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मौजूदा परिस्थिति में डिजिटल शिक्षा एकमात्र विकल्प : निशंक

मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का कहना है कि कोरोना संकट और लॉकडाउन जैसी परिस्थिति में डिजिटल शिक्षा के अलावा कोई रास्ता नहीं है और डिजिटल शिक्षा ही आगे चल कर प्रगति का आधार बनेगा.

रमेश पोखरियाल निशंक
रमेश पोखरियाल निशंक
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Published : Jun 28, 2020, 8:01 AM IST

नई दिल्ली : कोरोना संकट और लॉकडाउन जैसी परिस्थिति में डिजिटल शिक्षा के अलावा कोई रास्ता नहीं था और डिजिटल शिक्षा ही आगे चल कर प्रगति का आधार बनेगा. मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 'वर्तमान परिस्थिति में डिजिटल शिक्षा, चुनौतियां और अवसर' विषय पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए ये बातें कही हैं.

एक तरफ जहां शिक्षाविद्, विशेषज्ञ और शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे कई गैर सरकारी संगठन ऑनलाइन शिक्षा की आलोचना कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ सरकार लगातार डिजिटल शिक्षा पर जोर दे रही है.

विशेषज्ञों का मानना है कि ऑनलाइन शिक्षा कभी भी सामान्य क्लासरूम शिक्षा का विकल्प नहीं बन सकती. साथ ही उनका यह भी मानना है कि जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा शिक्षा से दूर हो जाएगा. लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्री ने शनिवार को वेबिनार में अपने संबोधन के दौरान इस विषय पर बोलते हुए कहा कि डिजिटल के अलावा अभी कोई और विकल्प मौजूद नहीं है और देशभर में लाखों छात्रों को आज सरकार द्वारा लॉन्च किए गए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का लाभ मिलना शुरू हो गया है.

उन्होंने कहा कि हमने जब NEET और JEE की परीक्षाओं की तिथि जारी की, उसके बाद कई अभ्यर्थियों ने ये समस्या सामने रखी कि लॉकडाउन और महामारी के संकट में न तो वो कोचिंग जा सकते हैं और न ही मॉक टेस्ट का ही अभ्यास कर पा रहे हैं. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने इसे तुरंत संज्ञान में लेते हुए एक अभ्यास ऐप तैयार किया, जिसे 10 लाख छात्रों ने डाउनलोड किया है. लगभग आठ लाख छात्र इस पर टेस्ट का अभ्यास कर चुके हैं. इस ऐप को फिर एनटीए ने हिन्दी भाषा के छात्रों के लिए भी बनाया. इस तरह से एक डिजिटल प्लेटफॉर्म का लाभ लाखों छात्रों को मिल रहा है.

केंद्रीय मंत्री निशंक ने बताया कि सरकार ने देशभर के 100 से ज्यादा विश्वविद्यालयों को ऑनलाइन पाठ्यक्रम चलाने के लिए अनुमति दी है और आगे इसको और भी बढ़ाएंगे.

डिजिटल की पैरोकार मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि करोड़ों छात्रों तक तकनीक के माध्यम से शिक्षा सामग्री को कैसे पहुंचाई जाएगी. इस विषय पर रमेश पोखरियाल निशंक ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक देश एक डिजिटल प्लेटफॉर्म और एक क्लास एक चैनल का आह्वान किया है जिस पर तेजी से काम शुरू हो गया है. सरकार का लक्ष्य है कि शिक्षा उस छात्र तक भी पहुंचे जिसके पास स्मार्टफोन, इंटरनेट या कंप्यूटर की सुविधा नहीं है. हम अंतिम छोर तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं.

मानव संसाधन विकास मंत्री ने आगे बताया कि नई शिक्षा नीति में भी डिजिटल पर भरपूर जोर होगा. इसमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी, शोध के साथ-साथ भारत और भारतीयता को आधार बनाया गया है. नई शिक्षा नीति में सभी 22 भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम तैयार होगा और डिजिटल तकनीक के माध्यम से उसका प्रसार किया जाएगा.

निशंक ने शनिवार को G-20 देशों के शिक्षा मंत्रियों के एक सम्मेलन में भी ऑनलाइन के माध्यम से हिस्सा लिया. उन्होंने कहा कि शिक्षा का मूल मानक तो वही रहेगा लेकिन डिजिटल के साथ इसे और मजबूती मिलेगी.

वर्तमान में कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण सभी शिक्षण संस्थानों को बंद रखा गया है. बोर्ड परीक्षाओं को भी बीच में ही रोक दिया गया था और अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया है.

सरकार ने लॉकडाउन के बीच ई-पाठशाला, स्वयं प्रभा जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए छात्रों तक पाठ्य सामग्री पहुंचाने का काम किया है और कई ऐसे पोर्टल भी लॉन्च किए गए हैं, जिसके माध्यम से सभी वर्ग और क्षेत्र के छात्र पढ़ाई से जुड़े रह सकते हैं.

नई दिल्ली : कोरोना संकट और लॉकडाउन जैसी परिस्थिति में डिजिटल शिक्षा के अलावा कोई रास्ता नहीं था और डिजिटल शिक्षा ही आगे चल कर प्रगति का आधार बनेगा. मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 'वर्तमान परिस्थिति में डिजिटल शिक्षा, चुनौतियां और अवसर' विषय पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए ये बातें कही हैं.

एक तरफ जहां शिक्षाविद्, विशेषज्ञ और शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे कई गैर सरकारी संगठन ऑनलाइन शिक्षा की आलोचना कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ सरकार लगातार डिजिटल शिक्षा पर जोर दे रही है.

विशेषज्ञों का मानना है कि ऑनलाइन शिक्षा कभी भी सामान्य क्लासरूम शिक्षा का विकल्प नहीं बन सकती. साथ ही उनका यह भी मानना है कि जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा शिक्षा से दूर हो जाएगा. लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्री ने शनिवार को वेबिनार में अपने संबोधन के दौरान इस विषय पर बोलते हुए कहा कि डिजिटल के अलावा अभी कोई और विकल्प मौजूद नहीं है और देशभर में लाखों छात्रों को आज सरकार द्वारा लॉन्च किए गए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का लाभ मिलना शुरू हो गया है.

उन्होंने कहा कि हमने जब NEET और JEE की परीक्षाओं की तिथि जारी की, उसके बाद कई अभ्यर्थियों ने ये समस्या सामने रखी कि लॉकडाउन और महामारी के संकट में न तो वो कोचिंग जा सकते हैं और न ही मॉक टेस्ट का ही अभ्यास कर पा रहे हैं. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने इसे तुरंत संज्ञान में लेते हुए एक अभ्यास ऐप तैयार किया, जिसे 10 लाख छात्रों ने डाउनलोड किया है. लगभग आठ लाख छात्र इस पर टेस्ट का अभ्यास कर चुके हैं. इस ऐप को फिर एनटीए ने हिन्दी भाषा के छात्रों के लिए भी बनाया. इस तरह से एक डिजिटल प्लेटफॉर्म का लाभ लाखों छात्रों को मिल रहा है.

केंद्रीय मंत्री निशंक ने बताया कि सरकार ने देशभर के 100 से ज्यादा विश्वविद्यालयों को ऑनलाइन पाठ्यक्रम चलाने के लिए अनुमति दी है और आगे इसको और भी बढ़ाएंगे.

डिजिटल की पैरोकार मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि करोड़ों छात्रों तक तकनीक के माध्यम से शिक्षा सामग्री को कैसे पहुंचाई जाएगी. इस विषय पर रमेश पोखरियाल निशंक ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक देश एक डिजिटल प्लेटफॉर्म और एक क्लास एक चैनल का आह्वान किया है जिस पर तेजी से काम शुरू हो गया है. सरकार का लक्ष्य है कि शिक्षा उस छात्र तक भी पहुंचे जिसके पास स्मार्टफोन, इंटरनेट या कंप्यूटर की सुविधा नहीं है. हम अंतिम छोर तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं.

मानव संसाधन विकास मंत्री ने आगे बताया कि नई शिक्षा नीति में भी डिजिटल पर भरपूर जोर होगा. इसमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी, शोध के साथ-साथ भारत और भारतीयता को आधार बनाया गया है. नई शिक्षा नीति में सभी 22 भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम तैयार होगा और डिजिटल तकनीक के माध्यम से उसका प्रसार किया जाएगा.

निशंक ने शनिवार को G-20 देशों के शिक्षा मंत्रियों के एक सम्मेलन में भी ऑनलाइन के माध्यम से हिस्सा लिया. उन्होंने कहा कि शिक्षा का मूल मानक तो वही रहेगा लेकिन डिजिटल के साथ इसे और मजबूती मिलेगी.

वर्तमान में कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण सभी शिक्षण संस्थानों को बंद रखा गया है. बोर्ड परीक्षाओं को भी बीच में ही रोक दिया गया था और अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया है.

सरकार ने लॉकडाउन के बीच ई-पाठशाला, स्वयं प्रभा जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए छात्रों तक पाठ्य सामग्री पहुंचाने का काम किया है और कई ऐसे पोर्टल भी लॉन्च किए गए हैं, जिसके माध्यम से सभी वर्ग और क्षेत्र के छात्र पढ़ाई से जुड़े रह सकते हैं.

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