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पिछले दो दशकों में जलवायु आपदाओं में हुई चिंताजनक बढ़ोतरी - संयुक्त राष्ट्र कार्यालय

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो दशकों में जलवायु आपदाओं में भारी बढ़ोतरी हुई है. रिपोर्ट में विनाशकारी आपदाओं से बचाव की पुख्ता तैयारी करने की बात कही गई है.

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Published : Oct 13, 2020, 2:10 PM IST

Updated : Oct 13, 2020, 2:20 PM IST

हैदराबाद: आपदा जोखिम को कम करने को लेकर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UN Office on Disaster Risk Reduction) ने विश्व के सभी देशों के नाम एक अपील जारी की है. इसमें भूंकप, जैविक खतरों, सूनामी लहरों सहित अन्य विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं से बचाव की पुख्ता तैयारी करने की बात कही है. साथ ही रिपोर्ट में पिछले दो दश्कों में जलवायु आपदाओं में हुई बढ़ोतरी की जानकारी दी गई है.

अक्टूबर 13 को विश्वभर में अंतरराष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस मनाया जा रहा है. इसका उद्देश्य आपदाओं के प्रति लोगों को जागरूक करना है ताकि इनसे होने वाले जान-माल के नुकसान को कम किया जा सके.

रिपोर्ट के आंकड़े इमरजेंसी इवेंट्स डेटाबेस (EM-DAT) के हैं और सेंटर फॉर रिसर्च ऑन द एपिडेमियोलॉजी ऑफ डिजास्टर्स (CRED) द्वारा बनाए गए हैं जो आपदाओं को रिकॉर्ड करते हैं.

रिपोर्ट में-

रिपोर्ट के मुताबिक अब तक विश्व भर में पिछले दो दशकों में 7,348 आपदा घटनाएं दर्ज की गई हैं. जिनमें 12 लाख से अधिक लोगों की जान चली गई.

वहीं इस आपदाओं से अब तक कुल चार अरब से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. इनमें से कई लोग एक से अधिक बार प्रभावित हो चुके हैं.

देखा जाए तो पिछले दो दशकों में विश्व में आई त्रासदियों के कारण विश्व अर्थव्यवस्था को 2.97 ट्रिलियन डॉलर की रकम का नुकसान हुआ है.

प्राकृतिक आपदाओं से जुड़े मामले

2000 से 2019 की तुलना में उसके अतीत के दो दशकों (1980 से 1999) प्राकृतिक आपदाओं के चार हजार से अधिक मामले (4,212) ही दर्ज किये गए थे और 11 लाख 90 हजार लोगों की मौत हुई थी. इन आपदाओं में तीन अरब से अधिक लोग प्रभावित हुए थे और वैश्विक अर्थव्यवस्था को 1.63 ट्रिलियन डॉलर की हानी हुई थी.

त्रासदियों में सबसे अधिक घटनाएं बाढ़ संबंधी हैं. इन 20 सालों में बाढ़ जनित घटनाओं की संख्या 1,389 से बढ़कर 3,254 तक जा पहुंची. वहीं तूफान की 1,457 से बढ़कर 2,034 हो गई.

पढ़ें: सैन्य वार्ता में भारत ने कहा- सैनिकों को जल्द पीछे हटाए चीन

रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2019 में वैश्विक औसत तापमान पूर्व औद्योगिक काल के स्तर की तुलना में 1.1 डिग्री सैल्सियस अधिक था. इसके परिणामस्वरूप चरम मौसम की घटनाओं में गर्म हवाएं, तूफान, सूखा, बाढ़, और जंगलों में लगने वाली आग शामिल हैं. इस तरह की घटनाएं पिछले दो दशकों में बढ़ी हैं. वहीं सुनामी और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में काफी संख्या में लोग मारे गए.

हैदराबाद: आपदा जोखिम को कम करने को लेकर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UN Office on Disaster Risk Reduction) ने विश्व के सभी देशों के नाम एक अपील जारी की है. इसमें भूंकप, जैविक खतरों, सूनामी लहरों सहित अन्य विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं से बचाव की पुख्ता तैयारी करने की बात कही है. साथ ही रिपोर्ट में पिछले दो दश्कों में जलवायु आपदाओं में हुई बढ़ोतरी की जानकारी दी गई है.

अक्टूबर 13 को विश्वभर में अंतरराष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस मनाया जा रहा है. इसका उद्देश्य आपदाओं के प्रति लोगों को जागरूक करना है ताकि इनसे होने वाले जान-माल के नुकसान को कम किया जा सके.

रिपोर्ट के आंकड़े इमरजेंसी इवेंट्स डेटाबेस (EM-DAT) के हैं और सेंटर फॉर रिसर्च ऑन द एपिडेमियोलॉजी ऑफ डिजास्टर्स (CRED) द्वारा बनाए गए हैं जो आपदाओं को रिकॉर्ड करते हैं.

रिपोर्ट में-

रिपोर्ट के मुताबिक अब तक विश्व भर में पिछले दो दशकों में 7,348 आपदा घटनाएं दर्ज की गई हैं. जिनमें 12 लाख से अधिक लोगों की जान चली गई.

वहीं इस आपदाओं से अब तक कुल चार अरब से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. इनमें से कई लोग एक से अधिक बार प्रभावित हो चुके हैं.

देखा जाए तो पिछले दो दशकों में विश्व में आई त्रासदियों के कारण विश्व अर्थव्यवस्था को 2.97 ट्रिलियन डॉलर की रकम का नुकसान हुआ है.

प्राकृतिक आपदाओं से जुड़े मामले

2000 से 2019 की तुलना में उसके अतीत के दो दशकों (1980 से 1999) प्राकृतिक आपदाओं के चार हजार से अधिक मामले (4,212) ही दर्ज किये गए थे और 11 लाख 90 हजार लोगों की मौत हुई थी. इन आपदाओं में तीन अरब से अधिक लोग प्रभावित हुए थे और वैश्विक अर्थव्यवस्था को 1.63 ट्रिलियन डॉलर की हानी हुई थी.

त्रासदियों में सबसे अधिक घटनाएं बाढ़ संबंधी हैं. इन 20 सालों में बाढ़ जनित घटनाओं की संख्या 1,389 से बढ़कर 3,254 तक जा पहुंची. वहीं तूफान की 1,457 से बढ़कर 2,034 हो गई.

पढ़ें: सैन्य वार्ता में भारत ने कहा- सैनिकों को जल्द पीछे हटाए चीन

रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2019 में वैश्विक औसत तापमान पूर्व औद्योगिक काल के स्तर की तुलना में 1.1 डिग्री सैल्सियस अधिक था. इसके परिणामस्वरूप चरम मौसम की घटनाओं में गर्म हवाएं, तूफान, सूखा, बाढ़, और जंगलों में लगने वाली आग शामिल हैं. इस तरह की घटनाएं पिछले दो दशकों में बढ़ी हैं. वहीं सुनामी और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में काफी संख्या में लोग मारे गए.

Last Updated : Oct 13, 2020, 2:20 PM IST
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