नई दिल्ली : स्वास्थ्य मंत्रालय के सयुंक्त सचिव लव अग्रवाल ने मंगलवार को मीडिया को बताया कि प्लाज्मा थेरेपी एक सिद्ध चिकित्सा नहीं है. यह अब भी प्रायोगिक चरण में है, अभी ICMR इस चिकित्सा का उपयोग इसको समझने के लिए कर रहा है.
उन्होंने कहा कि अगर उचित दिशा निर्देश के तहत प्लाज्मा थेरेपी का सही तरीके से उपयोग नहीं किया जाता तो यह जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकती है. जब तक यह अनुमोदित हो जाता है कि किसी को इसका उपयोग नहीं करना चाहिए, यह रोगी के लिए हानिकारक हो सकती है और अवैध है.
लव अग्रवाल ने कहा कि जब तक ICMR अपने अध्ययन का पूरी नहीं कर लेता और एक मजबूत वैज्ञानिक प्रमाण हासिल नहीं कर लेता, तब तक प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग केवल अनुसंधान या परीक्षण के उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि पिछले 24 घंटों में आए 1543 नए मामलों के साथ, देश में कुल कोविड19 के सकारात्मक मामलों की संख्या 29,435 पहुंच गई है, जबकि पिछले 24 घंटों में 684 मरीज ठीक हुए हैं.
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इसके अलावा रिकवरी दर अब 23.3 प्रतिशत हो गई है. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग किया जा रहा है, हालांकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि इसे उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके प्रभाव का जानने के लिए ICMR द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन शुरू किया गया है.