इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर मुद्दे पर बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि वे कश्मीर मुद्दे पर देश को विश्वास में लेना चाहते हैं.
कश्मीर पर अपने रुख से लोगों का ध्यान आकर्षित करने में पाकिस्तान के नाकाम रहने के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र महासभा समेत हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर का मुद्दा उठायेंगे.
पाकिस्तान के लोगों को संबोधित करते हुए इमरान ने कहा कि पाक ने कश्मीर पर आज तक क्या किया और आगे क्या करेगा, इस पर बात करना चाहते हैं.
भारत द्वारा पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाये जाने के बाद कश्मीर को लेकर राष्ट्र को अपने संबोधन में खान ने पाकिस्तान के लोगों को आश्वस्त किया कि उनकी सरकार कश्मीरियों के साथ खड़ी रहेगी जब तक भारत घाटी में पाबंदियां नहीं हटा लेता.
प्रधानमंत्री खान ने एक बार फिर दोनों पड़ोसी देशों के परमाणु संपन्न होने का जिक्र करते हुए कहा कि परमाणु जंग में किसी की जीत नहीं होती. खान ने कहा, 'क्या ये बड़े देश सिर्फ आर्थिक हितों को देखेंगे? उन्हें याद रखना चाहिए कि दोनों देश परमाणु हथियारों से संपन्न हैं.'
उन्होंने कहा, 'परमाणु जंग में किसी की जीत नहीं होगी. इससे सिर्फ क्षेत्र में ही दहशत नहीं पैदा होगी, बल्कि समूची दुनिया को इसके नतीजे भुगतने होंगे. अब यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हाथ में है.'
कश्मीर पर अपनी सरकार की भविष्य की रणनीति को रेखांकित करते हुए खान ने कहा, 'सबसे पहले तो मेरा ये मानना है कि पूरा देश कश्मीरियों के साथ खड़ा होना चाहिए. मैंने कहा है कि मैं कश्मीर के दूत के तौर पर काम करूंगा.'
अगले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने प्रस्तावित संबोधन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं दुनिया को इस बारे में बताऊंगा. मैंने राष्ट्राध्यक्षों के साथ यह विचार साझा किया है. मैं उनके संपर्क में हूं. मैं यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में भी उठाऊंगा.'
इमरान खान ने कहा कि बीते पांच अगस्त के फैसले के बाद ये संदेश सामने आया है कि भारत सिर्फ हिंदुओं का है.
उन्होंने कहा, 'मैंने अखबारों में पढ़ा है कि लोग इस बात से निराश हैं कि मुस्लिम देश कश्मीर के साथ नहीं हैं. मैं आपको बताना चाहता हूं कि निराश नहीं हों. अगर कुछ देश अपने आर्थिक हितों के चलते इस मुद्दे को नहीं उठा रहे हैं लेकिन आखिर में वह भी इस मुद्दे को उठायेंगे. समय के साथ उन्हें यह करना ही होगा.'
खान ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाकर 'ऐतिहासिक भूल' की है.
उन्होंने कहा, 'यह संयुक्त राष्ट्र की जिम्मेदारी है, उन्होंने कश्मीरी लोगों को वादा किया था कि वे उनकी हिफाजत करेंगे. ये इतिहास रहा है कि वैश्विक संस्थाओं ने हमेशा से ताकतवर का साथ दिया है लेकिन संयुक्त राष्ट्र को यह जानना चाहिए कि 1.25 अरब मुस्लिम इसे लेकर फिक्रमंद हैं.'
उन्होंने कहा कि 1920 में RSS का गठन हुआ. बाद में इसकी राजनीतिक इकाई के रूप में बीजेपी सामने आई.
बकौल इमरान 'हमें इतिहास से जानने की जरूरत है, कि आखिर मोदी सरकार हमसे शांति के लिए बात क्यों नहीं करती.'
इमरान ने कहा कि बीजेपी की नीतियां RSS के आदर्शों पर आधारित हैं, इसके मुताबिक भारत सिर्फ हिंदुओं के लिए है.
इमरान ने कहा कि सत्ता में आने के बाद वे अशिक्षा, गरीबी और महंगाई जैसे मुद्दों पर काम करना चाहते थे. भारत भी इन्हीं समस्याओं का सामना कर रहा है.
इमरान ने कहा कि वे भारत के साथ कई बार बातचीत के लिए प्रयास कर चुके हैं. भारत में चुनाव के कारण उन्होंने इंतजार किया. इसी दौरान पुलवामा में हमला हुआ, और पाकिस्तान की तरफ उगलियां उठीं.
विदेश मंत्रालय ने पिछले महीने कहा था कि उनकी (पाकिस्तान की) ओर से डर की स्थिति पैदा की जायेगी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था, 'अंतरराष्ट्रीय समुदाय यह नहीं सोचता है कि युद्ध जैसी स्थिति है. यह सिर्फ ध्यान खींचने की चाल है.... अब समय आ गया है कि पाकिस्तान नयी हकीकत को स्वीकार करे और भारत के आंतरिक मामलों में दखल देना बंद करे.'