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पंजाब : जानें, दसुहा के प्राचीन पांडव सरोवर मंदिर का इतिहास

पंजाब गुरुओं, पीरों और संतों की भूमि रही है. गुरुद्वारों के अलावा यहां पर कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो अपने इतिहास के साथ ही लाखों भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं. आज हमारी टीम ने होशियारपुर के एक कस्बे दसूहा का दौरा किया, जहां हम अपने दर्शकों को प्राचीन पांडव सरोवर मंदिर से परिचित कराएंगे.

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प्रतीकात्मक चित्र
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Published : Feb 13, 2020, 8:41 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 6:09 AM IST

दसुहा : पंजाब गुरुओं, पीरों और संतों की भूमि रही है. गुरुद्वारों के अलावा यहां पर कई प्रसिद्ध मंदिर है, जो अपने इतिहास के साथ ही लाखों भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है. आज हमारी टीम ने होशियारपुर के एक कस्बे दसूहा का दौरा किया, जहां हम अपने दर्शकों को प्राचीन पांडव सरोवर मंदिर से परिचित कराएंगे.

दसूह राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है, यह होशियारपुर जिले का एक हिस्सा है. सड़क के किनारे भगवान भोले नाथ की एक सुंदर मूर्ति स्थित है, जो हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र है. एक प्राचीन पांडव सरोवर मंदिर है, जिसका अपना एक अलग इतिहास है.

प्राचीन पांडव सरोवर मंदिर का दर्शन.

ऐसा कहा जाता है कि पांडवों ने अपना समय इस ऐतिहासिक मंदिर में बिताया था. मंदिर के अंदर लगे एक बैनर के अनुसार, महाभारत काल के 12 साल बाद द्वापर युग में 5000 साल पहले, इस ऐतिहासिक विराट नगर में राजा विराट का सेवक बनकर एक वर्ष का अज्ञातवास पूरा हुआ था. इस दौरान पशुओ को चारा खिलाते समय पानी की व्यवस्था न होने के कारण भीम ने यहां पर ढाई तप मार कर पानी निकाला था. उसी समय, भगवान श्री कृष्ण जी यहां आए और महाभारत युद्ध के अवसर पर राजा विराट और मंत्रियों से मिले.

स्थानीय निवासियों का मानना ​​है कि यहां जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है भक्त बढ़ते जा रहे हैं और समय-समय पर मंदिर में हर त्योहार मनाया जाने लगा है. अब इस मंदिर में आने वाला वैसाखी उत्सव भी मनाया जाएगा.

यह भी पढ़ें- SGPC ने स्वर्ण मंदिर में टिक टॉक वीडियो बनाने पर रोक लगाई

यहां पर राजा विराट का किला भी है, जो प्राचीन के एक दृश्य को दर्शाता है. यह अब भी इतिहास का गवाह है, लेकिन दुख की बात है कि सरकार की उपेक्षा के कारण इसने खंडहरों को बर्बाद कर दिया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि आज यह इतिहास की किताब के पन्नों तक सीमित है, जबकि इतिहास के आमने-सामने की तस्वीर को संरक्षित नहीं किया जा रहा है, जिसे आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने की आवश्यकता है.

दसुहा : पंजाब गुरुओं, पीरों और संतों की भूमि रही है. गुरुद्वारों के अलावा यहां पर कई प्रसिद्ध मंदिर है, जो अपने इतिहास के साथ ही लाखों भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है. आज हमारी टीम ने होशियारपुर के एक कस्बे दसूहा का दौरा किया, जहां हम अपने दर्शकों को प्राचीन पांडव सरोवर मंदिर से परिचित कराएंगे.

दसूह राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है, यह होशियारपुर जिले का एक हिस्सा है. सड़क के किनारे भगवान भोले नाथ की एक सुंदर मूर्ति स्थित है, जो हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र है. एक प्राचीन पांडव सरोवर मंदिर है, जिसका अपना एक अलग इतिहास है.

प्राचीन पांडव सरोवर मंदिर का दर्शन.

ऐसा कहा जाता है कि पांडवों ने अपना समय इस ऐतिहासिक मंदिर में बिताया था. मंदिर के अंदर लगे एक बैनर के अनुसार, महाभारत काल के 12 साल बाद द्वापर युग में 5000 साल पहले, इस ऐतिहासिक विराट नगर में राजा विराट का सेवक बनकर एक वर्ष का अज्ञातवास पूरा हुआ था. इस दौरान पशुओ को चारा खिलाते समय पानी की व्यवस्था न होने के कारण भीम ने यहां पर ढाई तप मार कर पानी निकाला था. उसी समय, भगवान श्री कृष्ण जी यहां आए और महाभारत युद्ध के अवसर पर राजा विराट और मंत्रियों से मिले.

स्थानीय निवासियों का मानना ​​है कि यहां जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है भक्त बढ़ते जा रहे हैं और समय-समय पर मंदिर में हर त्योहार मनाया जाने लगा है. अब इस मंदिर में आने वाला वैसाखी उत्सव भी मनाया जाएगा.

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यहां पर राजा विराट का किला भी है, जो प्राचीन के एक दृश्य को दर्शाता है. यह अब भी इतिहास का गवाह है, लेकिन दुख की बात है कि सरकार की उपेक्षा के कारण इसने खंडहरों को बर्बाद कर दिया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि आज यह इतिहास की किताब के पन्नों तक सीमित है, जबकि इतिहास के आमने-सामने की तस्वीर को संरक्षित नहीं किया जा रहा है, जिसे आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने की आवश्यकता है.

Last Updated : Mar 1, 2020, 6:09 AM IST
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