नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र महासभा का 74वें सत्र में पाकिस्तान ने भारत पर कई आरोप लगाए. भारत ने भी राइट टू रिप्लाई के जरिए मुंहतोड़ जवाब दिया. इमरान खान ने करीब 49 मिनट तक भाषण दिया, जबकि पीएम मोदी ने मात्र 17 मिनट में अपनी बातें रखीं.
संयुक्त राष्ट्र में जहां भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद के खतरे के खिलाफ दुनियाभर को एकजुट होने का आग्रह किया. वहीं पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर मुद्दे को जोर-शोर से उठाया. साथ में मोदी प्रशासन पर कश्मीर में खूनखराबा का भी आरोप लगाने से नहीं कतराए.
इस पूरे मसले पर ईटीवी भारत ने पूर्व भारतीय राजनयिक अचल मल्होत्रा से विशेष बातचीत की. उन्होंने पाकिस्तानी पीएम इमरान खान को संयुक्त राष्ट्र के मंच का दुरुपयोग कर भ्रामक जानकारी फैलाने पर आड़े हाथों लिया.
पूर्व राजनयिक ने बोला, 'इमरान खान बहुत ज्यादा आक्रामक थे. उन्होंने इस्लामोफोबिया के बारे में बात की, उनका मतलब था कि इस्लाम का सिर्फ एक हिस्सा ही दुनिया जानती है और बाकी दूसरे तरफ दुनिया नही देखती. यह बिल्कुल भी सच नहीं है. आप इराक और सीरिया में देखिए इनका क्या हाल है, जहां शिया अपने लिए सुन्नियों से लड़ रहे हैं.'
पीएम मोदी के भाषण की सराहना करते हुए मल्होत्रा ने कहा कि मोदी ने निर्धारित समय सीमा के भीतर अपनी बात रखते हुए, एक वैश्विक दृष्टि के बारे में बात की, जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र का मंच जाना जाता है.
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गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने जवाब देने के अधिकार का उपयोग किया था.
उल्लेखनीय है कि भारत की संयुक्त राष्ट्र महासभा में पहली प्रतिनिधि सचिव विदिशा मैत्रा ने इमरान खान के आरोपों और परमाणु खतरे पर बिंदुवार प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने जवाब देते हुए कहा था कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का भाषण 21वीं सदी की दृष्टि नहीं, बल्कि मध्यकालीन युग के मानसिकता को दर्शाता है.
विदिशा ने इमरान खान को उन मानवाधिकारों के हनन के बारे में भी याद दिलाया, जो पाकिस्तानी नेतृत्व ने 1971 में पश्चिम पाकिस्तान और आज के बांग्लादेश के साथ किया था.
उन्होंने इमरान खान को पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे यातनाओं की भी याद दिलाई, और बताया की 1947 में उनकी आबादी 23% थी, जबकी अब मात्र 3% बचे है.