चंडीगढ़: लॉकडाउन में हरियाणा में सबसे ज्यादा अगर किसी पर मार पड़ी तो वह हैं किसान. रबी की कटाई का सीजन और ऊपर से मजदूरों का प्रवास ने हरियाणा के किसानों को मुश्किल परिस्थितियों का सामना करवाया. फिलहाल किसान मंडी में अपनी फसल पहुंचा चुका है. ऐसे में ईटीवी भारत हरियाणा ने 'डिजिटल चैट' कार्यक्रम में प्रदेश के कृषि मंत्री जेपी दलाल से सीधी बात की. उनसे सवाल किए कि मौजूदा परिस्थितियों में सरकार ने किसानों के हित में क्या कदम उठाए हैं.
'डिजिटल चैट' में ईटीवी भारत हरियाणा के रीजनल एडिटर ब्रजमोहन सिंह ने जेपी दलाल से किसानों की पेमेंट, मजदूरों का पलायन, फसलों की खरीददारी और इस संकट से निकलने के लिए किसानों के लिए सरकार की रणनीति से जुड़े तमाम गंभीर सवाल किए. जिनका हरियाणा के कृषि मंत्री ने जवाब दिया.
सवाल- लॉकडाउन के बीच प्रदेश में रबी फसल की कटाई और खरीददारी की व्यवस्था को आप कैसे संभाल रहे हैं?
कृषि मंत्री- सबसे पहले मैं किसान भाइयों को बधाई देता हूं कि लॉकडाउन में श्रमिकों की कमी के बावजूद उन्होंने धैर्य का परिचय दिया. किसान भाइयों ने पसीना बहाकर अपनी फसल काट कर मंडी तक पहुंचाई है. इसके साथ ही हरियाणा सरकार ने भी अच्छे फैसले लिए. फसल की खरीदारी के लिए वह कदम उठाए जो पहले कभी नहीं उठाए गए. हमारे यहां 450 गेहूं की मंडियां होती थी. 50-60 मंडी सरसों की फसल खरीदने के लिए होती थी, लेकिन हमने सोशल डिस्टेंस रखने के लिए मंडियों की संख्या को 4-5 गुना कर दिया. हरियाणा इकलौता प्रदेश है जिसने अपने सभी किसानों की मैपिंग की हुई है.
उन्होंने कहा कि हमारे पास हर किसान का डाटा है कि उसने कितने एकड़ में गेहूं लगाई है, कितने एकड़ में सरसों लगाई है. हमारे पास उनका मोबाइल फोन नंबर भी है. हमने किसानों को इस बार आमंत्रित करके मंडियों में बुलाया है ताकि सोशल डिस्टेंस बना रहे. 50 किसान सुबह और 50 किसान शाम को मंडी पहुंचते थे. वहीं अगर छोटी मंडी है तो 25-25 किसानों को बुलाया गया.
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि 15 अप्रैल से सरसों की खरीददारी हुई और 20 अप्रैल से गेहूं की हुई थी. आढ़ती भाइयों ने भी श्रमिकों की समस्या को उठाया. उन्होंने सहयोग के लिए भी मना कर दिया, लेकिन सभी परेशानियों को हरियाणा सरकार ने सुलझा लिया. हम किसान की सहायता करने में सफल रहे हैं और आज लगभग 4.45 लाख मीट्रिक टन सरसों की खरीद कर चुके हैं और 55 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद कर चुके हैं. जो 20 अप्रैल से आज तक 3 लाख मीट्रिक टन खरीददारी की औसत आ रही है. इसी गति से अगर खरीददारी हुई तो अगले 15 दिनों में सारी खरीददारी हो जाएगी.
अगले 15 दिनों में हरियाणा के लिए करीब 20 हजार करोड़ रुपये जारी कर देंगे. किसान उसके बाद अगली फसल की तैयारी करेगा. कोरोना के संकट की घड़ी में देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था में हरियाणा का किसान योगदान करेगा.
सवाल- बारिश की वजह से हरियाणा के किसानों और आढ़तियों का कितना नुकसान हुआ है?
कृषि मंत्री- यह बात सही है कि इस बार समस्या थी. प्रदेश में कवर्ड मंडी 250 से 300 ही हैं, लेकिन हमने करीब 1800 परचेज सेंटर बनाए. स्कूल के ग्राउंड, खेल ग्राउंड को भी परचेज सेंटर बनाए थे, क्योंकि मंडियों में सोशल डिस्टेंस का भी पालन करना था, जान बचाना ज्यादा जरूरी था. हमने व्यवस्था के लिए अधिकारियों की ड्यूटी लगाई, तिरपाल खरीद कर दिए गए, लेकिन इस बार मौसम अभूतपूर्व था. दिसंबर से हर हफ्ते आंधी, बारिश और ओले पड़े हैं.
तमाम परेशानियों के बावजूद हरियाणा में जो किसानों ने उत्पादन किया है, वो शानदार है. हरियाणा की सरकार केंद्रीय भंडार में जो योगदान देगी वो भी अभूतपूर्व होगा.
सवाल- हरियाणा सरकार ने प्रवासी मजदूरों को रोका नहीं, जबकी दूसरे राज्य अपने यहां मजदूरों को रोकने के लिए उन्हें सुविधाएं मुहैया करवा रहे हैं.
कृषि मंत्री- हरियाणा के मुख्यमंत्री ने मजदूरों को तमाम सामाजिक सुविधाएं प्रदान की. मजदूरों के रहने के लिए, खाने के लिए और उन्हें कोई समस्या नहीं होने दी, लेकिन संकट की घड़ी में मजदूरों को भी अपना घर याद आता है. मजदूरों ने गुहार लगाई थी कि वह घर जाना चाहते हैं, उन्हें उनके घर की याद आ रही है. हरियाणा पहला प्रदेश था जिसने दिल्ली के मजदूरों को घर जाने के लिए हरियाणा रोडवेज की एक हजार बसें दी थीं, ताकि मजदूर यूपी, बिहार में अपने घर सुरक्षित पहुंच जाएं.
अभी भी हम रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं. ट्रेन चला रहे हैं. इसके बावजूद जो यहां रहना चाहता है हरियाणा सरकार उन्हें सुविधाएं मुहैया करवाएगी. मजदूरों के लिए सरकार खाने-पीने की व्यवस्था करेगी और जो भी बन पड़ेगा सरकार जरूर करेगी.
सवाल- हरियाणा में इस समय कितने मजदूर होंगे, सरकार की तरफ से इस तरह का कोई डाटा इकट्ठा किया गया है?
कृषि मंत्री- डाटा इकट्ठा किया गया है, हालांकि अभी मैं मुहैया नहीं करवा सकता, लेकिन उद्योगों और कृषि क्षेत्र में काम कर रहे मजदूरों का अलग-अलग डाटा है. इस वक्त सभी क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूर संकट में है, फिर भी हरियाणा का किसान काफी बहादुरी से इस संकट से लड़ा है और काफी अच्छी फसल तैयार कर मंडी तक पहुंचाई है. अगले साल भी किसान ऐसा ही कमाल करेगा.
सवाल- 'मेरी फसल, मेरा ब्यौरा' योजना सरकार ने चलाई थी, इसका बैकग्राउंड समझाएं, इसके जरिए किसानों का कैसा डाटाबेस तैयार किया गया है?
यह हमने नया पोर्टल बनाया है. हमने किसानों से कहा कि आप अपनी फसल का ब्यौरा यहां फीड करें कि आप कितनी एकड़ में फसल उगाएंगे. इसके जरिए हम बिचौलिया प्रथा को भी दूर करेंगे. यह दुर्भाग्य है कि आज किसानों तक सरकार डायरेक्ट पैसा नहीं पहुंचा पा रही है. हमारे प्रधानमंत्री का लक्ष्य यही है कि किसान का पैसा किसान के खाते में सीधे पहुंचे और हरियाणा सरकार उनके इस आग्रह को गंभीरता से ले रही है.
इस पोर्टल के जरिए जो किसान अपना ब्यौरा देता है उसे 50 रुपये हम इंसेंटिव भी देते हैं. हमने सरसों की फसल की पेमेंट कर दी है. अब 15 दिन में 18-20 हजार करोड़ रुपये किसानों को पेमेंट के लिए जारी कर देंगे. हम चाहते हैं कि किसी भी तरह से किसान के साथ भेदभाव और भ्रष्टाचार ना हो. किसान और सरकार का हम सीधा नाता कायम करना चाहते हैं.
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