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लॉकडाउन : गुजरात में प्रवासी मजदूरों की पुलिस से झड़प, 11 पुलिसकर्मी घायल

सूरत : गुजरात में सूरत जिले के एक गांव के पास अपने घर जाने की मांग कर रहे सैकड़ों प्रवासी मजदूरों की सोमवार को पुलिस से झड़प हो गई. प्रवासी मजदूरों ने पुलिस पर पथराव किया जिसमें एक आईपीएस अधिकारी समेत 11 पुलिसकर्मी घायल हो गये. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. पढ़ें पूरी खबर...

सूरत में मजदूरों और पुलिस में झड़प, लाठीचार्ज
सूरत में मजदूरों और पुलिस में झड़प, लाठीचार्ज
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Published : May 4, 2020, 3:39 PM IST

Updated : May 4, 2020, 8:56 PM IST

सूरत : गुजरात में सूरत जिले के एक गांव के पास अपने घर जाने की मांग कर रहे सैकड़ों प्रवासी मजदूरों की सोमवार को पुलिस से झड़प हो गई. प्रवासी मजदूरों ने पुलिस पर पथराव किया जिसमें एक आईपीएस अधिकारी समेत 11 पुलिसकर्मी घायल हो गये. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि इसके अलावा राजकोट में भी कई मजदूर सड़कों पर उतर आए. वे मांग कर रहे हैं कि उन्हें उनके घर भेजा जाए. वापस अपने घर नहीं जा सकने वाले कुछ मजदूरों ने सूरत के एक इलाके में अपना सिर मुंडवा लिया.

पुलिस के अधिकारी ने बताया कि सूरत के बाहरी इलाके के वरेली गांव के पास सैकड़ों प्रवासी मजदूरों की पुलिस झड़प हो गई. वे मांग कर रहे थे कि उन्हें उनके मूल स्थान पर भेजने का इंतजाम किया जाए.

सड़क पर उतरे प्रवासी मजदूर.

अधिकारी ने बताया कि उन्होंने पुलिस पर पथराव किया. इसके बाद सुरक्षा कर्मियों ने मजदूरों पर आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया.

अधिकारी ने बताया कि मजदूरों ने सूरत- कडोदरा सड़क पर खड़ी कुछ गाड़ियों को भी क्षतिग्रस्त किया है.

उन्होंने बताया कि हालात को बाद में नियंत्रित कर लिया गया और इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है.

अधिकारी ने बताया कि इस घटना में महानिरीक्षक (सूरत रेंज) एस पांडियन राजकुमार समेत 11 पुलिसकर्मी घायल हो गये. उन्होंने बताया कि अब तक पुलिस ने 80 लोगों को हिरासत में लिया है.

इसके अलावा सूरत के पांडेसारा इलाके में सोमवार को 50 प्रवासी मजदूरों ने अपना सिर मुंडवा लिया. ये प्रवासी उत्तर प्रदेश और झारखंड में स्थित अपने मूल स्थान के लिए रवाना नहीं हो सके.

सूरत में मजदूरों और पुलिस में झड़प, लाठीचार्ज

उन्होंने दावा किया कि दो दिन पहले उनकी बसों को गुजरात से जाने की अनुमति दी गई थी. लेकिन, बाद में स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने 'वैध अनुमति' के अभाव के कारण उन्हें सूरत के कोसांबा में रोक लिया और उनसे वापस जाने के लिए कहा .

श्रमिकों ने कहा कि वे बेसब्री से इसका इंतजार कर रहे हैं कि प्रशासन उन्हें घर वापस जाने की अनुमति दे.

उनमें से एक ने कहा कि उन्होंने काफी मशक्कत के बाद बस के किराया का इंतजाम किया था, जो उन्हें लौटाया नहीं गया है. उन्होंने मांग की कि उत्तर प्रदेश और गुजरात की सरकारें आपस में समन्वय करें ताकि वे जल्द जल्द लौट सकें.

उन्होंने कहा, 'हममें से कई लोगों ने बस के किराए की व्यवस्था करने के लिए अपनी घड़ियां और मोबाइल फोन तक बेच दिए हैं. हम अब भी उसी स्थान पर हैं, जहां से हमारी बसों को चलने की अनुमति नहीं दी गई है. हम यहां फंस गए हैं और अधिकारियों की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है.'

राजकोट के बाहरी इलाके में शापर-वेरावल औद्योगिक इलाके में सैकड़ों प्रवासी मजदूर सड़कों पर उतर आए, वे घर वापस भेजने की मांग कर रहे हैं.

पुलिस ने कहा कि उन्होंने मजदूरों को समझा-बुझाकर उनसे प्रदर्शन खत्म कराया औऱ स्थिति को नियंत्रण में लाए.

राजकोट के पुलिस उपायुक्त (जोन-) रवि मोहन सैनी ने कहा, 'हम प्रवासियों के रिहायशी इलाकों में उन तक सक्रिय रूप से पहुंचे और उन्हें समझाया है कि उन्हें उन वाहनों में जाने की अनुमति दी जाएगी जिनकी उन्होंने स्वयं व्यवस्था की, लेकिन इससे पहले उनकी चिकित्सा जांच होगी और अन्य औपचारिकताओं को पूरा किया जाएगा.'

उन्होंने कहा कि कुछ इलाकों से हमें शिकायत मिली है कि मकान मालिक किराया मांग रहे हैं और फैक्टरी मालिक वेतन नहीं दे रहे हैं.

सैनी ने कहा कि हम ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई करेंगे. अब तक प्रवासी हमारी बात समझ गए हैं और शांत हैं.

कुछ प्रवासी मजदूर घर लौटने वाले फॉर्म को भरने के लिए राजकोट कलेक्टर के दफ्तर पर जमा हो गए और कहा कि उनके पास ना खाना है और ना पैसे हैं.

उत्तर प्रदेश के बदायूं के एक मजदूर ने कहा, 'जिस फैक्टरी में मैं काम करता हूं, वह बंद है और मैं अपने मूल स्थान पर वापस जाना चाहता हूं. वे कहते हैं कि हमें अपने मूल स्थान लौटने के लिए स्वयं वाहनों की व्यवस्था करनी होगी, लेकिन हम चाहते हैं कि सरकार हमें ट्रेनों से भेजे.'

ज्ञात हो कि गुजरात में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या 5428 हो गई है. वहीं अब तक राज्य में 290 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं दूसरी तरफ देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 42533 हो गई है. वहीं अब तक 1373 लोगों की मौत हो चुकी है.

27 फीसदी की दर से ठीक हो रहे कोरोना के मरीज : स्वास्थ्य मंत्रालय

गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस को फैलने के रोकने के लिए 17 मई तक लॉकडाउन है. 23 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन का सबसे बुरा प्रभाव प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से इन मजदूरों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया है. इसी वजह से प्रवासी मजदूर घर जाने की मांग को लेकर देश के कई हिस्सों में सड़क पर उतर रहें है.

सूरत : गुजरात में सूरत जिले के एक गांव के पास अपने घर जाने की मांग कर रहे सैकड़ों प्रवासी मजदूरों की सोमवार को पुलिस से झड़प हो गई. प्रवासी मजदूरों ने पुलिस पर पथराव किया जिसमें एक आईपीएस अधिकारी समेत 11 पुलिसकर्मी घायल हो गये. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि इसके अलावा राजकोट में भी कई मजदूर सड़कों पर उतर आए. वे मांग कर रहे हैं कि उन्हें उनके घर भेजा जाए. वापस अपने घर नहीं जा सकने वाले कुछ मजदूरों ने सूरत के एक इलाके में अपना सिर मुंडवा लिया.

पुलिस के अधिकारी ने बताया कि सूरत के बाहरी इलाके के वरेली गांव के पास सैकड़ों प्रवासी मजदूरों की पुलिस झड़प हो गई. वे मांग कर रहे थे कि उन्हें उनके मूल स्थान पर भेजने का इंतजाम किया जाए.

सड़क पर उतरे प्रवासी मजदूर.

अधिकारी ने बताया कि उन्होंने पुलिस पर पथराव किया. इसके बाद सुरक्षा कर्मियों ने मजदूरों पर आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया.

अधिकारी ने बताया कि मजदूरों ने सूरत- कडोदरा सड़क पर खड़ी कुछ गाड़ियों को भी क्षतिग्रस्त किया है.

उन्होंने बताया कि हालात को बाद में नियंत्रित कर लिया गया और इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है.

अधिकारी ने बताया कि इस घटना में महानिरीक्षक (सूरत रेंज) एस पांडियन राजकुमार समेत 11 पुलिसकर्मी घायल हो गये. उन्होंने बताया कि अब तक पुलिस ने 80 लोगों को हिरासत में लिया है.

इसके अलावा सूरत के पांडेसारा इलाके में सोमवार को 50 प्रवासी मजदूरों ने अपना सिर मुंडवा लिया. ये प्रवासी उत्तर प्रदेश और झारखंड में स्थित अपने मूल स्थान के लिए रवाना नहीं हो सके.

सूरत में मजदूरों और पुलिस में झड़प, लाठीचार्ज

उन्होंने दावा किया कि दो दिन पहले उनकी बसों को गुजरात से जाने की अनुमति दी गई थी. लेकिन, बाद में स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने 'वैध अनुमति' के अभाव के कारण उन्हें सूरत के कोसांबा में रोक लिया और उनसे वापस जाने के लिए कहा .

श्रमिकों ने कहा कि वे बेसब्री से इसका इंतजार कर रहे हैं कि प्रशासन उन्हें घर वापस जाने की अनुमति दे.

उनमें से एक ने कहा कि उन्होंने काफी मशक्कत के बाद बस के किराया का इंतजाम किया था, जो उन्हें लौटाया नहीं गया है. उन्होंने मांग की कि उत्तर प्रदेश और गुजरात की सरकारें आपस में समन्वय करें ताकि वे जल्द जल्द लौट सकें.

उन्होंने कहा, 'हममें से कई लोगों ने बस के किराए की व्यवस्था करने के लिए अपनी घड़ियां और मोबाइल फोन तक बेच दिए हैं. हम अब भी उसी स्थान पर हैं, जहां से हमारी बसों को चलने की अनुमति नहीं दी गई है. हम यहां फंस गए हैं और अधिकारियों की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है.'

राजकोट के बाहरी इलाके में शापर-वेरावल औद्योगिक इलाके में सैकड़ों प्रवासी मजदूर सड़कों पर उतर आए, वे घर वापस भेजने की मांग कर रहे हैं.

पुलिस ने कहा कि उन्होंने मजदूरों को समझा-बुझाकर उनसे प्रदर्शन खत्म कराया औऱ स्थिति को नियंत्रण में लाए.

राजकोट के पुलिस उपायुक्त (जोन-) रवि मोहन सैनी ने कहा, 'हम प्रवासियों के रिहायशी इलाकों में उन तक सक्रिय रूप से पहुंचे और उन्हें समझाया है कि उन्हें उन वाहनों में जाने की अनुमति दी जाएगी जिनकी उन्होंने स्वयं व्यवस्था की, लेकिन इससे पहले उनकी चिकित्सा जांच होगी और अन्य औपचारिकताओं को पूरा किया जाएगा.'

उन्होंने कहा कि कुछ इलाकों से हमें शिकायत मिली है कि मकान मालिक किराया मांग रहे हैं और फैक्टरी मालिक वेतन नहीं दे रहे हैं.

सैनी ने कहा कि हम ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई करेंगे. अब तक प्रवासी हमारी बात समझ गए हैं और शांत हैं.

कुछ प्रवासी मजदूर घर लौटने वाले फॉर्म को भरने के लिए राजकोट कलेक्टर के दफ्तर पर जमा हो गए और कहा कि उनके पास ना खाना है और ना पैसे हैं.

उत्तर प्रदेश के बदायूं के एक मजदूर ने कहा, 'जिस फैक्टरी में मैं काम करता हूं, वह बंद है और मैं अपने मूल स्थान पर वापस जाना चाहता हूं. वे कहते हैं कि हमें अपने मूल स्थान लौटने के लिए स्वयं वाहनों की व्यवस्था करनी होगी, लेकिन हम चाहते हैं कि सरकार हमें ट्रेनों से भेजे.'

ज्ञात हो कि गुजरात में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या 5428 हो गई है. वहीं अब तक राज्य में 290 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं दूसरी तरफ देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 42533 हो गई है. वहीं अब तक 1373 लोगों की मौत हो चुकी है.

27 फीसदी की दर से ठीक हो रहे कोरोना के मरीज : स्वास्थ्य मंत्रालय

गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस को फैलने के रोकने के लिए 17 मई तक लॉकडाउन है. 23 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन का सबसे बुरा प्रभाव प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से इन मजदूरों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया है. इसी वजह से प्रवासी मजदूर घर जाने की मांग को लेकर देश के कई हिस्सों में सड़क पर उतर रहें है.

Last Updated : May 4, 2020, 8:56 PM IST
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