नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में हुई हिंसा को कथित तौर पर भड़काने वाले नफरती भाषणों के लिए भाजपा नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के अनुरोध वाली एक याचिका पर चार मार्च को सुनवाई करने का सोमवार को निर्णय किया. इसके अलावा दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने आदेश 23 अप्रैल तक के लिए टाल दिया.
सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए राजी
सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ दंगा पीड़ितों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करने को सहमत हुई. सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने सुप्रीम कोर्ट में भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं के खिलाफ एफआईआर की मांग को लेकर याचिक दायर की थी. सुनवाई करते हुए जस्टिस बोबड़े ने कहा कि हम रोज अखबार पढ़ते हैं, जिसमें हम पर आरोप लगते हैं. हम पर बहुत दवाब होता है. हम नहीं चाहते कि लोग मरें...हम शांति चाहते हैं, लेकिन कोर्ट कभी भी इस तरह की हिंसा को नहीं रोक सका है.
दंगा पीड़ितों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्जाल्विस ने इस याचिका का उल्लेख तत्काल सुनवाई के लिए किया था. गोन्जाल्विस ने कहा कि हाल में हुई हिंसा के चलते लोगों के मरने की खबर आना बदस्तूर जारी रहने के बावजूद दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में दंगों से जुड़े मामलों की सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दी है.
अनुराग-परवेश के मामले में सुनवाई टली
दिल्ली की कोर्ट में दोनों भाजपा नेताओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के मामले में एफआईआर करने संबंधित याचिका पर सुनवाई चल रही थी. इससे पहले दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा को क्लीन चिट दी थी.
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सीपीएम की नेता वृंदा करात ने दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. 11 फरवरी को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से जांच के लिए आठ हफ्ते का समय देने की मांग की थी, तब कोर्ट ने कहा था कि ये संवेदनशील मामला है, 15 दिनों में एफआईआर दर्ज करें या एक्शन टेकन रिपोर्ट दाखिल करें.