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CAA विरोध : सरकार को यह कानून वापस ले लेना चाहिए - सीके नायक

नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को संसद और राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद देशभर में इस कानून के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार सी.के. नायक का मानना है कि इस विरोध प्रदर्शन पर काबू पाने के लिए सरकार को इन कानून को वापस ले लेना चाहिए. पढ़ें पूरी खबर...

caa India agitation
स्वतंत्र पत्रकार सीके नायक
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Published : Dec 19, 2019, 5:15 PM IST

Updated : Dec 19, 2019, 5:35 PM IST

नई दिल्ली : पूरे देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हो रहा विरोध प्रदर्शन खत्म या कम होने का नाम नहीं ला रहा है. देश के मौजूदा हालात को देखते हुए विशेषज्ञ का मानना है कि सरकार को CAA को वपास ले लेना चाहिए या कम से कम कानून में से धर्म का आधार हटा देना चाहिए.

ईटीवी भारत से बातचीत में स्वतंत्र पत्रकार सीके नायक ने कहा कि सरकार को नागरिकता संशोधन कानून को हटा देना चाहिए या कम से कम धर्म के आधार पर नागरिकता की शर्त वापस ले लेनी चाहिए.

स्वतंत्र पत्रकार सीके नायक की ईटीवी भारत से बातचीत

बता दें कि जिस दिन से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नागरिकता संशोधन विधेयक को सहमति दी है, देशव्यापी विरोध जारी है. यह विरोध पूर्वोत्तर में शुरू हुआ था, लेकिन अब यह राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है.

राष्ट्रीय राजधानी में भी विशेष रूप से जामिया और कुछ अन्य क्षेत्रों में खासा विरोध देखा गया. दिल्ली प्रशासन ने मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए कई मेट्रो स्टेशनों को बंद कर दिया है.

पढ़ें-LIVE : CAA के खिलाफ हिंसक हुआ प्रदर्शन, कई लोग हिरासत में लिए गए

भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में CAA के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें पांच लोगों की मौत हो चुकी है.

नायक ने कहा कि पूर्वोत्तर के सभी राज्यों, विशेषकर असम को कई दशकों से अवैध प्रवास का सामना करना पड़ा है. सरकार को असम, त्रिपुरा और मेघालय जैसे राज्यों को भी अधिनियम के दायरे से बाहर रखना चाहिए था.

असम और त्रिपुरा में आंदोलन का उल्लेख करते हुए नायक ने कहा कि लोगों को लगता है कि इस कानून से उनकी संस्कृति को खतरा है.

उन्होंने आगे कहा कि पहले त्रिपुरा में आदिवासी आबादी 75 प्रतिशत थी और गैर आदिवासी 35 थे. लेकिन अवैध प्रवास के कारण स्थिति पूरी तरह बदल गई है.

नई दिल्ली : पूरे देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हो रहा विरोध प्रदर्शन खत्म या कम होने का नाम नहीं ला रहा है. देश के मौजूदा हालात को देखते हुए विशेषज्ञ का मानना है कि सरकार को CAA को वपास ले लेना चाहिए या कम से कम कानून में से धर्म का आधार हटा देना चाहिए.

ईटीवी भारत से बातचीत में स्वतंत्र पत्रकार सीके नायक ने कहा कि सरकार को नागरिकता संशोधन कानून को हटा देना चाहिए या कम से कम धर्म के आधार पर नागरिकता की शर्त वापस ले लेनी चाहिए.

स्वतंत्र पत्रकार सीके नायक की ईटीवी भारत से बातचीत

बता दें कि जिस दिन से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नागरिकता संशोधन विधेयक को सहमति दी है, देशव्यापी विरोध जारी है. यह विरोध पूर्वोत्तर में शुरू हुआ था, लेकिन अब यह राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है.

राष्ट्रीय राजधानी में भी विशेष रूप से जामिया और कुछ अन्य क्षेत्रों में खासा विरोध देखा गया. दिल्ली प्रशासन ने मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए कई मेट्रो स्टेशनों को बंद कर दिया है.

पढ़ें-LIVE : CAA के खिलाफ हिंसक हुआ प्रदर्शन, कई लोग हिरासत में लिए गए

भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में CAA के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें पांच लोगों की मौत हो चुकी है.

नायक ने कहा कि पूर्वोत्तर के सभी राज्यों, विशेषकर असम को कई दशकों से अवैध प्रवास का सामना करना पड़ा है. सरकार को असम, त्रिपुरा और मेघालय जैसे राज्यों को भी अधिनियम के दायरे से बाहर रखना चाहिए था.

असम और त्रिपुरा में आंदोलन का उल्लेख करते हुए नायक ने कहा कि लोगों को लगता है कि इस कानून से उनकी संस्कृति को खतरा है.

उन्होंने आगे कहा कि पहले त्रिपुरा में आदिवासी आबादी 75 प्रतिशत थी और गैर आदिवासी 35 थे. लेकिन अवैध प्रवास के कारण स्थिति पूरी तरह बदल गई है.

Intro:New Delhi: With the anti-Citizenship Amendment Act (CAA) agitation showing no respite, experts opined that CAA should be withdrawn or atleast 'religious' world could have been withdrawn from the bill, now an Act.



Body:"The government should withdraw the Citizenship Amendment Act from the country or at least the religious world should have been withdrawn from Bill," said independent journalist CK Nayak.

Ever since, President Ram Nath Kovind gave his assent to the Citizenship Amendment Bill, protest continues unabated across India. Though, the protest was started in Northeast, but now spontaneous protest keep pouring from across India.

The national capital too witnessed severe protest especially in Jamia and few other areas. The Delhi administration has shutdown several metro stations in view of the prevailing law and order situation.

The northeastern states of India had witnessed violent protest against the CAA. Four people have died in Assam in past two weeks.


Conclusion:"The entire northeastern states especially Assam had faced the issue of illegal influx for last several decades. The government could have kept states like Assam, Tripura and Meghalaya too from the ambit of the Act," said Nayak.

Referring to the on going agitation in Assam and Tripura, Nayak said that the indeginous people feel that their numbers will be marginalised.

"Earlier in Tripura tribal population was 75 percent and non tribals were 35...nut now it is become reversed, " said Nayak.

end.
Last Updated : Dec 19, 2019, 5:35 PM IST
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