नई दिल्ली : भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस के इलाज के लिए योग और आयुर्वेद आधारित मैनेजमेंट प्रोटोकॉल जारी किया है. वहीं, आईएमए ने इस प्रोटोकॉल के वैज्ञानिक आधार पर सवाल उठाया है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए आईएमए अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय का ऐसा दावा भ्रामक है. सरकार को ऐसा दावा करने से पहले सबूत देना चाहिए.
बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस के इलाज के लिए योग और आयुर्वेद आधारित मैनेजमेंट प्रोटोकॉल जारी किया है. मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होने से कोरोना के फैलने को रोका जा सकता है.
प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए डॉ. राजन ने पूछा कि आयुष प्रोटोकॉल के तहत अब तक कितने केंद्रीय मंत्रियों ने इलाज कराया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आयुष प्रोटोकॉल के तहत अश्वगंधा, गुडूची, पिप्पली के साथ 64 आयुर्वेदिक गोलियों के इस्तेमाल करने के साथ नियमित योग से कोरोना को मात देने में सफलता मिल सकती है.
डॉ. शर्मा ने कहा कि हमने अब तक 500 ज्यादा डॉक्टरों, फिजिशीयन और हेल्थ वर्कर को खो दिया है. उनके लिए क्यों नहीं आयुष प्रोटोकॉल बनाया गाया.
बता दें कि आईएमए पूरे भारत के 3.5 लाख डॉक्टरों का शीर्ष संस्थान है.
आईएमए अध्यक्ष ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने अपने नुस्खे के समर्थन में प्रभावशाली संस्थानों के नामों की व्यवस्था की है.
डॉ. शर्मा ने स्वास्थ्य मंत्री का जिक्र करते हुए कहा कि मंत्री स्वयं आयुर्वेद को आधुनिक चिकित्सा की नींव बनाने में योगदान देने के बजाय इसे इतिहास के रूप में बताते हैं.
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मंत्रायल द्वारा जारी प्रोटोकॉल पर डॉ. शर्मा ने कहा कि यदि आयुष प्रोटोकॉल इतना प्रभावी है, तो कोविड देखभाल का नियंत्रण आयुष मंत्रालय को सौंप देना चाहिए.
आईएमए अध्यक्ष ने कहा कि डॉ. हर्षवर्धन को देशवासियों को इस तरह के प्रोटोकॉल जारी करने पर सफाई देनी चाहिए. आयुष मंत्रालय के ऐसे दावों पर पहले भी विपक्ष से कई प्रतिक्रियाएं आ चुकी है.
बता दें कि अप्रैल में आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने दावा किया था कि प्रिंस चार्लस आयुर्वेदिक उपचार से कोरोना को मात दिए थे, जिसे बाद में ब्रिटेन के होम्योपैथी विभाग ने खारिज कर दिया था.