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IMA का पीएम मोदी को पत्र, स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बने कानून को जल्द लागू करने की मांग - Violence against health professionals

हाल ही में असम में एक डॉक्टर को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था. इसके विरोध में असम में प्रदर्शन भी हो रहा है. इसी को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएिशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखा है. पढे़ं पूरी खबर...

इंडियन मेडिकल एसोएिशन.
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Published : Sep 4, 2019, 9:06 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 11:14 AM IST

नई दिल्लीः इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ होने वाली हिंसा पर लगाम लगाने के लिए बने केन्द्रीय कानून को जल्दी लागू करने की मांग की है. एसोसिएशन ने इसकी जरुरत को रेखांकित करते हुए इस संबंध में अध्यादेश जारी करने का अनुरोध किया है.

असम के चाय बगान में एक डॉक्टर पर हुए जानलेवा हमले के बाद राज्य में स्वास्थ्य कर्मियों के प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में आईएमए ने यह पत्र लिखा है.

आईएमए ने रेखांकित किया कि डर और हिंसा के माहौल में लोगों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा मुहैया कराना संभव नहीं है. आईएमए ने अपने पत्र में पीएम मोदी से अनुरोध किया है कि वह अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में इस पर चर्चा करें.

आईएमए का समर्थन करते हुए दुनियाभर के फिजिशियंस के संगठन वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन (डब्ल्यूएमए) ने भी इस संबंध में पीएम मोदी और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर भारत में स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ बढ़ रही हिंसक घटनाओं पर चिंता जताई है.

पढ़ें-असम मॉब लिंचिंग: असम में डॉक्टर की हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य सेवाकर्मी और क्लिनिकल प्रतिष्ठान (हिंसा एवं संपत्ति क्षति निषेध) विधेयक, 2019 का मसौदा जारी किया है. इसमें ड्यूटी पर कार्यरत डॉक्टर या अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मारपीट करने वाले व्यक्ति को अधिकतम 10 साल कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है.

विधेयक के मसौदे को जनता की सलाह के लिए सार्वजनिक पटल पर रखा गया है.

असम में डॉक्टर देबेन दत्त की मौत का हवाला देते हुए डब्ल्यूएमए ने एक खुले पत्र में लिखा है कि यह खबर हमारे लिए चिंता का विषय है. यह भारत में स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हिंसा की बढ़ती घटनाओं को दिखाता है.

नई दिल्लीः इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ होने वाली हिंसा पर लगाम लगाने के लिए बने केन्द्रीय कानून को जल्दी लागू करने की मांग की है. एसोसिएशन ने इसकी जरुरत को रेखांकित करते हुए इस संबंध में अध्यादेश जारी करने का अनुरोध किया है.

असम के चाय बगान में एक डॉक्टर पर हुए जानलेवा हमले के बाद राज्य में स्वास्थ्य कर्मियों के प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में आईएमए ने यह पत्र लिखा है.

आईएमए ने रेखांकित किया कि डर और हिंसा के माहौल में लोगों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा मुहैया कराना संभव नहीं है. आईएमए ने अपने पत्र में पीएम मोदी से अनुरोध किया है कि वह अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में इस पर चर्चा करें.

आईएमए का समर्थन करते हुए दुनियाभर के फिजिशियंस के संगठन वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन (डब्ल्यूएमए) ने भी इस संबंध में पीएम मोदी और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर भारत में स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ बढ़ रही हिंसक घटनाओं पर चिंता जताई है.

पढ़ें-असम मॉब लिंचिंग: असम में डॉक्टर की हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य सेवाकर्मी और क्लिनिकल प्रतिष्ठान (हिंसा एवं संपत्ति क्षति निषेध) विधेयक, 2019 का मसौदा जारी किया है. इसमें ड्यूटी पर कार्यरत डॉक्टर या अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मारपीट करने वाले व्यक्ति को अधिकतम 10 साल कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है.

विधेयक के मसौदे को जनता की सलाह के लिए सार्वजनिक पटल पर रखा गया है.

असम में डॉक्टर देबेन दत्त की मौत का हवाला देते हुए डब्ल्यूएमए ने एक खुले पत्र में लिखा है कि यह खबर हमारे लिए चिंता का विषय है. यह भारत में स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हिंसा की बढ़ती घटनाओं को दिखाता है.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 13:26 HRS IST




             
  • स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हिंसा पर नियंत्रण के लिए अध्यादेश जारी करने की प्रधानमंत्री से मांग



नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) इंडियन मेडिकल एसोएिशन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ होने वाली हिंसा पर लगाम लगाने के लिए बने केन्द्रीय कानून को जल्दी लागू करने की जरुरत को रेखांकित करते हुए इस संबंध में अध्यादेश जारी करने का अनुरोध किया है।



असम के चाय बगान में एक डॉक्टर पर हुए जानलेवा हमले के बाद राज्य में स्वास्थ्य पेशेवरों के प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में आईएमए ने यह पत्र लिखा है।



आईएमए ने रेखांकित किया कि डर और हिंसा के माहौल में लोगों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा मुहैया कराना संभव नहीं है, और अपने पत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अनुरोध किया है कि वह अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में इसपर चर्चा करें।



आईएमए का समर्थन करते हुए दुनियाभर के फिजिशियंस के संगठन वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन (डब्ल्यूएमए) ने भी इस संबंध में प्रधानमंत्री मोदी और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर भारत में स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ बढ़ रही हिंसक घटनाओं पर चिंता जतायी है।



स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य सेवा कर्मी और क्लिनिकल प्रतिष्ठान (हिंसा एवं संपत्ति क्षति निषेध) विधेयक, 2019 का मसौदा जारी किया है। इसमें ड्यूटी पर कार्यरत डॉक्टर या अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मारपीट करने वाले व्यक्ति को अधिकतम 10 साल कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।



विधेयक के मसौदे को जनता की सलाह के लिए सार्वजनिक पटल पर रखा गया है।



असम में डॉक्टर देबेन दत्त की मौत का हवाला देते हुए डब्ल्यूएमए ने एक खुले पत्र में लिखा है कि यह खबर हमारे लिए चिंता का विषय है, यह भारत में स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हिंसा की बढ़ती घटनाओं को दिखाता है।


Conclusion:
Last Updated : Sep 29, 2019, 11:14 AM IST
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