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निर्भया मामला : दोषी विनय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला - nirbhaya case convict Vinay sharma

निर्भया गैंगरेप-हत्या मामले में विनय शर्मा को दोषी करार दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई के दौरान विनय शर्मा के वकील ने आरोप लगाया कि उप राज्यपाल, दिल्ली के गृह मंत्री ने दया याचिका रद करने के सुझाव पर हस्ताक्षर नहीं किए थे. सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. अदालत शुक्रवार दो बजे फैसला सुनाएगी.

vinay nirbhaya case
निर्भया केस के दोषी विनय शर्मा
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Published : Feb 13, 2020, 12:15 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 4:56 AM IST

नई दिल्ली : निर्भया गैंगरेप-हत्या मामले में विनय शर्मा को दोषी करार दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई के दौरान विनय शर्मा के वकील ने आरोप लगाया कि उप राज्यपाल व दिल्ली के गृह मंत्री ने दया याचिका रद करने के सुझाव पर हस्ताक्षर नहीं किए थे. सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. अदालत शुक्रवार दो बजे फैसला सुनाएगी.

इस मामले पर निर्भया की मां ने मीडिया से कहा, 'कोर्ट में दोनों पक्षों की ओर से अपने अपने पक्ष रखे गए. फिलहाल कोर्ट ने फैसला पर रिजर्व कर लिया है. लेकिन मुझे उम्मीद है कि उनकी याचिका को कल खारिज कर दिया जाएगा.'

वहीं, इस मामले पर अधिवक्ता एपी सिंह ने कहा कि आज कोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई हुई, जिसे कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. उन्होंने कहा, 'हमने दया याचिका खारिज होने के दस्तावेज मांगे, लेकिन हमें वह दस्तावेज नहीं दिए गए. इसके बाद हमने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी ताकि हमें दस्तावेज मिल सकें.'

मीडिया को जानकारी देते निर्भया मामले के एक दोषी विनय के वकील ए. पी. सिंह.

विनय शर्मा की दलील पर उच्चतम न्यायालय ने रिकॉर्ड पर गौर किया और कहा कि दोषी की दया याचिका ठुकराने की सिफारिश पर उप राज्यपाल और दिल्ली के गृह मंत्री ने भी हस्ताक्षर किए हैं.

उच्चतम न्यायालय विनय शर्मा का वह अनुरोध भी ठुकरा दिया, जिसमें उसकी दया याचिका खारिज करने की सिफारिश पर विचार करने की मांग की गई थी.

सुनवाई के दौरान विनय के वकील एपी सिंह ने कहा कि वे दस्तावेज पेश करेंगे, जिन पर कोई साइन नहीं किए गए हैं. हालांकि, बेंच इस पर सहमत नहीं हुई. जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि सभी दस्तखत असली हैं. वकील एपी सिंह ने कहा कि ऐसा नहीं है.

वकील एपी सिंह की दलीलों पर जस्टिस भानुमति ने कहा कि या तो आप इस मामले पर बहस करें या हम आदेश सुरक्षित रख लें.

ये भी पढ़ें- नया डेथ वारंट खारिज होने पर निर्भया की मां ने मार्मिक वीडियो जारी कर कही अपनी बात

दस्तावेजों के मुद्दे पर जस्टिस भानुमति ने वकील एपी सिंह से कहा, यह आपके सामने पेश करने के लिए नहीं है... यह अदालत की संतुष्टि का सवाल है कि आवेदन अस्वीकृत करने से पहले पर्याप्त विचार किया गया था.

एपी सिंह ने दया याचिका के रिकॉर्ड देखने की मांग की. इस पर जस्टिस भूषण क्रोधित हो गए. उन्होंने कहा, 'दया याचिका अस्वीकृत करने का रिकॉर्ड अदालत के समक्ष पेश किया गया था. वकील उस रिकॉर्ड को चाहते हैं जिसे हम उसके सामने प्रस्तुत करने से इनकार करते हैं. वकील ने इसे देखने के लिए सबमिशन भी की.

यह देखा गया है कि एनसीटी के गृह मंत्री (दिल्ली सरकार) और दिल्ली के उपराज्यपाल ने हस्ताक्षर किए हैं.

पीठ ने कहा, अदालत ने वकीलों को सूचित किया है कि वे दोनों हस्ताक्षर कर चुके हैं, लेकिन फिर भी वकील रिकॉर्ड देखने पर जोर दे रहे हैं. अदालत ने रिकॉर्ड नहीं दिखाने का फैसला करती है.

इस पर वकील एपी सिंह ने कहा, 'यह फाइल मेरे मुवक्किल की दया याचिका के लिए विशिष्ट है... यह निजी काम नहीं, संवैधानिक कर्तव्य है ... मुझे समझ नहीं आता कि हम फाइल को क्यों नहीं छू सकते हैं.' उन्होंने कहा कि ओरिजनल कॉपी पर साइन नहीं किए गए हैं.

एपी सिंह ने कहा कि एक व्हाट्सएप संदेश पर हस्ताक्षर किए हैं ... केवल व्हाट्सएप संदेश पर दया याचिका खारिज कर दी गई. उन्होंने कहा कि मेडिकल स्टेटस रिपोर्ट के बिना, सामाजिक जांच रिपोर्ट और नॉमिनल रोल नहीं भेजा गया था.

वकील एपी सिंह की दलीलों पर जस्टिस भानुमति ने कहा, अब आप पुरानी फाइल को सामने लाकर, केवल गलतियां उजागर करना चाहते हैं ... कृपया केवल अपनी फ़ाइल देखें.

जस्टिस भूषण ने कहा, अदालत से दया का कोई सवाल नहीं है, दया केवल राष्ट्रपति कर सकता है. उन्होंने कहा, हम पहली अपील नहीं सुन रहे हैं, आप बहस कर रहे हैं जैसे कि यह आपकी फर्स्ट अपील है.

एपी सिंह ने कहा सरकार फांसी देने वाली है, मैं बचाने की कोशिश कर रहा हूं ... वे जल्दी में हैं मुझे चिंता है. उन्होंने कहा, मैंने रिकॉर्ड हासिल करने के लिए बुधवार को सचिवालय में तीन घंटे बिताए. सचिवालय से मुझे जवाब मिला कि समय खत्म हो चुका है, आप जाएं.' एपी सिंह ने पीठ से सवाल करते हुए कहा, 'आप मुझे बताएं,मैं क्या कर सकता हूं ?'

जस्टिस भानुमति ने जस्टिस एएस बोपन्ना से बात करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि यह एक और ट्रायल है.

न्यायमूर्ति भानुमति ने जोर दिया कि दया याचिका खारिज होने के खिलाफ दायर समीक्षा याचिका का दायरा काफी सीमित होता है.

जस्टिस भूषण ने कहा, आरटीआई का मतलब यह नहीं है कि आप पुरानी फाइल में से खामियों का पता लगाएं.


एपी सिंह ने कहा, कैदी के परिवार की आर्थिक स्थिति को अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए लेकिन वह प्रस्तुत नहीं किया गया... दया याचिका की अस्वीकृति अवैध थी. उन्होंने कहा कि यह उन दस्तावेजों का हिस्सा नहीं था जो उपराज्यपाल के समक्ष पेश किए थे.

पीठ की ओर मुखातिब होते हुए वकील एपी सिंह ने कहा, यदि आप कह रहे हैं कि मैंने दस्तावेज हासिल करने के लिए सचिवालय का दौरा किया, और यह गलत है तो मुझे खेद है.

उन्होंने कहा कि मंत्री परिषद से सलाह की बात कही गई... लेकिन वहां कोई मंत्री नहीं थे, वे विधानसभा का भी हिस्सा नहीं थे.

इस पर जस्टिस भानुमति ने कहा कि दिल्ली सरकार के गृह विभाग और उप राज्यपाल के समक्ष प्रासंगिक दस्तावेज नहीं पेश किए गए. आरटीआई से भी सूचना नहीं मिली. हमने इस बिंदु को नोट कर लिया, अब अन्य बिंदुओं पर बहस करें.

जस्टिस भानुमति के कहने के बावजूद एपी सिंह दस्तावेजों को हासिल करने पर जोर देते रहे. एपी सिंह ने कहा कि अगर अदालत जल्दी में है, तो मैं क्या कर सकता हूं.

ये भी पढ़ें- निर्भया मामला : अलग-अलग फांसी देने वाली याचिका पर दोषियों से मांगा गया जवाब

जस्टिस भानुमति ने कहा आप पहले ही काफी समय ले चुके हैं. अब आगे बढ़ें, जस्टिस भूषण ने भी सवाल किया, 'क्या आपके पास कोई और दलील है?'

एपी सिंह दस्तावेज हासिल करने पर अड़े रहे. उन्होंने कहा, 'विनय की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है, वह कृषि गतिविधियों में था, एक कांग्रेस कार्यकर्ता था, कई को रोजगार दिया, ग्रामीणों के बीच भी उसके बारे में अच्छी राय है.' उन्होंने कहा, इस दया याचिका के निष्पादन में प्रक्रियात्मक निष्पक्षता नहीं दिखाई गई.

उन्होंने कहा, विनय को अवैध रूप से एकांत में रखा गया था... यह सुनील बत्रा मामले में फैसले के विपरीत है. राजनीति, मीडिया और जनता का दबाव अभी भी जारी है. एपी सिंह ने कहा, यह भारत में पहली बार है कि चार युवा लड़कों को एक साथ फांसी दी जाएगी. वे आदतन अपराधी नहीं हैं, वे आतंकवादी नहीं हैं.

एपी सिंह ने राम सिंह केस का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी हत्या कर दी गई. उन्होंने कहा, याचिकाकर्ता को 7 साल तक विभिन्न रूपों में शारीरिक और मानसिक यातना दी गई. ये मौत की सजा की सूचना देने का आधार था.

उन्होंने पीठ के समक्ष उन फैसलों को भी पढ़ा, जहां सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि कस्टोडियल क्राइम जैसे कुछ आधारों पर मौत की सजा दी जानी चाहिए.

एपी सिंह ने कहा कि आदेश वाट्सएप संदेश के रूप में आता है, आदेश की ओरिजनल फाइल क्यों नहीं दी गई. इस पर जस्टिस भूषण ने कहा कि आप ये बात पहले भी कह चुके हैं.

एपी सिंह ने कहा कि विनय को मनोचिकित्सा विभाग में भेजा गया और उन्हें दवाइयां उपलब्ध कराई गईं ... इसका मतलब है कि वहां एक समस्या थी... डॉक्टर के पास भेजे जाने को लेकर उन्होंने कहा, 'मैंने उसे नहीं भेजा था, यह जेल प्रशासन था.'

ये भी पढ़ें- डेथ वारंट में देरी होने पर कोर्ट के बाहर रो पड़ी निर्भया की मां

उन्होंने बताया कि विनय को दी गई यातना, गरिमा के साथ जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन करती है.

विनय शर्मा के वकील एपी सिंह ने कहा कि विनय शर्मा की मानसिक स्थिति सही नहीं है, मानसिक रूप से प्रताड़ित होने की वजह से विनय मेंटल ट्रॉमा से गुजर रहा है, इसलिए उसको फांसी नही दी जा सकती .

उन्होंने कहा, 'मेरे क्लाइंट को जेल प्रशासन द्वारा कई बार मानसिक अस्पताल में भेजा गया, उसको दवाइयां दी गईं. किसी को मानसिक अस्पताल तब भेजा जाता है, जब उसकी मानसिक स्थिति सही नहीं हो.'

राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका खारिज किए जाने की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए एपी सिंह ने कहा, 'मैं अन्याय को रोकना चाहता हूं, आधिकारिक फाइल पर गृहमंत्री और एलजी के दस्तखत का नहीं हैं, इसलिए मैं फाइल का निरीक्षण करना चाहता हूं. मैंने इसके लिए आरटीआई दाखिल की है.'

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को सभी दस्तावेज दिए और बताया कि दस्तावेजों पर दस्तखत किए गए हैं.

विनय शर्मा के वकील ने कहा कि यह दस्तावेज वॉट्सऐप से मंगाया गया है. जस्टिस भनुमाति ने कहा कि यह दस्तावेज आपके लाभ के लिए नहीं है, यह अदालत की संतुष्टि के लिए है. एपी सिंह ने कहा, 'मेरे क्लाइंट विनय को फांसी पर लटकाया जाएगा, यह कोई प्राइवेट जॉब नहीं है, यह उप राज्यपाल की संवैधानिक ड्यूटी का मामला है.'

वकील ने कहा कि राष्ट्रपति के पास लंबित दया याचिका की लाइन लगी हुई है, लेकिन सिर्फ इस मामले में पिक एंड चूज की नीति को अपनाया जा रहा है, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेड़कर, स्मृति ईरानी और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने निर्भया मामले को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस तक की.

एपी सिंह ने कहा कि जस्टिस भूषण जो कुछ कहते हैं, वह मामले में मायने नहीं रखता.

निर्भया के वकील ने कहा कि इस मामले में अदालत को गुमराह करने की कोशिश की गई. पहले कहा गया कि नाबालिक ने कोई जघन्य अपराघ नहीं किया है. जिससे की सारा मामला मुख्य कार्रवाई मुख्य आरोपी राम सिंह के खिलाफ जारी रही और जब उसने आत्महत्या कर ली तो इस मामले को पलट कर दिया गया.

ये भी पढ़ें- निर्भया केस : विनय शर्मा की याचिका पर आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

एपी सिंह का कहना है कि पवन के पिता उनके पास स्कूल प्रमाण पत्र लेकर आए थे और उन्हें अदालत में पेश करने के लिए कहा था. उन्हें यह मामला छोड़ना पड़ा, अब वह प्रमाणपत्र के साथ क्या कर सकते हैं.

तुषार मेहता ने कहा कि एस पी सिंह ने जो दस्तावेज कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किया है. राष्ट्रपति ने विनय शर्मा की दया याचिका खारिज कर दी है.

तुषार मेहता ने कहा कि विनय शर्मा ने कुछ अतिरिक्त आधारों पर एक नई दया याचिका दायर की थी और इसे खारिज कर दिया है. याचिका में उसने अपनी आर्थिक पृष्ठभूमि का हवाला दिया था.

तुषार मेहता ने कहा कि विनय शर्मा को हत्या, रेप, डकैती मामले में दोषी पाया गया है और यह सभी जघन्य अपराधों में आते हैं इसलिए वह दया का पात्र नहीं है.

नई दिल्ली : निर्भया गैंगरेप-हत्या मामले में विनय शर्मा को दोषी करार दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई के दौरान विनय शर्मा के वकील ने आरोप लगाया कि उप राज्यपाल व दिल्ली के गृह मंत्री ने दया याचिका रद करने के सुझाव पर हस्ताक्षर नहीं किए थे. सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. अदालत शुक्रवार दो बजे फैसला सुनाएगी.

इस मामले पर निर्भया की मां ने मीडिया से कहा, 'कोर्ट में दोनों पक्षों की ओर से अपने अपने पक्ष रखे गए. फिलहाल कोर्ट ने फैसला पर रिजर्व कर लिया है. लेकिन मुझे उम्मीद है कि उनकी याचिका को कल खारिज कर दिया जाएगा.'

वहीं, इस मामले पर अधिवक्ता एपी सिंह ने कहा कि आज कोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई हुई, जिसे कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. उन्होंने कहा, 'हमने दया याचिका खारिज होने के दस्तावेज मांगे, लेकिन हमें वह दस्तावेज नहीं दिए गए. इसके बाद हमने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी ताकि हमें दस्तावेज मिल सकें.'

मीडिया को जानकारी देते निर्भया मामले के एक दोषी विनय के वकील ए. पी. सिंह.

विनय शर्मा की दलील पर उच्चतम न्यायालय ने रिकॉर्ड पर गौर किया और कहा कि दोषी की दया याचिका ठुकराने की सिफारिश पर उप राज्यपाल और दिल्ली के गृह मंत्री ने भी हस्ताक्षर किए हैं.

उच्चतम न्यायालय विनय शर्मा का वह अनुरोध भी ठुकरा दिया, जिसमें उसकी दया याचिका खारिज करने की सिफारिश पर विचार करने की मांग की गई थी.

सुनवाई के दौरान विनय के वकील एपी सिंह ने कहा कि वे दस्तावेज पेश करेंगे, जिन पर कोई साइन नहीं किए गए हैं. हालांकि, बेंच इस पर सहमत नहीं हुई. जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि सभी दस्तखत असली हैं. वकील एपी सिंह ने कहा कि ऐसा नहीं है.

वकील एपी सिंह की दलीलों पर जस्टिस भानुमति ने कहा कि या तो आप इस मामले पर बहस करें या हम आदेश सुरक्षित रख लें.

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दस्तावेजों के मुद्दे पर जस्टिस भानुमति ने वकील एपी सिंह से कहा, यह आपके सामने पेश करने के लिए नहीं है... यह अदालत की संतुष्टि का सवाल है कि आवेदन अस्वीकृत करने से पहले पर्याप्त विचार किया गया था.

एपी सिंह ने दया याचिका के रिकॉर्ड देखने की मांग की. इस पर जस्टिस भूषण क्रोधित हो गए. उन्होंने कहा, 'दया याचिका अस्वीकृत करने का रिकॉर्ड अदालत के समक्ष पेश किया गया था. वकील उस रिकॉर्ड को चाहते हैं जिसे हम उसके सामने प्रस्तुत करने से इनकार करते हैं. वकील ने इसे देखने के लिए सबमिशन भी की.

यह देखा गया है कि एनसीटी के गृह मंत्री (दिल्ली सरकार) और दिल्ली के उपराज्यपाल ने हस्ताक्षर किए हैं.

पीठ ने कहा, अदालत ने वकीलों को सूचित किया है कि वे दोनों हस्ताक्षर कर चुके हैं, लेकिन फिर भी वकील रिकॉर्ड देखने पर जोर दे रहे हैं. अदालत ने रिकॉर्ड नहीं दिखाने का फैसला करती है.

इस पर वकील एपी सिंह ने कहा, 'यह फाइल मेरे मुवक्किल की दया याचिका के लिए विशिष्ट है... यह निजी काम नहीं, संवैधानिक कर्तव्य है ... मुझे समझ नहीं आता कि हम फाइल को क्यों नहीं छू सकते हैं.' उन्होंने कहा कि ओरिजनल कॉपी पर साइन नहीं किए गए हैं.

एपी सिंह ने कहा कि एक व्हाट्सएप संदेश पर हस्ताक्षर किए हैं ... केवल व्हाट्सएप संदेश पर दया याचिका खारिज कर दी गई. उन्होंने कहा कि मेडिकल स्टेटस रिपोर्ट के बिना, सामाजिक जांच रिपोर्ट और नॉमिनल रोल नहीं भेजा गया था.

वकील एपी सिंह की दलीलों पर जस्टिस भानुमति ने कहा, अब आप पुरानी फाइल को सामने लाकर, केवल गलतियां उजागर करना चाहते हैं ... कृपया केवल अपनी फ़ाइल देखें.

जस्टिस भूषण ने कहा, अदालत से दया का कोई सवाल नहीं है, दया केवल राष्ट्रपति कर सकता है. उन्होंने कहा, हम पहली अपील नहीं सुन रहे हैं, आप बहस कर रहे हैं जैसे कि यह आपकी फर्स्ट अपील है.

एपी सिंह ने कहा सरकार फांसी देने वाली है, मैं बचाने की कोशिश कर रहा हूं ... वे जल्दी में हैं मुझे चिंता है. उन्होंने कहा, मैंने रिकॉर्ड हासिल करने के लिए बुधवार को सचिवालय में तीन घंटे बिताए. सचिवालय से मुझे जवाब मिला कि समय खत्म हो चुका है, आप जाएं.' एपी सिंह ने पीठ से सवाल करते हुए कहा, 'आप मुझे बताएं,मैं क्या कर सकता हूं ?'

जस्टिस भानुमति ने जस्टिस एएस बोपन्ना से बात करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि यह एक और ट्रायल है.

न्यायमूर्ति भानुमति ने जोर दिया कि दया याचिका खारिज होने के खिलाफ दायर समीक्षा याचिका का दायरा काफी सीमित होता है.

जस्टिस भूषण ने कहा, आरटीआई का मतलब यह नहीं है कि आप पुरानी फाइल में से खामियों का पता लगाएं.


एपी सिंह ने कहा, कैदी के परिवार की आर्थिक स्थिति को अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए लेकिन वह प्रस्तुत नहीं किया गया... दया याचिका की अस्वीकृति अवैध थी. उन्होंने कहा कि यह उन दस्तावेजों का हिस्सा नहीं था जो उपराज्यपाल के समक्ष पेश किए थे.

पीठ की ओर मुखातिब होते हुए वकील एपी सिंह ने कहा, यदि आप कह रहे हैं कि मैंने दस्तावेज हासिल करने के लिए सचिवालय का दौरा किया, और यह गलत है तो मुझे खेद है.

उन्होंने कहा कि मंत्री परिषद से सलाह की बात कही गई... लेकिन वहां कोई मंत्री नहीं थे, वे विधानसभा का भी हिस्सा नहीं थे.

इस पर जस्टिस भानुमति ने कहा कि दिल्ली सरकार के गृह विभाग और उप राज्यपाल के समक्ष प्रासंगिक दस्तावेज नहीं पेश किए गए. आरटीआई से भी सूचना नहीं मिली. हमने इस बिंदु को नोट कर लिया, अब अन्य बिंदुओं पर बहस करें.

जस्टिस भानुमति के कहने के बावजूद एपी सिंह दस्तावेजों को हासिल करने पर जोर देते रहे. एपी सिंह ने कहा कि अगर अदालत जल्दी में है, तो मैं क्या कर सकता हूं.

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जस्टिस भानुमति ने कहा आप पहले ही काफी समय ले चुके हैं. अब आगे बढ़ें, जस्टिस भूषण ने भी सवाल किया, 'क्या आपके पास कोई और दलील है?'

एपी सिंह दस्तावेज हासिल करने पर अड़े रहे. उन्होंने कहा, 'विनय की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है, वह कृषि गतिविधियों में था, एक कांग्रेस कार्यकर्ता था, कई को रोजगार दिया, ग्रामीणों के बीच भी उसके बारे में अच्छी राय है.' उन्होंने कहा, इस दया याचिका के निष्पादन में प्रक्रियात्मक निष्पक्षता नहीं दिखाई गई.

उन्होंने कहा, विनय को अवैध रूप से एकांत में रखा गया था... यह सुनील बत्रा मामले में फैसले के विपरीत है. राजनीति, मीडिया और जनता का दबाव अभी भी जारी है. एपी सिंह ने कहा, यह भारत में पहली बार है कि चार युवा लड़कों को एक साथ फांसी दी जाएगी. वे आदतन अपराधी नहीं हैं, वे आतंकवादी नहीं हैं.

एपी सिंह ने राम सिंह केस का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी हत्या कर दी गई. उन्होंने कहा, याचिकाकर्ता को 7 साल तक विभिन्न रूपों में शारीरिक और मानसिक यातना दी गई. ये मौत की सजा की सूचना देने का आधार था.

उन्होंने पीठ के समक्ष उन फैसलों को भी पढ़ा, जहां सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि कस्टोडियल क्राइम जैसे कुछ आधारों पर मौत की सजा दी जानी चाहिए.

एपी सिंह ने कहा कि आदेश वाट्सएप संदेश के रूप में आता है, आदेश की ओरिजनल फाइल क्यों नहीं दी गई. इस पर जस्टिस भूषण ने कहा कि आप ये बात पहले भी कह चुके हैं.

एपी सिंह ने कहा कि विनय को मनोचिकित्सा विभाग में भेजा गया और उन्हें दवाइयां उपलब्ध कराई गईं ... इसका मतलब है कि वहां एक समस्या थी... डॉक्टर के पास भेजे जाने को लेकर उन्होंने कहा, 'मैंने उसे नहीं भेजा था, यह जेल प्रशासन था.'

ये भी पढ़ें- डेथ वारंट में देरी होने पर कोर्ट के बाहर रो पड़ी निर्भया की मां

उन्होंने बताया कि विनय को दी गई यातना, गरिमा के साथ जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन करती है.

विनय शर्मा के वकील एपी सिंह ने कहा कि विनय शर्मा की मानसिक स्थिति सही नहीं है, मानसिक रूप से प्रताड़ित होने की वजह से विनय मेंटल ट्रॉमा से गुजर रहा है, इसलिए उसको फांसी नही दी जा सकती .

उन्होंने कहा, 'मेरे क्लाइंट को जेल प्रशासन द्वारा कई बार मानसिक अस्पताल में भेजा गया, उसको दवाइयां दी गईं. किसी को मानसिक अस्पताल तब भेजा जाता है, जब उसकी मानसिक स्थिति सही नहीं हो.'

राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका खारिज किए जाने की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए एपी सिंह ने कहा, 'मैं अन्याय को रोकना चाहता हूं, आधिकारिक फाइल पर गृहमंत्री और एलजी के दस्तखत का नहीं हैं, इसलिए मैं फाइल का निरीक्षण करना चाहता हूं. मैंने इसके लिए आरटीआई दाखिल की है.'

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को सभी दस्तावेज दिए और बताया कि दस्तावेजों पर दस्तखत किए गए हैं.

विनय शर्मा के वकील ने कहा कि यह दस्तावेज वॉट्सऐप से मंगाया गया है. जस्टिस भनुमाति ने कहा कि यह दस्तावेज आपके लाभ के लिए नहीं है, यह अदालत की संतुष्टि के लिए है. एपी सिंह ने कहा, 'मेरे क्लाइंट विनय को फांसी पर लटकाया जाएगा, यह कोई प्राइवेट जॉब नहीं है, यह उप राज्यपाल की संवैधानिक ड्यूटी का मामला है.'

वकील ने कहा कि राष्ट्रपति के पास लंबित दया याचिका की लाइन लगी हुई है, लेकिन सिर्फ इस मामले में पिक एंड चूज की नीति को अपनाया जा रहा है, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेड़कर, स्मृति ईरानी और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने निर्भया मामले को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस तक की.

एपी सिंह ने कहा कि जस्टिस भूषण जो कुछ कहते हैं, वह मामले में मायने नहीं रखता.

निर्भया के वकील ने कहा कि इस मामले में अदालत को गुमराह करने की कोशिश की गई. पहले कहा गया कि नाबालिक ने कोई जघन्य अपराघ नहीं किया है. जिससे की सारा मामला मुख्य कार्रवाई मुख्य आरोपी राम सिंह के खिलाफ जारी रही और जब उसने आत्महत्या कर ली तो इस मामले को पलट कर दिया गया.

ये भी पढ़ें- निर्भया केस : विनय शर्मा की याचिका पर आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

एपी सिंह का कहना है कि पवन के पिता उनके पास स्कूल प्रमाण पत्र लेकर आए थे और उन्हें अदालत में पेश करने के लिए कहा था. उन्हें यह मामला छोड़ना पड़ा, अब वह प्रमाणपत्र के साथ क्या कर सकते हैं.

तुषार मेहता ने कहा कि एस पी सिंह ने जो दस्तावेज कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किया है. राष्ट्रपति ने विनय शर्मा की दया याचिका खारिज कर दी है.

तुषार मेहता ने कहा कि विनय शर्मा ने कुछ अतिरिक्त आधारों पर एक नई दया याचिका दायर की थी और इसे खारिज कर दिया है. याचिका में उसने अपनी आर्थिक पृष्ठभूमि का हवाला दिया था.

तुषार मेहता ने कहा कि विनय शर्मा को हत्या, रेप, डकैती मामले में दोषी पाया गया है और यह सभी जघन्य अपराधों में आते हैं इसलिए वह दया का पात्र नहीं है.

Last Updated : Mar 1, 2020, 4:56 AM IST
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