हैदराबाद : अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने अपनी ताजा रिपोर्ट मे कहा है कि विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 का दुनिया भर में असंगठित अर्थव्यवस्था में करोड़ों श्रमिकों और उद्यमों पर तबाही लाने वाला असर पड़ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक महामारी की वजह से कामकाजी घंटों में भारी गिरावट जारी है. असंगठित अर्थव्यवस्था में काम करने वाले लगभग एक अरब 60 करोड़ कामकाजी लोगों की करीब आधी संख्या में लोग अपनी आजीविका खोने के खतरे का सामना कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी की जानकारी के मुताबिक वर्ष 2020 की मौजूदा (दूसरी) तिमाही में कामकाजी घंटों में गिरावट पहले के अनुमानों से भी कहीं अधिक हो सकती है. इस संकट से पहले वर्ष 2019 की चौथी तिमाही के स्तर की तुलना में अब 10.5 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है जो 30 करोड़ से अधिक पूर्णकालिक रोजगारों के समान है. इस अनुमान के लिए एक सप्ताह में 48 कामकाजी घंटों को पैमाना माना गया है.
इससे पहले यह अनुमान 6.7 प्रतिशत की गिरावट का का लगाया गया था, जिसमें 19 करोड़ से अधिक पूर्णकार्लिक कर्मचारियों के रोजगार खो जाने के समान था. इसकी वजह तालाबंदी व अन्य पाबंदियों का जारी रहना बताया गया है. भौगोलिक दृष्टि से सभी बड़े क्षेत्रों में हालात खराब हुए हैं. अनुमानों के मुताबिक वर्ष की दूसरी तिमाही में अमेरिका क्षेत्र में कामकाजी घंटों में संकट से पहले की तुलना में 12.4 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
यूरोप और मध्य एशिया के लिए यह आंकड़ा 11.8 प्रतिशत है जबकि अन्य क्षेत्रों के लिए यह 9.5 प्रतिशत से अधिक बताया गया है.
वहीं श्रम संगठन के महानिदेशक गाय राइडर ने बताया कि लाखों श्रमिकों के पास भोजन के लिए आय, सुरक्षा और भविष्य में गुजर-बसर करने का कोई जरिया नहीं है. दुनिया भर में लाखों व्यवसाय मुश्किल से सांस ले पा रहे हैं. उनके पास बचत या उधार के साधन सुलभ नहीं है. कामकाजी दुनिया के यही वास्तविक चेहरे हैं. अगर हमने मदद नहीं की तो ये बर्बाद हो जाएंगे.
असंगठित अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
वैश्विक कार्यबल की संख्या तीन अरब 30 करोड़ बताई गई है जिनमें से दो अरब से अधिक लोग असंगठित अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं. विश्वव्यापी महामारी के कारण एक बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है और अनौपचारिक क्षेत्र में काम कर रहे एक अरब 60 करोड़ श्रमिकों की कमाई पर असर पड़ा है.
स्वास्थ्य संकट शुरू होने के बाद के पहले महीने में वैश्विक स्तर पर अनौपचारिक श्रमिकों की आय में गिरावट 60 फीसदी आंकी गई है. अफ्रीका और अमेरिका क्षेत्र में यह गिरावट 81 फीसदी, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 21.6 प्रतिशत और यूरोप व मध्य एशिया में 70 प्रतिशत होने का अनुमान है.
जोखिम के कगार पर उद्यम
कार्यस्थल बंद होने के कारण देशों में रहने वाले श्रमिकों का अनुपात पिछले दो हफ्तों में 81 से घटकर 68 प्रतिशत तक आ गया. 81 प्रतिशत के पिछले अनुमान से गिरावट मुख्य रूप से चीन में बदलाव का परिणाम है. अन्य देशों में भी कार्यस्थल बंद करने के में वृद्धि हुई है. दुनिया भर में 43 करोड़ साठ लाख से अधिक उद्यम जोखिम का सामना कर रहे हैं. ये उद्यम सबसे कठिन आर्थिक हालातों में काम कर रहे हैं. इनमें थोक और खुदरा के 23 करोड़ 20 लाख, विनिर्माण क्षेत्र में 11 करोड़ 10 लाख, आवास और खाद्य सेवाओं में पांच करोड़ दस लाख और अचल संपत्ति और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों में चार करोड़ बीस लाख शामिल है
तत्काल लक्षित उपाय की आवश्यकता
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने हालत में बेहतरी के लिए तत्काल लक्षित व लचीले उपाय अपनाने की गुहार लगाई है ताकि श्रमिकों व व्यवसायों को सहारा दिया जा सके, विशेषकर उन छोटे उद्यमों के लिए जो अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा है या फिर नाजुक हालात का सामना कर रहे हैं. आजीविका के वैकल्पिक साधनों के अभाव में प्रभावित श्रमिकों व उनके परिवार के लिए जीवन-यापन बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है.
आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए रोजगार पर केंद्रित रणनीति को अहम बताया गया है जिसके लिए मजबूत रोजगार नीतियां व संस्थाएं, सुसंपन्न और व्यापक सामाजिक संरक्षण प्रणालियों को जरूरी बताया गया है. साथ ही अंतरराष्ट्रीय समन्वय और स्फूर्ति प्रदान करने वाले पैकेज व कर्जमाफी के उपायों से पुनर्बहाली प्रक्रिया को टिकाऊ व प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी. इसे संभव बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों के तहत एक फ़्रेमवर्क तैयार किया जा सकता है.
श्रम संगठन के महानिदेशक गाय राइडर ने बताया कि जैसे-जैसे महामारी और रोजगार के संकट की तस्वीर स्पष्ट हो रही है, सबसे निर्बलों को मदद करने की जरूरत और अधिक तात्कालिक होती जा रही है.