नई दिल्ली : पूरे देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हो रहा विरोध प्रदर्शन खत्म या कम होने का नाम नहीं ला रहा है. देश के मौजूदा हालात को देखते हुए विशेषज्ञ का मानना है कि सरकार को CAA को वपास ले लेना चाहिए या कम से कम कानून में से धर्म का आधार हटा देना चाहिए.
ईटीवी भारत से बातचीत में स्वतंत्र पत्रकार सीके नायक ने कहा कि सरकार को नागरिकता संशोधन कानून को हटा देना चाहिए या कम से कम धर्म के आधार पर नागरिकता की शर्त वापस ले लेनी चाहिए.
बता दें कि जिस दिन से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नागरिकता संशोधन विधेयक को सहमति दी है, देशव्यापी विरोध जारी है. यह विरोध पूर्वोत्तर में शुरू हुआ था, लेकिन अब यह राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है.
राष्ट्रीय राजधानी में भी विशेष रूप से जामिया और कुछ अन्य क्षेत्रों में खासा विरोध देखा गया. दिल्ली प्रशासन ने मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए कई मेट्रो स्टेशनों को बंद कर दिया है.
पढ़ें-LIVE : CAA के खिलाफ हिंसक हुआ प्रदर्शन, कई लोग हिरासत में लिए गए
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में CAA के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें पांच लोगों की मौत हो चुकी है.
नायक ने कहा कि पूर्वोत्तर के सभी राज्यों, विशेषकर असम को कई दशकों से अवैध प्रवास का सामना करना पड़ा है. सरकार को असम, त्रिपुरा और मेघालय जैसे राज्यों को भी अधिनियम के दायरे से बाहर रखना चाहिए था.
असम और त्रिपुरा में आंदोलन का उल्लेख करते हुए नायक ने कहा कि लोगों को लगता है कि इस कानून से उनकी संस्कृति को खतरा है.
उन्होंने आगे कहा कि पहले त्रिपुरा में आदिवासी आबादी 75 प्रतिशत थी और गैर आदिवासी 35 थे. लेकिन अवैध प्रवास के कारण स्थिति पूरी तरह बदल गई है.