अलीगढ़ : हाथरस गैंगरेप में मृतका के संबंध में एएमयू के जवाहर लाल नेहरु मेडिकल कॉलेज के मेडिकोलीगल सर्टिफिकेट रिपोर्ट में दुष्कर्म के संकेत मिले हैं. मेडिको लीगल सर्टिफिकेट में योनि में पेनिट्रेशन होने की बात कही गई है. साथ ही यह भी कहा गया है कि पेनिट्रेटिव इंटर कोर्स की पुष्टि फॉरेंसिक साइंस लैब की रिपोर्ट आने के बाद की जा सकती है.
इस मामले में रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर हमजा मलिक ने बताया कि पीड़िता के संबंध में अब तक जो रिपोर्ट आई है. खासकर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ है कि पीड़िता का हाइमन क्षतिग्रस्त है जो बाद में हील होना पाया गया है.
हालांकि घटना 14 सितंबर की थी और पोस्टमार्टम 29 सितंबर को हुआ था. जबकि हाइमन को हील होने में 7 से 10 दिन काफी है. इसके अलावा पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में गुदा में भी घाव की बात कही गई है. वहां भी घाव भरने बात है. डॉक्टर हमजा मलिक ने कहा कि 25 सितंबर फॉरेंसिक साइंस लैब के लिए सैंपल लिए गए थे. जो घटना के 11 दिन बाद का है. जबकि सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से सैंपल 96 घंटे के अंदर लेने की बात कही गई है. इसलिए फॉरेंसिक साइंस लैब की रिपोर्ट पूरी तरह से नदारद है. जिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता, जबकि इसी रिपोर्ट को आधार बनाकर प्रदेश सरकार और एडीजी लॉ एंड ऑर्डर दुष्कर्म ना होने की बात कह रहे हैं.
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डॉ. हमजा मलिक ने कहा कि 22 सितंबर को मेडिकोलीगल परीक्षण करने वाली डॉक्टर ने अपनी ओपिनियन में साफ कहा है कि बल प्रयोग करने के निशान मिले हैं. पेनिट्रेटिव सेक्स की बात भी दिखाई दे रही है और पुष्टि के लिए फॉरेंसिक साइंस लैब की रिपोर्ट भी देखी जा सकती है.
गाइडलाइन के हिसाब से जब एफएसएल की रिपोर्ट बेकार है तो एमएलसी के परीक्षण की बात और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आए संकेत को मानना होगा, उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर जेएन मेडिकल कॉलेज की पीड़िता के संबंध में जो मेडिकोलीगल परीक्षण रिपोर्ट वायरल हो रही है. उसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की जा सकती, फोरेंसिक डिपार्टमेंट की वायरल प्रतिलिपि रेप को नहीं नकार रही है. बल्कि वैजाइनल पेनेट्रेशन से एफएसएल के रिपोर्ट की बुनियाद पर इंकार कर रही है.