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पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बोले-केंद्र को मिशन हिमालय जैसी और पहल करनी चाहिए

उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने की घटना पर पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने चिंता जताई. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मिशन की तरह मिशन हिमालय लागू करने की जरूरत है.

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत
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Published : Feb 8, 2021, 10:36 PM IST

नई दिल्ली : उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने के एक दिन बाद हिमस्खलन शुरू हो गया. पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि पर्यावरण की दृष्टि से ये बहुत संवेदनशील क्षेत्र है. केंद्र सरकार को हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मिशन की तरह मिशन हिमालय लागू करने की जरूरत है.

हरीश रावत ने कहा, जलवायु परिवर्तन का इन क्षेत्रों पर अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है यही कारण है कि सर्दियों के मौसम के दौरान ऐसी स्थिति बनी.

अपने कार्यकाल के दौरान इसी तरह की चिंताओं को उठाने वाले रावत ने कहा, 'जब मैं बिजली परियोजनाओं से संबंधित इन मुद्दों को उठाता था, तब से बहुत सारी चीजें बदल गई हैं. हमें यह देखना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन से कैसे निपट सकते हैं.'

उन्होंने सुझाव दिया, 'केंद्र सरकार को मिशन हिमालय जैसी कुछ पहलों को आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि ये हिमालयी रेंज के दक्षिणी ढलान में स्थित बहुत संवेदनशील क्षेत्र हैं.'

हिमालयन पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मिशन (NMSHE) शुरू किया गया था, जिसका लक्ष्य समयबद्ध तरीके से हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति का निरंतर मूल्यांकन करना था.

उमा भारती ने किया ट्वीट

जल मामलों की मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने भी इसी तरह की चिंताओं को उठाते हुए कहा कि हिमालय में ऋषि गंगा में हुई त्रासदी चिंता का विषय है और एक चेतावनी भी.

पढ़ें- जल्द ही सफलता की उम्मीद, तपोवन सुरंग में फंसे लोगों को बचाने की कवायद जारी

उन्होंने ट्वीट किया, 'जब मैं मंत्री थी तो हिमालय में उत्तराखंड के बांधों को बहुत ही संवेदनशील मानकर मंत्रालय ने कहा था कि इन नदियों पर बिजली परियोजना नहीं बनाई जानी चाहिए.'

नई दिल्ली : उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने के एक दिन बाद हिमस्खलन शुरू हो गया. पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि पर्यावरण की दृष्टि से ये बहुत संवेदनशील क्षेत्र है. केंद्र सरकार को हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मिशन की तरह मिशन हिमालय लागू करने की जरूरत है.

हरीश रावत ने कहा, जलवायु परिवर्तन का इन क्षेत्रों पर अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है यही कारण है कि सर्दियों के मौसम के दौरान ऐसी स्थिति बनी.

अपने कार्यकाल के दौरान इसी तरह की चिंताओं को उठाने वाले रावत ने कहा, 'जब मैं बिजली परियोजनाओं से संबंधित इन मुद्दों को उठाता था, तब से बहुत सारी चीजें बदल गई हैं. हमें यह देखना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन से कैसे निपट सकते हैं.'

उन्होंने सुझाव दिया, 'केंद्र सरकार को मिशन हिमालय जैसी कुछ पहलों को आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि ये हिमालयी रेंज के दक्षिणी ढलान में स्थित बहुत संवेदनशील क्षेत्र हैं.'

हिमालयन पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मिशन (NMSHE) शुरू किया गया था, जिसका लक्ष्य समयबद्ध तरीके से हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति का निरंतर मूल्यांकन करना था.

उमा भारती ने किया ट्वीट

जल मामलों की मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने भी इसी तरह की चिंताओं को उठाते हुए कहा कि हिमालय में ऋषि गंगा में हुई त्रासदी चिंता का विषय है और एक चेतावनी भी.

पढ़ें- जल्द ही सफलता की उम्मीद, तपोवन सुरंग में फंसे लोगों को बचाने की कवायद जारी

उन्होंने ट्वीट किया, 'जब मैं मंत्री थी तो हिमालय में उत्तराखंड के बांधों को बहुत ही संवेदनशील मानकर मंत्रालय ने कहा था कि इन नदियों पर बिजली परियोजना नहीं बनाई जानी चाहिए.'

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