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लद्दाख में भारत-चीन गतिरोध के बीच कायम है ह्यूमन इंटेलिजेंस का दबदबा - टेक्निकल इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस

भारतीय सेना ने एलएसी से पकड़े गए पीएलए सैनिक को आज पूर्वी लद्दाख के चुशुल-मोल्डो सीमा बिंदु पर चीन को वापस सौंप दिया गया. चीनी सेना ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर की गई संक्षिप्त टिप्पणी में सोमवार को सैनिक की वापसी की बात कही है. पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट

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Published : Jan 11, 2021, 10:34 PM IST

नई दिल्ली : टेक्निकल इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस की चर्चा भले ही आज मिलिट्री वॉर रूम में हो रही है, लेकिन एक अच्छे ह्यूमन इंटेलिजेंस को मात देने से बेहतर कुछ नहीं है और इसीलिए, स्पेस सेटेलाइट सहित टेक्निकल इंटेलिजेंस, इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस उपकरण और मानव रहित हवाई वाहनों (ड्रोन) की एक सरणी के बावजूद जासूसी करने के लिए ह्यूमन इंटेलिजेंस बेजोड़ माना जाता है.

यह ही कारण है पूर्वी लद्दाख में कड़ाके की ठंड और पूरी तरह से बर्फ ढके होने के वाबजूद दुनिया की दो सबसे बड़ी सेनाओं द्वारा कई गतिरोध वाली जगह पर ह्यूमन इंटेलिजेंस मिशन लगातार जारी हैं.

नाम न छापने की शर्त पर एक सेवारत भारतीय सैन्य अधिकारी ने बताया कि भारतीय सेना द्वारा पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट पर शुक्रवार को एक पीएलए सैनिक को पकड़ा.

उन्होंने कहा कि चीनी सिपाही हमारी तैनाती के अधिक विवरणों का पता लगाने के लिए एक जांच या स्काउटिंग मिशन पर हो सकता है. हालांकि इस तरह की चीजें हमारे मुख्य उद्देश्य , हमारे सतर्कता स्तर या हमारे सैनिकों की सतर्कता के लिए परीक्षण होगा. मूलतः ये माइंड-गेम हैं जो चालू हैं.

पकड़े जाने पर सिपाह, जो तर्क देते हैं उनमें बर्फ, जटिल भूगोल, रास्ता भटक गए और यहां तक कि अंधेरा भी शामिल है.

अधिकारी ने बताया कि बीजिंग राज्य द्वारा नियंत्रित मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख प्रकाशित किया, जिसमें भारत के सतर्क सैनिकों की प्रशंसा की गई थी.

लेख में तियान्हुआ विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय रणनीति संस्थान में अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग के हवाले से कहा गया था कि दोनों पक्षों के सैनिकों की तादाद को देखते एलएसी पर सैनिकों का खो जाना एक असमान्य नहीं है.

इसी लेख में कहा गया है कि यह भी पता चलता है कि तनावपूर्ण स्थिति के बीच भारत उच्च सतर्कता रखता है.

इस बीच भारतीय सेना ने पीएलए के सैनिक को सोमवार सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर पूर्वी लद्दाख के चुशुल-मोल्डो सीमा बिंदु पर चीन को वापस सौंप दिया गया.

शिंघुआ विश्वविद्यालय में चीन के नेशनल स्ट्रेटजी इंस्टीट्यूट के शोध विभाग के निदेशक कियान फेंग ने सरकारी ग्लोबल टाइम्स को बताया, 'लापता चीनी सैनिक की वापसी दोनों देशों के बीच सीमा नियमन तंत्र पर बनी सहमति के अनुरूप हुई है.'

चीनी सैनिक की वापसी पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, 'चार दिनों के अंदर चीनी सैनिक को वापस कर भारत ने सीमा पर तनाव कम करने की सद्भावना दिखाई है.'

चीनी सेना ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर की गई संक्षिप्त टिप्पणी में सोमवार को सैनिक की वापसी की बात कही है.

बयान में कहा गया, 'चीन और भारत के बीच हुए समझौते के तहत, अंधेरे और जटिल पहाड़ी भू-भाग की वजह से खो गए एक चीनी सीमा सैनिक को भारतीय पक्ष ने 11 जनवरी 2021 की दोपहर को चीनी सीमा सैनिकों को सौंप दिया.'

पढ़ें - LAC पर 'कांपी' चीनी सेना, 10 हजार सैनिकों को वापस बुलाया

चीन के सीमा बलों ने शनिवार को कहा था कि अंधेरे और जटिल भूगोल की वजह से एक चीनी सैनिक शुक्रवार सुबह चीन-भारत सीमा पर लापता हो गया था और भारतीय पक्ष से उसे लौटाने को कहा गया था.

सीमा पर मई से जारी गतिरोध के बीच यह दूसरा मौका है जब भारत ने अपने कब्जे में आए चीनी सैनिक को लौटाया है.

इससे पहले 18 अक्टूबर को चीन-भारत सीमा पर एक चरवाहे की उसकी याक खोजने में मदद करने के दौरान एक सैनिक कथित तौर पर लापता हो गया था.

भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख में आठ महीनों से भी ज्यादा समय से गतिरोध बना हुआ है. यह गतिरोध पिछले साल मई में शुरू हुआ था जब पैंगोंग झील इलाके में दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई थी.

नई दिल्ली : टेक्निकल इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस की चर्चा भले ही आज मिलिट्री वॉर रूम में हो रही है, लेकिन एक अच्छे ह्यूमन इंटेलिजेंस को मात देने से बेहतर कुछ नहीं है और इसीलिए, स्पेस सेटेलाइट सहित टेक्निकल इंटेलिजेंस, इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस उपकरण और मानव रहित हवाई वाहनों (ड्रोन) की एक सरणी के बावजूद जासूसी करने के लिए ह्यूमन इंटेलिजेंस बेजोड़ माना जाता है.

यह ही कारण है पूर्वी लद्दाख में कड़ाके की ठंड और पूरी तरह से बर्फ ढके होने के वाबजूद दुनिया की दो सबसे बड़ी सेनाओं द्वारा कई गतिरोध वाली जगह पर ह्यूमन इंटेलिजेंस मिशन लगातार जारी हैं.

नाम न छापने की शर्त पर एक सेवारत भारतीय सैन्य अधिकारी ने बताया कि भारतीय सेना द्वारा पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट पर शुक्रवार को एक पीएलए सैनिक को पकड़ा.

उन्होंने कहा कि चीनी सिपाही हमारी तैनाती के अधिक विवरणों का पता लगाने के लिए एक जांच या स्काउटिंग मिशन पर हो सकता है. हालांकि इस तरह की चीजें हमारे मुख्य उद्देश्य , हमारे सतर्कता स्तर या हमारे सैनिकों की सतर्कता के लिए परीक्षण होगा. मूलतः ये माइंड-गेम हैं जो चालू हैं.

पकड़े जाने पर सिपाह, जो तर्क देते हैं उनमें बर्फ, जटिल भूगोल, रास्ता भटक गए और यहां तक कि अंधेरा भी शामिल है.

अधिकारी ने बताया कि बीजिंग राज्य द्वारा नियंत्रित मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख प्रकाशित किया, जिसमें भारत के सतर्क सैनिकों की प्रशंसा की गई थी.

लेख में तियान्हुआ विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय रणनीति संस्थान में अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग के हवाले से कहा गया था कि दोनों पक्षों के सैनिकों की तादाद को देखते एलएसी पर सैनिकों का खो जाना एक असमान्य नहीं है.

इसी लेख में कहा गया है कि यह भी पता चलता है कि तनावपूर्ण स्थिति के बीच भारत उच्च सतर्कता रखता है.

इस बीच भारतीय सेना ने पीएलए के सैनिक को सोमवार सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर पूर्वी लद्दाख के चुशुल-मोल्डो सीमा बिंदु पर चीन को वापस सौंप दिया गया.

शिंघुआ विश्वविद्यालय में चीन के नेशनल स्ट्रेटजी इंस्टीट्यूट के शोध विभाग के निदेशक कियान फेंग ने सरकारी ग्लोबल टाइम्स को बताया, 'लापता चीनी सैनिक की वापसी दोनों देशों के बीच सीमा नियमन तंत्र पर बनी सहमति के अनुरूप हुई है.'

चीनी सैनिक की वापसी पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, 'चार दिनों के अंदर चीनी सैनिक को वापस कर भारत ने सीमा पर तनाव कम करने की सद्भावना दिखाई है.'

चीनी सेना ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर की गई संक्षिप्त टिप्पणी में सोमवार को सैनिक की वापसी की बात कही है.

बयान में कहा गया, 'चीन और भारत के बीच हुए समझौते के तहत, अंधेरे और जटिल पहाड़ी भू-भाग की वजह से खो गए एक चीनी सीमा सैनिक को भारतीय पक्ष ने 11 जनवरी 2021 की दोपहर को चीनी सीमा सैनिकों को सौंप दिया.'

पढ़ें - LAC पर 'कांपी' चीनी सेना, 10 हजार सैनिकों को वापस बुलाया

चीन के सीमा बलों ने शनिवार को कहा था कि अंधेरे और जटिल भूगोल की वजह से एक चीनी सैनिक शुक्रवार सुबह चीन-भारत सीमा पर लापता हो गया था और भारतीय पक्ष से उसे लौटाने को कहा गया था.

सीमा पर मई से जारी गतिरोध के बीच यह दूसरा मौका है जब भारत ने अपने कब्जे में आए चीनी सैनिक को लौटाया है.

इससे पहले 18 अक्टूबर को चीन-भारत सीमा पर एक चरवाहे की उसकी याक खोजने में मदद करने के दौरान एक सैनिक कथित तौर पर लापता हो गया था.

भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख में आठ महीनों से भी ज्यादा समय से गतिरोध बना हुआ है. यह गतिरोध पिछले साल मई में शुरू हुआ था जब पैंगोंग झील इलाके में दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई थी.

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