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सीमा विवाद : पूर्वी लद्दाख में तनाव घटाने को लेकर सैन्य वार्ता आज

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर आज भारत चीन के बीच उच्च-स्तरीय सैन्य वार्ता के सातवें दौर की वार्ता होगी. इससे पहले चीन अध्ययन समूह (सीएसजी) के शीर्ष मंत्रियों और सैन्य अधिकारियों ने पूर्वी लद्दाख में शुक्रवार को हालात की समीक्षा की थी. पढ़ें विस्तार से...

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सीमा विवाद
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Published : Oct 12, 2020, 7:54 AM IST

Updated : Oct 12, 2020, 10:00 AM IST

नई दिल्ली : भारत और चीनी सेना के प्रतिनिधि आज पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने के मुद्दे पर बातचीत करेंगे. दोनों देशों की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर पर ये सातवें दौर की बातचीत होगी. भारत सैन्य वार्ता के सातवें दौर में पूर्वी लद्दाख में टकराव के बिंदुओं से चीन द्वारा सैनिकों की पूरी तरह से जल्द वापसी पर जोर देगा.

वार्ता का एजेंडा पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी के लिए एक रूपरेखा तैयार करना होगा.

भारत की ओर से लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह (जो कोर कमांडर के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त कर रहे हैं) और उनके उत्तराधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल पी.जी.के. मेनन बातचीत का नेतृत्व करेंगे. विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव भी बातचीत में हिस्सा लेंगे. पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत की ओर चुशूल में दोपहर 12 बजे वार्ता शुरू होगी.

सैनिकों के लिए एक नई चुनौती
सूत्रों के मुताबिक पिछले महीने तनाव में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई, लेकिन कमी की भी कोई खबर नहीं है. विवादित भारत-चीन सीमा पर महत्वपूर्ण पर्वत चोटियों और दर्रों पर तापमान शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस नीचे चला गया है, जिससे इस क्षेत्र में दोनों ओर से जमा हजारों सैनिकों के सामने एक नई चुनौती पैदा हो गई है.

भारत ने ब्लैकटॉप के पास की तैनाती
30 अगस्त को भारत ने रेचन ला, रेजांग ला, मुकर्पी और टेबलटॉप जैसी महत्वपूर्ण पर्वत ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया था. पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर स्थित ये क्षेत्र अभी तक मानव रहित थे. भारत ने ब्लैकटॉप के पास भी कुछ तैनाती की है. चीन के उकसाने वाले सैन्य कदम उठाने की कोशिश के बाद भारत ने ये तैनाती की है. अब इन 13 चोटियों पर भारत के नियंत्रण से चीनी सेना पर नजर रखना आसान हो गया है.

पढ़ें: राजस्थान : गहलोत सरकार का सीआईडी सीबी से जांच कराने का निर्देश

पिछले चार महीनों से है युद्ध जैसी स्थिति
पिछली कोर कमांडर स्तर की वार्ता के दौरान, चीन ने जोर देकर कहा था कि भारत इन सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ऊंचाइयों को खाली करे. चीन ने भारत से कहा था कि वह पूर्वी लद्दाख में सैन्य ताकत कम करने पर चर्चा नहीं करेगा, जहां दोनों पक्षों की तैनाती ने पिछले चार महीनों में युद्ध जैसी स्थिति पैदा कर दी है.

लद्दाख में रोडमैप तैयार करने की जरूरत
वरिष्ठ भारतीय और चीनी कमांडरों ने 21 सितंबर को सैन्य कमांडर-स्तर की बैठक के छठे दौर का आयोजन किया था. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) इस बात पर अडिग है कि पैंगोंग झील के दक्षिणी तट की स्थिति को भारत पहले सुलझाए. यहां भारतीय सैनिक अच्छी स्थिति में हैं. लेकिन भारत चाहता है कि लद्दाख में गतिरोध तनाव कम करने के लिए एक रोडमैप तैयार हो.

पिछले छह महीने से गतिरोध बरकरार
बता दें कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले छह महीने से गतिरोध बरकरार है. कई स्तरों के संवाद के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली और गतिरोध जारी है.

नई दिल्ली : भारत और चीनी सेना के प्रतिनिधि आज पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने के मुद्दे पर बातचीत करेंगे. दोनों देशों की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर पर ये सातवें दौर की बातचीत होगी. भारत सैन्य वार्ता के सातवें दौर में पूर्वी लद्दाख में टकराव के बिंदुओं से चीन द्वारा सैनिकों की पूरी तरह से जल्द वापसी पर जोर देगा.

वार्ता का एजेंडा पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी के लिए एक रूपरेखा तैयार करना होगा.

भारत की ओर से लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह (जो कोर कमांडर के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त कर रहे हैं) और उनके उत्तराधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल पी.जी.के. मेनन बातचीत का नेतृत्व करेंगे. विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव भी बातचीत में हिस्सा लेंगे. पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत की ओर चुशूल में दोपहर 12 बजे वार्ता शुरू होगी.

सैनिकों के लिए एक नई चुनौती
सूत्रों के मुताबिक पिछले महीने तनाव में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई, लेकिन कमी की भी कोई खबर नहीं है. विवादित भारत-चीन सीमा पर महत्वपूर्ण पर्वत चोटियों और दर्रों पर तापमान शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस नीचे चला गया है, जिससे इस क्षेत्र में दोनों ओर से जमा हजारों सैनिकों के सामने एक नई चुनौती पैदा हो गई है.

भारत ने ब्लैकटॉप के पास की तैनाती
30 अगस्त को भारत ने रेचन ला, रेजांग ला, मुकर्पी और टेबलटॉप जैसी महत्वपूर्ण पर्वत ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया था. पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर स्थित ये क्षेत्र अभी तक मानव रहित थे. भारत ने ब्लैकटॉप के पास भी कुछ तैनाती की है. चीन के उकसाने वाले सैन्य कदम उठाने की कोशिश के बाद भारत ने ये तैनाती की है. अब इन 13 चोटियों पर भारत के नियंत्रण से चीनी सेना पर नजर रखना आसान हो गया है.

पढ़ें: राजस्थान : गहलोत सरकार का सीआईडी सीबी से जांच कराने का निर्देश

पिछले चार महीनों से है युद्ध जैसी स्थिति
पिछली कोर कमांडर स्तर की वार्ता के दौरान, चीन ने जोर देकर कहा था कि भारत इन सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ऊंचाइयों को खाली करे. चीन ने भारत से कहा था कि वह पूर्वी लद्दाख में सैन्य ताकत कम करने पर चर्चा नहीं करेगा, जहां दोनों पक्षों की तैनाती ने पिछले चार महीनों में युद्ध जैसी स्थिति पैदा कर दी है.

लद्दाख में रोडमैप तैयार करने की जरूरत
वरिष्ठ भारतीय और चीनी कमांडरों ने 21 सितंबर को सैन्य कमांडर-स्तर की बैठक के छठे दौर का आयोजन किया था. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) इस बात पर अडिग है कि पैंगोंग झील के दक्षिणी तट की स्थिति को भारत पहले सुलझाए. यहां भारतीय सैनिक अच्छी स्थिति में हैं. लेकिन भारत चाहता है कि लद्दाख में गतिरोध तनाव कम करने के लिए एक रोडमैप तैयार हो.

पिछले छह महीने से गतिरोध बरकरार
बता दें कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले छह महीने से गतिरोध बरकरार है. कई स्तरों के संवाद के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली और गतिरोध जारी है.

Last Updated : Oct 12, 2020, 10:00 AM IST
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