ETV Bharat / bharat

कैसे रखें 30 के बाद स्वास्थ्य का ख्याल

author img

By

Published : Nov 6, 2020, 4:55 PM IST

Updated : Nov 7, 2020, 12:08 PM IST

प्रौढ़ अवस्था की देहलीज की पहली सीढ़ी 30 साल की उम्र को मानी जाती है. यही वह उम्र होती है, जब हमारे शरीर के सभी तंत्रों की कार्य क्षमता धीमी होने लगती है. लेकिन जीवन में थोड़े से नियमों का पालन कर हम एक स्वस्थ और लंबा जीवन जी सकते हैं.

Health care in elder age
बढ़ती उम्र में स्वास्थ्य का ख्याल

30 वर्ष की आयु में व्यक्ति युवावस्था से प्रौढ़ अवस्था की तरफ कदम बढ़ाता है. इस उम्र के बाद महिला तथा पुरुष दोनों के शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ने लगता है. लाइफस्टाइल और खानपान में जरा सी लापरवाही उनके स्वास्थ्य पर रेड अलर्ट दिखाने लगती है. इसलिए बहुत जरूरी है कि 30 वर्ष होते ही व्यक्ति अपनी जीवन शैली में बदलाव लेकर आए, स्वस्थ आदतों को अपनाएं तथा व्यायाम को अपनी नियमित जीवन का हिस्सा बनाएं. उम्र 30 की हो या फिर उससे ज्यादा, व्यक्ति सुखी रहे और सफल रहे, इसके लिए उसे निम्न बातों को अपनी जीवन शैली में शामिल करना चाहिए.

खाने पर रखे संयम

बचपन हो या युवावस्था हम कुछ भी खाते हैं तो आमतौर पर सब पच जाता है और हमारे शरीर पर या स्वास्थ्य पर उसका नकारात्मक असर कम देखने में आता है. लेकिन 30 वर्ष की उम्र होते ही हमारे शरीर की मशीनरी की रफ्तार कुछ कम हो जाती है. ऐसे में यदि हम ज्यादा वसा युक्त भोजन, मिर्च मसाले से भरा हुआ भोजन, जंक फूड, अधिक मीठा भोजन खाते हैं, तो शरीर में कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह या उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं.

ऐसे में बहुत जरूरी है कि भोजन संबंधी नियम बनाए जाए. जैसे निर्धारित समय पर भोजन करें, ताजा, सुपाच्य तथा पौष्टिक भोजन करें, खाने में फलों की मात्रा बढ़ाई जाए. फाइबर युक्त भोजन हमारे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में काफी मददगार साबित होता है. सूखे मेवों को भी अपनी खुराक में शामिल किया जा सकता है. खाने में नमक कम से कम हो, और मीठा भी संयमित मात्रा में खाया जाए. खान-पान पर संयम हमें बहुत सी बीमारियों से बचा सकता है.

व्यायाम जरूरी है

खाने पर नियंत्रण के साथ ही स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि नियमित तौर पर व्यायाम किया जाए. योगा, कसरत या जिम जाकर नियमित तौर पर व्यायाम करने से ना सिर्फ वजन पर नियंत्रण रखा जा सकता है, बल्कि शरीर के सभी तंत्रों को भी स्वस्थ रखा जा सकता है. चिकित्सा विज्ञान के अनुसार यदि हम नियमित तौर पर व्यायाम को अपनी जीवनशैली में शामिल करते हैं, तो हम लंबा तथा स्वस्थ जीवन जी सकते हैं.

तनाव से बनाए दूरी

30 साल की उम्र ना सिर्फ हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डालती है, बल्कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है. परिवार को चलाने का दबाव, ऑफिस का दबाव और जीवनशैली को मेंटेन रखने का दबाव सहित बहुत सी ऐसी बातें होती है, जो हमारे रोजमर्रा के जीवन में तनाव उत्पन्न करते हैं. वैसे तो रोजमर्रा का तनाव हमारे जीवन का हिस्सा होता है, लेकिन यही तनाव हद से ज्यादा बढ़ जाए, तो हमारे मानसिक स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी बहुत अधिक प्रभावित करता है. इसीलिए हमारे बड़े बूढ़े कहा करते थे कि तनाव व्यक्ति की उम्र को कम करता है.

संयमित हो कैफीन और नशीले पदार्थों का सेवन

हद से ज्यादा कैफीन का सेवन ना सिर्फ हमारे पाचन तंत्र बल्कि हमारे तंत्रिका तंत्र पर भी काफी असर डालता है. वैसे ही हद से ज्यादा नशीले पदार्थों का सेवन भी हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. आज के दौर में कैफीन तथा शराब एक तरह से हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है. यदि इनका सेवन संयमित मात्रा में किया जाए, तो शरीर पर उसके असर को नियंत्रित किया जा सकता है.

नियमित दिनचर्या जरूरी

उम्र चाहे कोई भी हो नियमित दिनचर्या ना सिर्फ बेहतर स्वास्थ्य बल्कि जीवन में सफल होने के लिए भी बहुत जरूरी मानी जाती है. अंग्रेजी में कहावत है 'अर्ली टू बेड, अर्ली टू राइज मेक ए मैन हेल्थी वेल्थी एंड वाइज', यानी समय पर सोना और समय पर जागना व्यक्ति को स्वस्थ, सुखी और संपन्न बनाता है. यह बहुत जरूरी है कि अपनी दिनचर्या को नियमित और अनुशासित किया जाए.

30 वर्ष की आयु में व्यक्ति युवावस्था से प्रौढ़ अवस्था की तरफ कदम बढ़ाता है. इस उम्र के बाद महिला तथा पुरुष दोनों के शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ने लगता है. लाइफस्टाइल और खानपान में जरा सी लापरवाही उनके स्वास्थ्य पर रेड अलर्ट दिखाने लगती है. इसलिए बहुत जरूरी है कि 30 वर्ष होते ही व्यक्ति अपनी जीवन शैली में बदलाव लेकर आए, स्वस्थ आदतों को अपनाएं तथा व्यायाम को अपनी नियमित जीवन का हिस्सा बनाएं. उम्र 30 की हो या फिर उससे ज्यादा, व्यक्ति सुखी रहे और सफल रहे, इसके लिए उसे निम्न बातों को अपनी जीवन शैली में शामिल करना चाहिए.

खाने पर रखे संयम

बचपन हो या युवावस्था हम कुछ भी खाते हैं तो आमतौर पर सब पच जाता है और हमारे शरीर पर या स्वास्थ्य पर उसका नकारात्मक असर कम देखने में आता है. लेकिन 30 वर्ष की उम्र होते ही हमारे शरीर की मशीनरी की रफ्तार कुछ कम हो जाती है. ऐसे में यदि हम ज्यादा वसा युक्त भोजन, मिर्च मसाले से भरा हुआ भोजन, जंक फूड, अधिक मीठा भोजन खाते हैं, तो शरीर में कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह या उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं.

ऐसे में बहुत जरूरी है कि भोजन संबंधी नियम बनाए जाए. जैसे निर्धारित समय पर भोजन करें, ताजा, सुपाच्य तथा पौष्टिक भोजन करें, खाने में फलों की मात्रा बढ़ाई जाए. फाइबर युक्त भोजन हमारे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में काफी मददगार साबित होता है. सूखे मेवों को भी अपनी खुराक में शामिल किया जा सकता है. खाने में नमक कम से कम हो, और मीठा भी संयमित मात्रा में खाया जाए. खान-पान पर संयम हमें बहुत सी बीमारियों से बचा सकता है.

व्यायाम जरूरी है

खाने पर नियंत्रण के साथ ही स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि नियमित तौर पर व्यायाम किया जाए. योगा, कसरत या जिम जाकर नियमित तौर पर व्यायाम करने से ना सिर्फ वजन पर नियंत्रण रखा जा सकता है, बल्कि शरीर के सभी तंत्रों को भी स्वस्थ रखा जा सकता है. चिकित्सा विज्ञान के अनुसार यदि हम नियमित तौर पर व्यायाम को अपनी जीवनशैली में शामिल करते हैं, तो हम लंबा तथा स्वस्थ जीवन जी सकते हैं.

तनाव से बनाए दूरी

30 साल की उम्र ना सिर्फ हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डालती है, बल्कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है. परिवार को चलाने का दबाव, ऑफिस का दबाव और जीवनशैली को मेंटेन रखने का दबाव सहित बहुत सी ऐसी बातें होती है, जो हमारे रोजमर्रा के जीवन में तनाव उत्पन्न करते हैं. वैसे तो रोजमर्रा का तनाव हमारे जीवन का हिस्सा होता है, लेकिन यही तनाव हद से ज्यादा बढ़ जाए, तो हमारे मानसिक स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी बहुत अधिक प्रभावित करता है. इसीलिए हमारे बड़े बूढ़े कहा करते थे कि तनाव व्यक्ति की उम्र को कम करता है.

संयमित हो कैफीन और नशीले पदार्थों का सेवन

हद से ज्यादा कैफीन का सेवन ना सिर्फ हमारे पाचन तंत्र बल्कि हमारे तंत्रिका तंत्र पर भी काफी असर डालता है. वैसे ही हद से ज्यादा नशीले पदार्थों का सेवन भी हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. आज के दौर में कैफीन तथा शराब एक तरह से हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है. यदि इनका सेवन संयमित मात्रा में किया जाए, तो शरीर पर उसके असर को नियंत्रित किया जा सकता है.

नियमित दिनचर्या जरूरी

उम्र चाहे कोई भी हो नियमित दिनचर्या ना सिर्फ बेहतर स्वास्थ्य बल्कि जीवन में सफल होने के लिए भी बहुत जरूरी मानी जाती है. अंग्रेजी में कहावत है 'अर्ली टू बेड, अर्ली टू राइज मेक ए मैन हेल्थी वेल्थी एंड वाइज', यानी समय पर सोना और समय पर जागना व्यक्ति को स्वस्थ, सुखी और संपन्न बनाता है. यह बहुत जरूरी है कि अपनी दिनचर्या को नियमित और अनुशासित किया जाए.

Last Updated : Nov 7, 2020, 12:08 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.