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कोरोना काल में मनरेगा के तहत काम मिलने से मजदूरों को मिली राहत

कोरोना संक्रमण काल में मनरेगा ने रोजगार सृजन का अपना ही रिकार्ड तोड़ दिया. बता दें कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत वर्ष 2006-07 में देश के 200 पिछड़े जिलों में योजना शुरू की गई थी. इसकी लोकप्रियता को देखते हुए वर्ष 2008-09 में इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया.

manrega
मनरेगा का कार्यान्वयन
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Published : Sep 16, 2020, 12:45 PM IST

Updated : Sep 16, 2020, 1:29 PM IST

हैदराबाद : कोरोना काल में देशभर में प्रवासी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया. ऐसे में यह मजदूर अपने गांवों को लौटे तो यहां उन्हें राहत मिली क्योंकि मनरेगा के दौरान काम करते हुए उन्हें अपना घर चलाने के लिए पैसे मिले. नतीजा यह निकला की कोरोना संक्रमण काल में मनरेगा ने रोजगार सृजन का अपना ही रिकार्ड तोड़ दिया. इसको लेकर मंगलवार को संसद में प्रश्न उठे कि कोरोना काल में मनरेगा किस तरह मजदूरों की मदद कर रहा है.

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे वर्ष 2005 में विधान द्वारा अधिनियमित किया गया. यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है.

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चालू वित्त वर्ष के सिर्फ साढ़े चार महीने में ही योजना के तहत 5.53 करोड़ ग्रामीण मजदूरों को रोजगार मिला है, जबकि संपूर्ण वित्त वर्ष 2010-11 में रिकॉर्ड 5.5 करोड़ लोगों को काम मिला था.

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मनरेगा के लिए आवेदन कैसे करें
मनरेगा अन्तर्गत रोजगार पाने को इच्छुक वयस्क सदस्य पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं. पंजीकरण के लिए आवेदन पत्र निर्धारित प्रपत्र या स्थानीय ग्राम पंचायत को सादे कागज पर दिए जा सकते हैं.

  • मनरेगा एक मांग आधारित मजदूरी रोजगार योजना है.
  • मनरेगा अधिनियम के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में घर का एक सदस्य योजना के तहत नौकरी की मांग के लिए पात्र है.
  • योजना के तहत नौकरी की मांग के लिए पात्र. जॉब कार्ड पंजीकृत करने का कोई प्रावधान नहीं है.
  • इस योजना के तहत प्रवासी मजदूर या उसके परिवार को जॉब कार्ड दिया जा सकता है.
  • वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान जारी किए गए 64,95,823 नए जॉब कार्ड की तुलना में चालू वित्त वर्ष के दौरान अब तक कुल 86,81,928 नए जॉब कार्ड जारी किए गए हैं.
  • अप्रैल 2020 से अगस्त 2020 तक मनरेगा के तहत जारी किया गया खर्च

राजपत्र अधिसूचना 2020 के अनुसार राज्यवार मजदूरी दरें
महंगाई के खिलाफ मनरेगा श्रमिकों को मुआवजा देने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय कृषि श्रम (सीपीआई-एएल) के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में बदलाव के आधार पर हर साल मजदूरी दर में संशोधन करते हैं. मजदूरी दर प्रत्येक वित्तीय वर्ष के एक अप्रैल से लागू की जाती है. हालांकि, प्रत्येक राज्य / केंद्रशासित प्रदेश सरकार द्वारा अधिसूचित मजदूरी दर से ऊपर मजदूरी प्रदान कर सकते हैं. वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए मजदूरी दर 23 मार्च 2020 को अधिसूचित है.

पढ़ें: जल ही जीवन : वाटर हार्वेस्टिंग से संवरेगा आने वाला कल

मनरेगा जॉब कार्ड
जॉब कार्ड एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो स्कीम के तहत श्रमिकों के अधिकारों को रिकॉर्ड करता है. यह पंजीकृत परिवारों को काम के लिए आवेदन करने का अधिकार देता है और धोखाधड़ी से श्रमिकों की रक्षा करता है.

नरेगा और मनरेगा में अंतर
योजना के शुरूआत में इसका नाम राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (नरेगा) था, जिसे 2009 में बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कर दिया गया था.

हैदराबाद : कोरोना काल में देशभर में प्रवासी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया. ऐसे में यह मजदूर अपने गांवों को लौटे तो यहां उन्हें राहत मिली क्योंकि मनरेगा के दौरान काम करते हुए उन्हें अपना घर चलाने के लिए पैसे मिले. नतीजा यह निकला की कोरोना संक्रमण काल में मनरेगा ने रोजगार सृजन का अपना ही रिकार्ड तोड़ दिया. इसको लेकर मंगलवार को संसद में प्रश्न उठे कि कोरोना काल में मनरेगा किस तरह मजदूरों की मदद कर रहा है.

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे वर्ष 2005 में विधान द्वारा अधिनियमित किया गया. यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है.

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चालू वित्त वर्ष के सिर्फ साढ़े चार महीने में ही योजना के तहत 5.53 करोड़ ग्रामीण मजदूरों को रोजगार मिला है, जबकि संपूर्ण वित्त वर्ष 2010-11 में रिकॉर्ड 5.5 करोड़ लोगों को काम मिला था.

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मनरेगा के लिए आवेदन कैसे करें
मनरेगा अन्तर्गत रोजगार पाने को इच्छुक वयस्क सदस्य पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं. पंजीकरण के लिए आवेदन पत्र निर्धारित प्रपत्र या स्थानीय ग्राम पंचायत को सादे कागज पर दिए जा सकते हैं.

  • मनरेगा एक मांग आधारित मजदूरी रोजगार योजना है.
  • मनरेगा अधिनियम के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में घर का एक सदस्य योजना के तहत नौकरी की मांग के लिए पात्र है.
  • योजना के तहत नौकरी की मांग के लिए पात्र. जॉब कार्ड पंजीकृत करने का कोई प्रावधान नहीं है.
  • इस योजना के तहत प्रवासी मजदूर या उसके परिवार को जॉब कार्ड दिया जा सकता है.
  • वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान जारी किए गए 64,95,823 नए जॉब कार्ड की तुलना में चालू वित्त वर्ष के दौरान अब तक कुल 86,81,928 नए जॉब कार्ड जारी किए गए हैं.
  • अप्रैल 2020 से अगस्त 2020 तक मनरेगा के तहत जारी किया गया खर्च

राजपत्र अधिसूचना 2020 के अनुसार राज्यवार मजदूरी दरें
महंगाई के खिलाफ मनरेगा श्रमिकों को मुआवजा देने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय कृषि श्रम (सीपीआई-एएल) के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में बदलाव के आधार पर हर साल मजदूरी दर में संशोधन करते हैं. मजदूरी दर प्रत्येक वित्तीय वर्ष के एक अप्रैल से लागू की जाती है. हालांकि, प्रत्येक राज्य / केंद्रशासित प्रदेश सरकार द्वारा अधिसूचित मजदूरी दर से ऊपर मजदूरी प्रदान कर सकते हैं. वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए मजदूरी दर 23 मार्च 2020 को अधिसूचित है.

पढ़ें: जल ही जीवन : वाटर हार्वेस्टिंग से संवरेगा आने वाला कल

मनरेगा जॉब कार्ड
जॉब कार्ड एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो स्कीम के तहत श्रमिकों के अधिकारों को रिकॉर्ड करता है. यह पंजीकृत परिवारों को काम के लिए आवेदन करने का अधिकार देता है और धोखाधड़ी से श्रमिकों की रक्षा करता है.

नरेगा और मनरेगा में अंतर
योजना के शुरूआत में इसका नाम राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (नरेगा) था, जिसे 2009 में बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कर दिया गया था.

Last Updated : Sep 16, 2020, 1:29 PM IST
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