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1971 से पहले बांग्लादेश से भारत आए कई शरणार्थियों के नाम NRC में नहीं: हिमंता

असम एनआरसी की अंतिम सूची आज जारी की गई है. इस सूची में से 19 लाखों लोगों के नाम शामिल नहीं है. राज्य के वित्त मंत्री हेमंता बिस्वा सरमा ने एनआरसी पर प्रतिक्रिया दी. जानें क्या कुछ कहा उन्होंने....

हेमंता बिस्वा सरमा.
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Published : Sep 1, 2019, 12:07 AM IST

Updated : Sep 29, 2019, 12:55 AM IST

गुवाहाटी: असम में एनआरसी की अंतिम सूची जारी की गई. इसमें करीब 19 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं हैं. राज्य के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआसी) के अंतिम संस्करण में कई ऐसे लोगों के नाम शामिल नहीं हैं जो 1971 से पहले बांग्लादेश से भारत आए थे.

सरमा ने ट्वीट किया, 'एनआरसी में कई ऐसे भारतीय नागरिकों के नाम शामिल नहीं किए गए हैं जो 1971 से पहले शरणार्थियों के रूप में बांग्लादेश से आए थे क्योंकि प्राधिकारियों ने शरणार्थी प्रमाण पत्र स्वीकार करने इनकार कर दिया.'

उन्होंने कहा कि राज्य एवं केंद्र सरकारों के पहले किए अनुरोध के अनुसार उच्चतम न्यायालय को सीमावर्ती जिलों में कम से कम 20 प्रतिशत और शेष असम में 10 प्रतिशत पुन: सत्यापन की अनुमति देनी चाहिए.

हेमंता बिस्वा सरमा की प्रतिक्रिया

उन्होंने ट्वीट किया, 'मैं दोहराता हूं कि केंद्र एवं राज्य सरकारों के अनुरोध पर शीर्ष अदालत को सटीक एवं निष्पक्ष एनआरसी के लिए (सीमावर्ती जिलों में) कम से कम 20 प्रतिशत और (शेष जिलों में) 10 प्रतिशत पुन: सत्यापन की अनुमति देनी चाहिए.'

दोनों सरकारों ने खासकर बांग्लादेश की सीमा से लगे जिलों में एनआरसी में गलत तरीके से शामिल नाम और बाहर किए गए नाम का पता लगाने के लिए नमूनों के पुन: सत्यापन को लेकर न्यायालय से दो बार अपील की थी.

पढ़ेंः 9 लाख लोग NRC से बाहर, अपील करने के लिए 4 महीने का समय

न्यायालय ने इस माह की शुरुआत में कड़े शब्दों में कहा था कि निश्चित पैमानों के आधार पर एनआरसी की पूरी प्रक्रिया पुन: शुरू नहीं की जा सकती.

उल्लेखनीय है कि असम में बहुप्रतीक्षित एनआरसी की अंतिम सूची शनिवार को ऑनलाइन जारी कर दी गई. एनआरसी में शामिल होने के लिए 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन दिया था. इनमें से 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया है.

गुवाहाटी: असम में एनआरसी की अंतिम सूची जारी की गई. इसमें करीब 19 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं हैं. राज्य के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआसी) के अंतिम संस्करण में कई ऐसे लोगों के नाम शामिल नहीं हैं जो 1971 से पहले बांग्लादेश से भारत आए थे.

सरमा ने ट्वीट किया, 'एनआरसी में कई ऐसे भारतीय नागरिकों के नाम शामिल नहीं किए गए हैं जो 1971 से पहले शरणार्थियों के रूप में बांग्लादेश से आए थे क्योंकि प्राधिकारियों ने शरणार्थी प्रमाण पत्र स्वीकार करने इनकार कर दिया.'

उन्होंने कहा कि राज्य एवं केंद्र सरकारों के पहले किए अनुरोध के अनुसार उच्चतम न्यायालय को सीमावर्ती जिलों में कम से कम 20 प्रतिशत और शेष असम में 10 प्रतिशत पुन: सत्यापन की अनुमति देनी चाहिए.

हेमंता बिस्वा सरमा की प्रतिक्रिया

उन्होंने ट्वीट किया, 'मैं दोहराता हूं कि केंद्र एवं राज्य सरकारों के अनुरोध पर शीर्ष अदालत को सटीक एवं निष्पक्ष एनआरसी के लिए (सीमावर्ती जिलों में) कम से कम 20 प्रतिशत और (शेष जिलों में) 10 प्रतिशत पुन: सत्यापन की अनुमति देनी चाहिए.'

दोनों सरकारों ने खासकर बांग्लादेश की सीमा से लगे जिलों में एनआरसी में गलत तरीके से शामिल नाम और बाहर किए गए नाम का पता लगाने के लिए नमूनों के पुन: सत्यापन को लेकर न्यायालय से दो बार अपील की थी.

पढ़ेंः 9 लाख लोग NRC से बाहर, अपील करने के लिए 4 महीने का समय

न्यायालय ने इस माह की शुरुआत में कड़े शब्दों में कहा था कि निश्चित पैमानों के आधार पर एनआरसी की पूरी प्रक्रिया पुन: शुरू नहीं की जा सकती.

उल्लेखनीय है कि असम में बहुप्रतीक्षित एनआरसी की अंतिम सूची शनिवार को ऑनलाइन जारी कर दी गई. एनआरसी में शामिल होने के लिए 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन दिया था. इनमें से 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया है.

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AS-NRC-HIMANTA
NRC leaves out names of many refugees coming to India from
Bangladesh prior to 1971: Himanta
Guwahati, Aug 31 (PTI) Assam Finance Minister Himanta
Biswa Sarma Saturday said the final version of the National
Register of Citizens (NRC) did not contain names of many
person coming to India from Bangladesh before 1971, the cut
off period for updation.
In a series of Tweets, the senior leader of the ruling
BJP also alleged that the legacy data were manipulated for
including names of doubtful persons as alleged by many.
"Names of many Indian citizens who migrated from
Bangladesh as refugees prior to 1971 have not been included in
the NRC because authorities refused to accept refugee
certificates," Sarma said in the micro blogging site.
"Many names got included because of manipulation of
legacy data as alleged by many," he added.
Sarma, the Convenor of the NDA's North East wing NEDA,
further said that the Supreme Court should allow at least 20
per cent re-verification of the names in border districts and
10 per cent in the rest of Assam as requested by the State and
Central governments earlier.
"I reiterate that as requested by Central and State
governments at least 20% reverification (bordering districts)
and 10% re-verification(remaining districts) should be allowed
by Honble Apex court for a correct and fair NRC," he tweeted.
Both the governments had appealed the top court twice for
sample re-verification to find out wrongful inclusions,
especially in districts bordering Bangladesh, and exclusions
in the NRC.
The apex court in strong words earlier this month said
the entire NRC exercise cannot be ordered to be re-opened
on the basis of certain parameters.
The final NRC was published on Saturday by excluding
19,06,657 persons. A total of 3,11,21,004 names were included
out of 3,30,27,661 applicants. PTI TR DG ESB
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08311351
NNNN
Last Updated : Sep 29, 2019, 12:55 AM IST
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