नई दिल्ली : कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई में सकारात्मक प्रवृत्ति देखने को मिली है. लेकिन बीमारी से संबंधित सामाजिक कलंक ने देश की सफलता को खतरे में डाल दिया है.
कोरोना के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहे भारत के शीर्ष नौकरशाहों ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने कहा, 'आज हम जिन सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, कोरोना से जुड़ा कलंक उनमें से एक है. यह विशेष रूप से प्रतिबंधित संक्रमितों और उनके परिवार को झेलना पड़ रहा है.'
उन्होंने कहा कि सरकार उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय उपाय कर रही है.
प्रीति ने यह बात Covid19 के कलंक पर नागरिक समाज संगठनों और गैर सरकारी संगठनों के साथ बाचतीत के एक सत्र के दौरान कही.
कार्यक्रम का आयोजन नीति आयोग द्वारा किया गया था, जहां स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अमिताभ कांत, सीईओ नीति आयोग वंदना गुरनानी, स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल भी उपस्थित थे.
वास्तव में, कुछ दिनों पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कोविड-19 से संबंधित सामाजिक कलंक पर एक दिशानिर्देश जारी किया है, जिसमें लोगों को 'कोविड योद्धाओं' का समर्थन करने के लिए कहा है.
पढ़ें-अमूल के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी से ईटीवी भारत की खास बातचीत
लव अग्रवाल ने कहा कि सीएसओ और एनजीओ महामारी के दौरान पालन करने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और अच्छी आदतों के संदेश को लोगों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
अमिताभ कांत ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी से निबटने के लिए सरकार को कठिन और समय पर निर्णय लेने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा, 'भारत के समयबद्ध निर्णय ने 3 से 12 दिनों में कोरोना की दोगुनी होती दर में सुधार किया है. यदि हमने समय पर निर्णय नहीं लिया होता, तो आज हमारे पास 10 लाख से अधिक कोरोना के मामले होते. जो हमारे वर्तमान मामलों की तुलना में लगभग 44 गुना अधिक होते.'