नई दिल्लीः इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ होने वाली हिंसा पर लगाम लगाने के लिए बने केन्द्रीय कानून को जल्दी लागू करने की मांग की है. एसोसिएशन ने इसकी जरुरत को रेखांकित करते हुए इस संबंध में अध्यादेश जारी करने का अनुरोध किया है.
असम के चाय बगान में एक डॉक्टर पर हुए जानलेवा हमले के बाद राज्य में स्वास्थ्य कर्मियों के प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में आईएमए ने यह पत्र लिखा है.
आईएमए ने रेखांकित किया कि डर और हिंसा के माहौल में लोगों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा मुहैया कराना संभव नहीं है. आईएमए ने अपने पत्र में पीएम मोदी से अनुरोध किया है कि वह अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में इस पर चर्चा करें.
आईएमए का समर्थन करते हुए दुनियाभर के फिजिशियंस के संगठन वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन (डब्ल्यूएमए) ने भी इस संबंध में पीएम मोदी और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर भारत में स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ बढ़ रही हिंसक घटनाओं पर चिंता जताई है.
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स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य सेवाकर्मी और क्लिनिकल प्रतिष्ठान (हिंसा एवं संपत्ति क्षति निषेध) विधेयक, 2019 का मसौदा जारी किया है. इसमें ड्यूटी पर कार्यरत डॉक्टर या अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मारपीट करने वाले व्यक्ति को अधिकतम 10 साल कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है.
विधेयक के मसौदे को जनता की सलाह के लिए सार्वजनिक पटल पर रखा गया है.
असम में डॉक्टर देबेन दत्त की मौत का हवाला देते हुए डब्ल्यूएमए ने एक खुले पत्र में लिखा है कि यह खबर हमारे लिए चिंता का विषय है. यह भारत में स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हिंसा की बढ़ती घटनाओं को दिखाता है.