लखनउ : कोविड—19 संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश में डाक विभाग ने छह टन से अधिक दवाओं को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया .
उत्तर प्रदेश के चीफ पोस्ट मास्टर जनरल कौशलेन्द्र कुमार सिन्हा ने बताया, 'टोरेंट और सिप्ला जैसी दवा की कुछ बडी कंपनियों को वितरण में दिक्कत हो रही थी. उन्होंने संपर्क किया, जिसके बाद हमने इंट्रा—सर्किल गाडियां चलाईं. पहले बड़े-बड़े शहरों को गाडियों के नेटवर्क से जोडा, फिर अन्य शहरों को. स्पीड पोस्ट से छह टन से ज्यादा दवा बुक की और लोगों तक हर जगह पहुंचाई. करीब दस से 12 हजार पार्सल बुक किये और पहुंचाए.
उन्होंने कहा, 'लॉकडाउन के दौरान तमाम लोगों को दवा की आवश्यकता हुई और हमने इसे पहुंचाना कभी बंद नहीं किया. हमारे पास काफी इन्क्वायरी आती हैं । वैसे हमारा हेल्पलाइन नंबर और वेबसाइट भी है .... लॉकडाउन में भी हम दवा देते रहे.'
सिन्हा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान हमने चार लाख से अधिक :बुक की हुई: वस्तुओं को भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया है.
उन्होंने कहा कि हमने अपनी ओर से सफल कोशिश की कि जो चीजें लोगों को चाहिए, डाक विभाग 'कोरोना वारियर' बनकर उन तक पहुंचाये. हमारे पोस्टमैन, कर्मचारियों और अफसरों ने सबने मिलकर काम किया.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 मार्च को ऐलान किया था कि मध्यरात्रि यानी 25 मार्च से 21 दिन का राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन रहेगा. मोदी ने 14 अप्रैल सुबह 10 बजे देश को संबोधित करते हुए लॉकडाउन की अवधि को आगे बढ़ाकर तीन मई करने का फैसला लिया.
सिन्हा ने बताया कि अभी पूरे भारत में सडक परिवहन नेटवर्क :आरटीएन: बना है. दवाइयां और आवश्यक वस्तुएं कहीं भी ले जाने में सक्षम आरटीएन पिछले सप्ताह शुक्रवार से शुरू हो गया. पूरे देश को आरटीएन से जोड दिया गया है. हम लंबे लंबे रूट की 20—20 घंटे की ट्रिप चला रहे हैं और एक एक गाडी में दो दो ड्राइवरों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
सिन्हा ने बताया कि ग्रामीण डाक सेवक को मिलाकर विभाग के हर कर्मचारी ने मार्च में एक एक दिन का वेतन प्रधानमंत्री फंड के लिए दिया. विभाग ने मार्च में ही पीएम केयर फंड में दो करोड 21 लाख रूपये कटा दिये थे. हमारे कर्मचारियों ने खुद कहा कि संकट की इस घडी में वे स्वैच्छिक रूप से एक दिन का वेतन देना चाहते हैं. केन्द्र का आदेश आने से पहले ही हमारे लोगों ने स्वैच्छिक रूप से दे दिया.
इस बीच निदेशक :डाक सेवाएं:, लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र कृष्ण कुमार यादव का कहना है कि डाककर्मी महामारी के इस दौर में सोशल डिस्टेंसिंग व पूरी एहतियात बरतते हुए समर्पण भाव के साथ कार्य कर रहे हैं .
लॉकडाउन में डाक विभाग ने एक जगह से दूसरी जगह पहुंचायी छह टन दवाएं
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 मार्च को ऐलान किया था कि मध्यरात्रि यानी 25 मार्च से 21 दिन का राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन रहेगा. मोदी ने 14 अप्रैल सुबह 10 बजे देश को संबोधित करते हुए लॉकडाउन की अवधि को आगे बढ़ाकर तीन मई करने का फैसला लिया.
लखनउ : कोविड—19 संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश में डाक विभाग ने छह टन से अधिक दवाओं को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया .
उत्तर प्रदेश के चीफ पोस्ट मास्टर जनरल कौशलेन्द्र कुमार सिन्हा ने बताया, 'टोरेंट और सिप्ला जैसी दवा की कुछ बडी कंपनियों को वितरण में दिक्कत हो रही थी. उन्होंने संपर्क किया, जिसके बाद हमने इंट्रा—सर्किल गाडियां चलाईं. पहले बड़े-बड़े शहरों को गाडियों के नेटवर्क से जोडा, फिर अन्य शहरों को. स्पीड पोस्ट से छह टन से ज्यादा दवा बुक की और लोगों तक हर जगह पहुंचाई. करीब दस से 12 हजार पार्सल बुक किये और पहुंचाए.
उन्होंने कहा, 'लॉकडाउन के दौरान तमाम लोगों को दवा की आवश्यकता हुई और हमने इसे पहुंचाना कभी बंद नहीं किया. हमारे पास काफी इन्क्वायरी आती हैं । वैसे हमारा हेल्पलाइन नंबर और वेबसाइट भी है .... लॉकडाउन में भी हम दवा देते रहे.'
सिन्हा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान हमने चार लाख से अधिक :बुक की हुई: वस्तुओं को भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया है.
उन्होंने कहा कि हमने अपनी ओर से सफल कोशिश की कि जो चीजें लोगों को चाहिए, डाक विभाग 'कोरोना वारियर' बनकर उन तक पहुंचाये. हमारे पोस्टमैन, कर्मचारियों और अफसरों ने सबने मिलकर काम किया.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 मार्च को ऐलान किया था कि मध्यरात्रि यानी 25 मार्च से 21 दिन का राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन रहेगा. मोदी ने 14 अप्रैल सुबह 10 बजे देश को संबोधित करते हुए लॉकडाउन की अवधि को आगे बढ़ाकर तीन मई करने का फैसला लिया.
सिन्हा ने बताया कि अभी पूरे भारत में सडक परिवहन नेटवर्क :आरटीएन: बना है. दवाइयां और आवश्यक वस्तुएं कहीं भी ले जाने में सक्षम आरटीएन पिछले सप्ताह शुक्रवार से शुरू हो गया. पूरे देश को आरटीएन से जोड दिया गया है. हम लंबे लंबे रूट की 20—20 घंटे की ट्रिप चला रहे हैं और एक एक गाडी में दो दो ड्राइवरों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
सिन्हा ने बताया कि ग्रामीण डाक सेवक को मिलाकर विभाग के हर कर्मचारी ने मार्च में एक एक दिन का वेतन प्रधानमंत्री फंड के लिए दिया. विभाग ने मार्च में ही पीएम केयर फंड में दो करोड 21 लाख रूपये कटा दिये थे. हमारे कर्मचारियों ने खुद कहा कि संकट की इस घडी में वे स्वैच्छिक रूप से एक दिन का वेतन देना चाहते हैं. केन्द्र का आदेश आने से पहले ही हमारे लोगों ने स्वैच्छिक रूप से दे दिया.
इस बीच निदेशक :डाक सेवाएं:, लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र कृष्ण कुमार यादव का कहना है कि डाककर्मी महामारी के इस दौर में सोशल डिस्टेंसिंग व पूरी एहतियात बरतते हुए समर्पण भाव के साथ कार्य कर रहे हैं .