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जामिया मिल्लिया के सौ साल पूरे, आजादी के संघर्ष से निकली है संस्था

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Published : Oct 29, 2020, 11:07 PM IST

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के 100 साल पूरे हो गए हैं. इन सौ सालों में विश्वविद्यालय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. विश्वविद्यालय के आर्काइव विभाग की निर्देशक सबीहा जैदी ने ईटीवी भारत से बातचीत में विश्वविद्यालय के अबतक के सफर के बारे में चर्चा की.

जामिया मिल्लिया के सौ साल पूरे
जामिया मिल्लिया के सौ साल पूरे

नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया के आज 100 साल पूरे हो गए. इसकी शुरुआत देश की आजादी के दौरान हुई. कहा जाता है कि विश्वविद्यालय की स्थापना शिक्षा में स्वाधीनता लाने के उद्देश्य से की गई थी. यह बात जामिया मिल्लिया इस्लामिया के आर्काइव विभाग के निदेशक सबीहा जैदी ने बताया. उन्होंने कहा कि असहयोग आंदोलन के दौरान गांधी जी ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एमएओ कॉलेज) के छात्र यूनियन ऑफिस में आकर छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा था कि हमें एक आजाद इदारा बनाने की जरूरत है.

जामिया मिल्लिया के सौ साल पूरे

इसका असर यह पड़ा कि अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के तकरीबन 300 छात्र और शिक्षक ने मिलकर 29 अक्टूबर 1920 में अलीगढ़ की मस्जिद में जामिया की नींव रखी और इसका उद्घाटन स्वतंत्रता सेनानी मौलाना महमूद हसन ने किया. पहली बैच में 21 छात्रों ने स्नातक किया जिसमें 20 छात्रों ने बीए से तो एक छात्र ने बीएससी से स्नातक की डिग्री पाई.

सौ साल पूरे होने पर छात्रों की प्रतिक्रिया.

अलीगढ़ में पांच साल रहा जामिया

प्रोफेसर जैदी ने बताया कि जामिया की नींव अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में रखी गयी थी. मगर जामिया की शुरुआत के तीसरे दिन में ब्रिटिश सरकार ने ओल्ड बॉयज लॉज को खाली करने का आदेश दिया था. जिसके बाद जामिया का दूसरा घर कृष्ण आश्रम बना. इसमें छह कमरे थे और छात्र के पढ़ने के लिए टेंट लगाए गए थे. वहीं 1922 में असहयोग आंदोलन और 1924 में खिलाफत मूवमेंट वापस लेने की वजह से विश्वविद्यालय को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा.


जामिया 1925 में दिल्ली के करोल बाग में पहुंचा
प्रोफेसर जैदी ने बताया कि 1925 में जामिया दिल्ली के करोल बाग में आया. वहीं 1935 में ओखला में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में प्राइमरी स्कूल की नींव रखी गई. यह नींव विश्वविद्यालय के सबसे छोटे छात्र अब्दुल अजीज ने रखी. साथ ही कहा कि 1947 में देश का बंटवारा हुआ तो, जामिया को उस दंगे में काफी नुकसान हुआ था. लाखों रुपये की किताबें आग में जल गई थी.

जामिया के छात्र आज भी देश के लिए समर्पित
वहीं जैदी की माने तो उस समय अपने मुल्क के लिए छात्रों ने बलिदान दिया था और हमेशा जामिया के छात्र आज़ादी की लड़ाई में आगे रहते थे. उसी तरह आज भी जामिया के छात्रों में देश के प्रति वही प्रेम और समर्पण है. यही वजह है कि जब भी कोई नाजायज फैसला लिया जाता है तो जामिया के छात्र हमेशा अपनी आवाज को बुलंद करने में आगे रहते है.

नर्सरी से पीएचडी तक होती है पढ़ाई
जामिया मिल्लिया इस्लामिया पहली ऐसी यूनिवर्सिटी है, जहां पर नर्सरी से लेकर पीएचडी तक की पढ़ाई होती है. मालूम हो कि जामिया में 9 फैकल्टी, 43 विभाग और 27 सेंटर फ़ॉर हायर स्टडी एंड रिसर्च हैं. इसके अलावा 270 से अधिक पाठ्यक्रम है. हाल ही में इसमेंं 4 और नए विभाग जुड़े हैं.

सौ वर्ष की पूर्व संध्या पर जगमगा उठी जामिया
जामिया आज 100वां वर्ष का जश्न मना रहा है. इससे पहले विश्वविद्यालय पूरी तरह से दूधिया रोशनी से जगमगा उठा था. वहीं जश्न को लेकर विश्वविद्यालय में गुरुवार को सुबह से शाम तक सरकार द्वारा जारी किए गए कोविड के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कई सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए. साथ ही मुशायरे का भी आयोजन किया गया.

नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया के आज 100 साल पूरे हो गए. इसकी शुरुआत देश की आजादी के दौरान हुई. कहा जाता है कि विश्वविद्यालय की स्थापना शिक्षा में स्वाधीनता लाने के उद्देश्य से की गई थी. यह बात जामिया मिल्लिया इस्लामिया के आर्काइव विभाग के निदेशक सबीहा जैदी ने बताया. उन्होंने कहा कि असहयोग आंदोलन के दौरान गांधी जी ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एमएओ कॉलेज) के छात्र यूनियन ऑफिस में आकर छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा था कि हमें एक आजाद इदारा बनाने की जरूरत है.

जामिया मिल्लिया के सौ साल पूरे

इसका असर यह पड़ा कि अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के तकरीबन 300 छात्र और शिक्षक ने मिलकर 29 अक्टूबर 1920 में अलीगढ़ की मस्जिद में जामिया की नींव रखी और इसका उद्घाटन स्वतंत्रता सेनानी मौलाना महमूद हसन ने किया. पहली बैच में 21 छात्रों ने स्नातक किया जिसमें 20 छात्रों ने बीए से तो एक छात्र ने बीएससी से स्नातक की डिग्री पाई.

सौ साल पूरे होने पर छात्रों की प्रतिक्रिया.

अलीगढ़ में पांच साल रहा जामिया

प्रोफेसर जैदी ने बताया कि जामिया की नींव अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में रखी गयी थी. मगर जामिया की शुरुआत के तीसरे दिन में ब्रिटिश सरकार ने ओल्ड बॉयज लॉज को खाली करने का आदेश दिया था. जिसके बाद जामिया का दूसरा घर कृष्ण आश्रम बना. इसमें छह कमरे थे और छात्र के पढ़ने के लिए टेंट लगाए गए थे. वहीं 1922 में असहयोग आंदोलन और 1924 में खिलाफत मूवमेंट वापस लेने की वजह से विश्वविद्यालय को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा.


जामिया 1925 में दिल्ली के करोल बाग में पहुंचा
प्रोफेसर जैदी ने बताया कि 1925 में जामिया दिल्ली के करोल बाग में आया. वहीं 1935 में ओखला में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में प्राइमरी स्कूल की नींव रखी गई. यह नींव विश्वविद्यालय के सबसे छोटे छात्र अब्दुल अजीज ने रखी. साथ ही कहा कि 1947 में देश का बंटवारा हुआ तो, जामिया को उस दंगे में काफी नुकसान हुआ था. लाखों रुपये की किताबें आग में जल गई थी.

जामिया के छात्र आज भी देश के लिए समर्पित
वहीं जैदी की माने तो उस समय अपने मुल्क के लिए छात्रों ने बलिदान दिया था और हमेशा जामिया के छात्र आज़ादी की लड़ाई में आगे रहते थे. उसी तरह आज भी जामिया के छात्रों में देश के प्रति वही प्रेम और समर्पण है. यही वजह है कि जब भी कोई नाजायज फैसला लिया जाता है तो जामिया के छात्र हमेशा अपनी आवाज को बुलंद करने में आगे रहते है.

नर्सरी से पीएचडी तक होती है पढ़ाई
जामिया मिल्लिया इस्लामिया पहली ऐसी यूनिवर्सिटी है, जहां पर नर्सरी से लेकर पीएचडी तक की पढ़ाई होती है. मालूम हो कि जामिया में 9 फैकल्टी, 43 विभाग और 27 सेंटर फ़ॉर हायर स्टडी एंड रिसर्च हैं. इसके अलावा 270 से अधिक पाठ्यक्रम है. हाल ही में इसमेंं 4 और नए विभाग जुड़े हैं.

सौ वर्ष की पूर्व संध्या पर जगमगा उठी जामिया
जामिया आज 100वां वर्ष का जश्न मना रहा है. इससे पहले विश्वविद्यालय पूरी तरह से दूधिया रोशनी से जगमगा उठा था. वहीं जश्न को लेकर विश्वविद्यालय में गुरुवार को सुबह से शाम तक सरकार द्वारा जारी किए गए कोविड के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कई सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए. साथ ही मुशायरे का भी आयोजन किया गया.

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