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सबरीमला में संक्रांति : भगवान अयप्पा के मंदिर में मकर ज्योति की झलक पाने जुटे श्रद्धालु - सबरीमला में मकर संक्रांति

मकर संक्रांति के खास अवसर पर केरल में मकरविलक्कु का आयोजन किया जाता है. हर साल होने वाले इस उत्सव का आयोजन सबरीमाला भगवान अयप्पा मंदिर में किया जाता है. इस दौरान मकर ज्योति की एक झलक पाने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पूरे स्थान को घेर लिया. साथ ही पूरे समय में भगवान अयप्पा के जप से पूरा मंदिर गूंज उठा.

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मकरविलक्कु का आयोजन
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Published : Jan 16, 2020, 12:04 AM IST

तिरुवनंतपुरम : भगवान अयप्पा मंदिर में शुभ मकरविलक्कु की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली. हर साल होने वाले इस उत्सव का आयोजन सबरीमाला भगवान अयप्पा मंदिर में किया जाता है. इस दौरान मकर ज्योति की एक झलक पाने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पूरे स्थान को घेर लिया. साथ ही पूरे समय में भगवान अयप्पा के जप से पूरा मंदिर गूंज उठा.

शाम को 'गहनराधना' के बाद मंदिर खोला गया, जिसमें भगवान अयप्पा की मूर्ति पवित्र आभूषण 'थिरुवभरणम' के साथ दान की गई, जिसे 06.35 मिनट तक सनिदानम पहुंचाया गया.

सबरीमला में मकर संक्रांति

मंदिर के कार्यकारी अधिकारी राजेंद्र प्रसाद की अगुवाई में एक दल ने तेरुवाभरणम से जुलूस निकाला, जुलूस में सम्मिलित लोग पहले दिन तीर्थस्थल सर्वमूर्ति में रुके.

उसके बाद उन्हें पंडालम महल से लाए गए थे, जहां किंवदंती के अनुसार, भगवान अयप्पा ने अपना बचपन बिताया था. बाद में, राज्य के देवस्वोम मंत्री, टीडीबी के अध्यक्ष और विशेष आयुक्त के साथ पवित्र गहना बॉक्स टीम को सौंप दिया गया और उन्हें सानिधनम लाया गया.

भीड़ प्रबंधन के लिए और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मंदिर के आसपास पुलिस, एनडीआरएफ और रैपिड रिस्पांस फोर्स के कर्मियों को तैनात किया गया था.

तिरुवनंतपुरम : भगवान अयप्पा मंदिर में शुभ मकरविलक्कु की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली. हर साल होने वाले इस उत्सव का आयोजन सबरीमाला भगवान अयप्पा मंदिर में किया जाता है. इस दौरान मकर ज्योति की एक झलक पाने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पूरे स्थान को घेर लिया. साथ ही पूरे समय में भगवान अयप्पा के जप से पूरा मंदिर गूंज उठा.

शाम को 'गहनराधना' के बाद मंदिर खोला गया, जिसमें भगवान अयप्पा की मूर्ति पवित्र आभूषण 'थिरुवभरणम' के साथ दान की गई, जिसे 06.35 मिनट तक सनिदानम पहुंचाया गया.

सबरीमला में मकर संक्रांति

मंदिर के कार्यकारी अधिकारी राजेंद्र प्रसाद की अगुवाई में एक दल ने तेरुवाभरणम से जुलूस निकाला, जुलूस में सम्मिलित लोग पहले दिन तीर्थस्थल सर्वमूर्ति में रुके.

उसके बाद उन्हें पंडालम महल से लाए गए थे, जहां किंवदंती के अनुसार, भगवान अयप्पा ने अपना बचपन बिताया था. बाद में, राज्य के देवस्वोम मंत्री, टीडीबी के अध्यक्ष और विशेष आयुक्त के साथ पवित्र गहना बॉक्स टीम को सौंप दिया गया और उन्हें सानिधनम लाया गया.

भीड़ प्रबंधन के लिए और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मंदिर के आसपास पुलिस, एनडीआरएफ और रैपिड रिस्पांस फोर्स के कर्मियों को तैनात किया गया था.

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 Huge crowd gathered at the hilltop Ayyappa temple to witness the auspicious Makaravilakku,

Sabarimala: Huge crowd gathered at the hilltop Ayyappa temple to witness the auspicious Makaravilakku, after which the over two-month-long annual pilgrim season ends. Thousands of devotees occupied different points in and around Sabarimala, hours before the ceremony, to have a glance of the Makarajyothi.  Throughout the time, the 'sannidhanam'  and base camp echoed with the voice of devotees chanting Swamiye Saranam Ayyappa.  The shrine opened after the 'deeparadhana' in the evening, with idol of Lord Ayyappa donned with holy jewels 'Thiruvabharanam' which reached sannidanam by 06.35pm.  A team led by temple executive officer Rajendra Prasad, received the procession carrying thiruvabharanam, earlier the day at Saramkuthi, a pilgrim spot on the way to the shrine. The jewels were brought from the Pandalam palace, where, according to legend, Lord Ayyappa had spent his childhood. Later, the sacred jewel box was handed over to the team comprising state Devaswom Minister, TDB president and special commissioner and was brought to Sannidhanam.  The ritualistic deeparadhana (aarthi) was held at Ponnambalamedu, the hill facing the shrine, as part of the annual festivities. The 'Saranam Ayyappa' chants intensified when the 'makarajyothi', considered a divine light by devotees, flared across the eastern horizon soon after the aarati.  More personnel of police, NDRF and Rapid Response Force were deployed in and around the shrine for crowd management and to ensure the safety of devotees.
 

Conclusion:
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