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देश का नाम 'इंडिया' से बदलकर 'भारत' करने की याचिका पर फिर टली सुनवाई

देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत रखने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई टल गई है. इससे पहले 29 मई को याचिका पर सुनवाई होनी थी लेकिन कोर्ट ने इसे स्थगित कर दिया था. पढ़ें पूरी खबर...

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सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई
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Published : Jun 2, 2020, 10:31 AM IST

नई दिल्ली : देश के लिए इंडिया की जगह भारत नाम का इस्‍तेमाल किए जाने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर आज फिर सुनवाई टल गई है. याचिकाकर्ता नमः ने देश के अंग्रेजी नाम 'इंडिया' को 'भारत' में बदलने के लिए एक दिशानिर्देश मांगा था.

बता दें कि जस्टिस बोबडे की अनुपस्थिति के चलते एक बार फिर सुनवाई टल गई है.

गौरतलब है कि 29 मई को याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस ऋषिकेश रॉय और एएस बोपन्ना ने इसे स्थगित करते हुए आज की तारीख तय की थी.

याचिका में कहा गया है कि इंडिया एक अंग्रेजी नाम है, जिसे बदलकर भारत रख दिया जाना चाहिए, ताकि लोग ब्रिटेन के औपनिवेशिक अतीत से दूर हो जाएं और अपनी राष्ट्रीयता में गर्व की भावना पैदा करें.

यह भी पढ़ें : 'इंडिया' नाम पर आपत्ति : याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई

गौर हो कि इससे पहले 2016 में इसी तरह की याचिका को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था.

कोर्ट ने इस दौरान याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई थी और कहा कि आपको क्‍या लगता है कि कोर्ट के पास इस तरह के भावनात्‍मक मुद्दों पर ध्‍यान देने के अलावा और कोई काम नहीं है.

2016 में दाखिल की गई याचिका को जस्टिस टीएस ठाकुर और यूयू ललित की बेंच ने खारिज किया था.

नई दिल्ली : देश के लिए इंडिया की जगह भारत नाम का इस्‍तेमाल किए जाने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर आज फिर सुनवाई टल गई है. याचिकाकर्ता नमः ने देश के अंग्रेजी नाम 'इंडिया' को 'भारत' में बदलने के लिए एक दिशानिर्देश मांगा था.

बता दें कि जस्टिस बोबडे की अनुपस्थिति के चलते एक बार फिर सुनवाई टल गई है.

गौरतलब है कि 29 मई को याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस ऋषिकेश रॉय और एएस बोपन्ना ने इसे स्थगित करते हुए आज की तारीख तय की थी.

याचिका में कहा गया है कि इंडिया एक अंग्रेजी नाम है, जिसे बदलकर भारत रख दिया जाना चाहिए, ताकि लोग ब्रिटेन के औपनिवेशिक अतीत से दूर हो जाएं और अपनी राष्ट्रीयता में गर्व की भावना पैदा करें.

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गौर हो कि इससे पहले 2016 में इसी तरह की याचिका को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था.

कोर्ट ने इस दौरान याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई थी और कहा कि आपको क्‍या लगता है कि कोर्ट के पास इस तरह के भावनात्‍मक मुद्दों पर ध्‍यान देने के अलावा और कोई काम नहीं है.

2016 में दाखिल की गई याचिका को जस्टिस टीएस ठाकुर और यूयू ललित की बेंच ने खारिज किया था.

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