नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ट्रांसजेंडर को केबिन क्रू सदस्य की नौकरी देने से इनकार मामले पर तीन सप्ताह बाद सुनवाई करेगा. एयर इंडिया ने ट्रांसजेंडर को केबिन क्रू सदस्य की नौकरी देने से इनकार कर दिया था.
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई की. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह मामला पहले ही अधिसूचित हो चुका है और इसे तीन सप्ताह बाद लिया जायेगा.
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने कहा कि ट्रांसजेंडर ने 2017 से लंबित अपने मामले पर शीघ्र सुनवाई के लिये आवेदन दाखिल किया है.
शीर्ष अदालत ने 23 जुलाई को ट्रांसजेंडर को एयर इंडिया के निर्णय को चुनौती देने वाली अपनी याचिका में संशोधन करने की इजाजत दी थी. याचिका में तीसरे लिंग के उम्मीदवारों के लिये व्यक्तित्व परीक्षण कराने के आधार को चुनौती दी थी. महिला ने 2014 में अपना लिंग परिवर्तन कराया था.
शीर्ष अदालत ने 2017 में इस याचिका पर नोटिस जारी करके एयर इंडिया और नागरिक उड्डयन मंत्रालय से जवाब मांगा था. इस जवाब में उन्होंने महिला का चयन नहीं करने के निर्णय को सही ठहराते हुये कहा था कि वह व्यक्तित्व परीक्षण की पात्रता के लिये न्यूनतम अंक प्राप्त करने में विफल रही थी और उसके साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं हुआ था.
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि उसने अपना सपना पूरा करने के लिये चेन्नई में 13 महीने सदरलैंड ग्लोबल सर्विसेज में एयरलाइन क्षेत्र और एयर इंडिया के ग्राहक सहायता क्षेत्र (दोनों घरेलू) और अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में काम किया था.
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तमिलनाडु में 1989 में जन्मी इस महिला ने 2010 में इंजीनियरिंग में स्नातक किया. उसने पूर्ण महिला बनने के लिये अप्रैल 2014 में अपना सेक्स परिवर्तन कराया और यह जानकारी राज्य सरकार के राजपत्र में प्रकाशित हुई थी.
एयर इंडिया में महिला केबिन क्रू पद के लिये 10 जुलाई 2017 में विज्ञापन के बारे में जानकारी मिलने पर उसने महिला वर्ग के लिये आवेदन किया था क्योंकि बैंकॉक में उसने लिंग परिवर्तन की सफलतापूर्वक सर्जरी करा ली थी.
इस पद के लिये उसे बुलाया गया लेकिन चार प्रयासों के बावजूद उसका नाम सूची में नहीं आ सका. उसका आरोप है कि ट्रांसजेंडर होने की वजह से ही उसका चयन नहीं किया गया था.