अधिकारी आए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी को ट्रंप के साथ वार्ता के बाद मीडिया को जारी किए गए अपने बयान में कहा था कि यह संबंध 21 वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी है. यह विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच संबंधों में बढ़ते सामंजस्य को प्रदर्शित करता है. अक्टूबर में भारत और अमेरिका ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के लिए काफी समय से लंबित बेसिक एक्सचेंज एंड कोआपरेशन एग्रीमेंट (बीईसीए) पर मुहर लगाई. इस समझौते ने दोनों देशों के बीच अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी, साजो सामान और भू-स्थानिक नक्शे साझा करने का मार्ग प्रशस्त किया. भारत, अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल के दौरान भी संबंध और मजबूत होने की उम्मीद करता है. वह 1970 के दशक में सीनेटर रहने के दिनों से ही भारत-अमेरिका करीबी संबंधों के मजबूत पैरोकार के तौर पर जाने जाते हैं.

रूस, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, दक्षिण कोरिया से संबंध बेहतर

रूस, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, इंडोनेशिया और अफ्रीकी महाद्वीप के साथ संबंधों को और बेहतर करने की नई दिल्ली की कोशिशें भी रंग लाईं हैं. पड़ोस में, नेपाल के साथ भारत के संबंध में साल के मध्य में कुछ तनाव पैदा हो गया था. दरअसल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख दर्रे को उत्तराखंड के धारचुला से जोड़ने वाली सामरिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किमी लंबी एक सड़क का उद्घाटन किया था. वहीं, नेपाल ने दावा किया कि यह सड़क उसके भूभाग से होकर गुजरी है. हालांकि, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और थल सेना प्रमुख एमएम नरवणे द्वारा नवंबर में की गई काठमांडू की यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच संबंध वापस पटरी पर लौटते नजर आ रहे हैं.

कोरोना से लड़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया

भारत ने इस साल के आखिरी आठ महीनों में वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस महामारी से लड़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. भारत ने महामारी से निपटने के लिए 150 से अधिक देशों को मेडिकल सहायता की आपूर्ति की है. भारत ने कोरोना वायरस महामारी के कारण लागू लॉकडाउन के चलते विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए मई में एक बड़ा अभियान शुरू किया. इसके तहत वाणिज्यिक विमानों, सैन्य परिवहन विमानों और नौसेना के जंगी जहाजों के जरिए विदेशों से काफी संख्या में भारतीयों को वापस लाया गया. करीब 39 लाख भारतीयों को इस अभियान के तहत स्वदेश लागया गया, जिसे भारत के इतिहास में सबसे बड़ा स्वदेश वापसी अभियान बताया गया है.

प्रमुख समुद्री मार्गों में चीन की गतिविधियों पर घेरा

प्रमुख समुद्री मार्गों में चीन की गतिविधियों से चिंता पैदा होने के बाद भारत, आस्ट्रेलिया और जापान के विदेश मंत्रियों ने टोक्यो में छह अक्टूबर को व्यापक वार्ता की. यह वार्ता चतुष्कोणीय (क्वाड) गठबंधन के तत्वावधान में की गई. इस वार्ता के जरिए स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत महासागर के लिए एक सामूहिक दृष्टि रखने का संकेत दिया गया. भारत जून में एक बड़ी कूटनीतिक सफलता हासिल करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का 2021-22 अवधि के लिए अस्थायी सदस्य देश बना. भारत ने 2020 में ब्रेक्जिट के परिणामों और अब्राहम संधि, खाड़ी क्षेत्र में तेजी से हो रहे घटनाक्रमों पर भी सावधानी पूर्वक नजर बनाए रखी. अब्राहम संधि, इजराइल ने संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के साथ की है ताकि दोनों खाड़ी देशों और यहूदी देश के बीच राजनयिक संबंधों को सामान्य किया जा सके.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.