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विश्व पुस्तक मेले में दिख रहा किताबों को लेकर क्रेज, लोग बोले- किताबों का कोई विकल्प नहीं - DELHI WORLD BOOK FAIR

दिल्ली में विश्व पुस्तक मेले में बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमी पहुंच रहे हैं..

फिजिकल बुक पढ़ना लोगों की आज भी पहली पसंद
फिजिकल बुक पढ़ना लोगों की आज भी पहली पसंद (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 6, 2025, 4:26 PM IST

नई दिल्ली : भारत मंडपम में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में साहित्य प्रेमियों का हुजूम देखने को मिल रहा है. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि डिजिटल के दौर में भी पाठकों की एक बड़ी संख्या फिजिकली तौर पर पुस्तकों को पढ़ना पसंद करती हैं. आखिर, क्या वजह है कि लोगों का रुझान आज भी फिजिकली पुस्तकें पढ़ने की तरफ ज्यादा है? इस सिलसिले में 'ETV भारत' ने मेले में आए पुस्तक प्रेमियों से बात की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या बताया...

डिजिटल बुक्स फिजिकल बुक की जगह नहीं ले सकते : पुस्तक प्रेमी नगमा ने बताया कि डिजिटल बुक्स कभी भी फिजिकल बुक की जगह नहीं ले सकती. खास तौर पर मेरे लिए. फिजिकल बुक पढ़ने में जो फील आता है, वह डिजिटल बुक्स कभी नहीं दे सकती. जो सच में पुस्तक प्रेमी है उसको केवल फिजिकल बुक पढ़ना ही पसंद आता है. किताब में लिखी कहानी, कथा, कविता, उपन्यास, आदि जैसे भी हों लेकिन फील फिजिकल बुक पढ़ने में आता है.

डिजिटल बुक्स  फिजिकल बुक की जगह नहीं ले सकते
डिजिटल बुक्स फिजिकल बुक की जगह नहीं ले सकते (ETV BHARAT)

पुस्तक मेले में भारी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद : पुस्तक मेला घूमने आई चांदनी ने बताया कि एक टाइम था, जब सभी इस विषय पर खूब चर्चा करते थे कि क्या डिजिटल मीडिया पर बुक्स आने के बाद लोग फिजिकल बुक पढ़ेंगे ? इसकी सच्चाई बुक फेयर में आकर मालूम होती है. यहां भारी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद हैं. आज भी 70 फीसदी से ज्यादा लोग यही चाहते हैं कि वह फिजिकली तौर पर ही बुक पढ़ें.

विश्व पुस्तक मेले में दिख रहा किताबों को लेकर लोगों में क्रेज (ETV BHARAT)

डिजिटल बुक्स के आने से फिजिकल बुक्स का शौक हुआ कम : पुस्तक प्रेमियों को किताब पढ़ते समय उसकी खुशबू और फील आनी जरूरी है. लेकिन किंडल (डिजिटल बुक ऐप) पर भी बुक पढ़ना गलत नहीं है. खास तौर पर ट्रेवलिंग के समय. जब सामान ज्यादा है, तो किंडल मददगार साबित होता है. साथ यह कहना गलत नहीं होगा कि डिजिटल बुक्स के आ जाने से फिजिकल बुक्स को पढ़ने का शौक कम हुआ हो.

मेले मेे आए लोगों ने कहा किताब के पन्ने पलटने से मिलती है संतुष्टि (ETV BHARAT)

बुक पढ़ना लोगों की आज भी पहली पसंद : तेजस्वर सिंह का मानना हैं कि हर बात वीडियो कॉल के माध्यम से नहीं की जा सकती, जैसे मिलना और हाथ पकड़ कर चलना जरूरी होता है उसी तरह किताबों को पढ़ते समय उनका स्पर्श जरूरी होता है. ऐसा होने से पाठक लेखक की कहानी से ज्यादा जुड़ पता है। अगर सच में डिजिटल बुक प्रभावी होती तो पुस्तक मेलों का आयोजन ही क्यों किया जाता? फिजिकल बुक पढ़ना आज भी लोगों उतना ही पसंद है जितना पहले था.

विश्व पुस्तक मेले का 9 फरवरी को समापन : बता दें कि विश्व पुस्तक मेला अगली 9 फरवरी शाम 8 बजे तक जारी रहेगा. स्कूल यूनिफॉर्म में आने वाले छात्रों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए यहां प्रवेश निःशुल्क रखा गया है. वहीं सामान्य पब्लिक के लिए 20 रुपए और बच्चों के लिए 10 रुपए प्रवेश शुल्क है.

ये भी पढ़ें:

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दिल्ली में 9 दिनों तक चलेगा विश्व पुस्तक मेला, भारतीय गणतंत्र के सार को विश्व पटल पर रखने की है तैयारी

नई दिल्ली : भारत मंडपम में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में साहित्य प्रेमियों का हुजूम देखने को मिल रहा है. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि डिजिटल के दौर में भी पाठकों की एक बड़ी संख्या फिजिकली तौर पर पुस्तकों को पढ़ना पसंद करती हैं. आखिर, क्या वजह है कि लोगों का रुझान आज भी फिजिकली पुस्तकें पढ़ने की तरफ ज्यादा है? इस सिलसिले में 'ETV भारत' ने मेले में आए पुस्तक प्रेमियों से बात की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या बताया...

डिजिटल बुक्स फिजिकल बुक की जगह नहीं ले सकते : पुस्तक प्रेमी नगमा ने बताया कि डिजिटल बुक्स कभी भी फिजिकल बुक की जगह नहीं ले सकती. खास तौर पर मेरे लिए. फिजिकल बुक पढ़ने में जो फील आता है, वह डिजिटल बुक्स कभी नहीं दे सकती. जो सच में पुस्तक प्रेमी है उसको केवल फिजिकल बुक पढ़ना ही पसंद आता है. किताब में लिखी कहानी, कथा, कविता, उपन्यास, आदि जैसे भी हों लेकिन फील फिजिकल बुक पढ़ने में आता है.

डिजिटल बुक्स  फिजिकल बुक की जगह नहीं ले सकते
डिजिटल बुक्स फिजिकल बुक की जगह नहीं ले सकते (ETV BHARAT)

पुस्तक मेले में भारी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद : पुस्तक मेला घूमने आई चांदनी ने बताया कि एक टाइम था, जब सभी इस विषय पर खूब चर्चा करते थे कि क्या डिजिटल मीडिया पर बुक्स आने के बाद लोग फिजिकल बुक पढ़ेंगे ? इसकी सच्चाई बुक फेयर में आकर मालूम होती है. यहां भारी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद हैं. आज भी 70 फीसदी से ज्यादा लोग यही चाहते हैं कि वह फिजिकली तौर पर ही बुक पढ़ें.

विश्व पुस्तक मेले में दिख रहा किताबों को लेकर लोगों में क्रेज (ETV BHARAT)

डिजिटल बुक्स के आने से फिजिकल बुक्स का शौक हुआ कम : पुस्तक प्रेमियों को किताब पढ़ते समय उसकी खुशबू और फील आनी जरूरी है. लेकिन किंडल (डिजिटल बुक ऐप) पर भी बुक पढ़ना गलत नहीं है. खास तौर पर ट्रेवलिंग के समय. जब सामान ज्यादा है, तो किंडल मददगार साबित होता है. साथ यह कहना गलत नहीं होगा कि डिजिटल बुक्स के आ जाने से फिजिकल बुक्स को पढ़ने का शौक कम हुआ हो.

मेले मेे आए लोगों ने कहा किताब के पन्ने पलटने से मिलती है संतुष्टि (ETV BHARAT)

बुक पढ़ना लोगों की आज भी पहली पसंद : तेजस्वर सिंह का मानना हैं कि हर बात वीडियो कॉल के माध्यम से नहीं की जा सकती, जैसे मिलना और हाथ पकड़ कर चलना जरूरी होता है उसी तरह किताबों को पढ़ते समय उनका स्पर्श जरूरी होता है. ऐसा होने से पाठक लेखक की कहानी से ज्यादा जुड़ पता है। अगर सच में डिजिटल बुक प्रभावी होती तो पुस्तक मेलों का आयोजन ही क्यों किया जाता? फिजिकल बुक पढ़ना आज भी लोगों उतना ही पसंद है जितना पहले था.

विश्व पुस्तक मेले का 9 फरवरी को समापन : बता दें कि विश्व पुस्तक मेला अगली 9 फरवरी शाम 8 बजे तक जारी रहेगा. स्कूल यूनिफॉर्म में आने वाले छात्रों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए यहां प्रवेश निःशुल्क रखा गया है. वहीं सामान्य पब्लिक के लिए 20 रुपए और बच्चों के लिए 10 रुपए प्रवेश शुल्क है.

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