तकनीकी जानकारी और स्किल किसी भी व्यक्ति के कार्य क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं. आज केंद्र और राज्य सरकारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है ऐसे युवाओं को तैयार करना, जो आज की और आने वाले समय में नौकरियों की खास जरूरतों को पूरा कर सकें. जानकारों का कहना है कि आज की तारीख में 90 प्रतिशत पढ़े लिखे युवा नौकरियों के लिये जरूरी खास स्किल सेट में पिछड़ जाते हैं.
इस स्थिति से निपटने के लिये केंद्र सरकार 20,000 करोड़ रुपये खर्च कर हाई स्कूल से ही छात्रों में आज की नौकरियों के लिये जरूरी स्किल सेट तैयार करने की तैयारी में है. 2015 में ही पीएम मोदी ने ये कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा लाई जा रही 'निपुण्य भारत' देश में गरीबी से लड़ने के लिये कारगर साबित हो सकती है. इसी के चलते 2009 में यह लक्ष्य रखा गया था कि 2020 के अंत तक देश में 40 करोड़ लोगों को रोजगार के लिये जरूरी स्किल के साथ तैयार किया जायेगा.
2016 तक इस योजना ने जमीन पर आकार लेना शुरू कर दिया और 2019 के आखिर तक करीब 52 लाख लोगों ने अपने स्किल सेट को इस योजना के तहत नौकरियों के लिये तैयार किया. इनमे से 12.60 लाख लोगों को नौकरियां मिलने में कामयाबी भी हासिल हो चुकी है. ये आंकड़े भारत सरकार ने राज्यसभा में दिये है. केंद्र सरकार इस योजना की पूरी सफलता के लिये अब राज्य सरकारों को भी इसमें जोड़ने की तैयारी कर रही है. राष्ट्रीय विकास जिसमें खास फोकस शिक्षा के क्षेत्र में होगा, चीन नीति के जितना महत्व पा सकेगी.
भारत के पड़ोसी मुल्क चीन ने '9 इयर इंटिग्रेटेड एड्यूकेशन' पॉलिसी अपने यहां लागू की. इस योजना में तीन साल स्किल डेवेलपमेंट के विकास को लेकर खास ध्यान दिया जाता है. इसके चलते बच्चे सेकेंड्री स्कूल की पढ़ाई खत्म करते हुए स्किल्ड कामों को लेकर भी अपना ज्ञान अर्जित कर लेते हैं. ये देश को अपने आर्थिक हालातों को बेहतर बनाने में मदद करता है, उद्योग, बाजार और कार्यक्षेत्र में ट्रेंड लोग आसानी से मुहैया हो जाते हैं. एक सर्वे के मुताबिक दक्षिण कोरिया, जर्मनी और ब्रिटेन अपने यहां कार्यक्षेत्र में 96% 75% और 68% की दर से स्किल्ड लोगों को नौकरियां दिला पा रहे हैं. भारत में ये दर केवल 5% ही है.
यूनिसेफ के सर्वे के अनुसार 2030 तक भारत में कामकाजी लोगों की तादाद 96 करोड़ के पार पहुंच जायेगी. इनमें से पढ़ाई करने वाले लोगों की संख्या 31 करोड़ के पास होगी, जबकि नौकरियों के लिये स्किल्ड लोगों की संख्या करीब आधी यानि 15 करोड़ के आस पास ही होगी. स्किल्ड और प्रोफेशनल टैलेंट वाले 63 देशों की सूची में भारत का स्थान 53वां है.
ये हमारे लिये और आने वाली पीढ़ियों के लिये परेशानी का सबब है. एक और सर्वे के अनुसार देश के 70% लोग सरकार द्वारा स्किल डेवेलपमेंट के लिये चलाई जा रही तमाम योजनाओं के बारे में नही जानते हैं. ये मौजूदा समय में बेहद जरूरी है कि सरकार ऐसी तमाम योजनाओं के बारे में लोगों की बीच जागरूकता फैलाये जिनसे लोग आर्थिक आजादी की तरफ कदम बढ़ा सके.
संयुक्त राष्ट्र पहले ही कह चुका है कि युवाओँ को स्किल डेवेलपमेंट आदि के ज्यादा से ज्यादा कार्यक्रमों के बारे में बताने की जरूरत है, ताकि वो अपने लिये सबसे बेहतरीन विकल्प को पसंद सर सके. हालांकि भारत में अभी ये दूर के ही सपने जैसा है, क्योंकि भारत में आज भी अधिक्तर समय जो हम स्कूल में पढ़ते हैं और जो हम कार्य क्षेत्र में काम करते हैं उसमें कोई मेल नहीं होता है.
आज की तारीख में बच्चों की शैक्षिक योग्यता उन्हें नौकरियां दिलाने में मददगार साबित नही हो पा रही हैं. इसके चलते स्किल सेक्टर में एक खाई सी बनती जा रही है, जो हर दिन बड़ी हो रही है. आंकड़े बताते हैं कि 70% कंपनियां खास स्किल वाले लोगों की ही तलाश कर रही है, वहीं 58% शैक्षिक योग्यता वाले और 62% डिग्री वाले लोग आज भी नौकरियों की तलाश में भटक रहे हैं.
देश में इन दिनों बेरोजगारी इस हद तक फैल गई है कि जिन युवाओं ने पीएचडी और मास्टर्रस किया है वो भी कम तन्ख्वा और औहदे की नौकरी करने को मजबूर हैं. ये नौकरियां कई बार हाई स्कूल और इंटर पास लोगों के लिये उपयुक्त होती हैं.
अंतर्राष्ट्रीय डाटा मैंनेजमेंट कंपनी की गिन्नी रोमेटी कहती हैं कि 'ये जरूरी है कि कर्मचारी के पास पढ़ाई से ज्यादा कामकाज में इस्तेमाल होने वाली शिक्षा हो.' आज के जमाने में जब सूचना तकनीक का दौर अपने चरम पर है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डाटा एनालिटिक्स, ब्लॉक चैन, साइबर सिक्योरिटी आदि आने वाले समय में नौकरियों के क्षेत्र में बहुत अहम भूमिका निभाने वाले हैं.
हाइर सेकेंड्री स्कूलों के पाठ्यक्रम को भी दोबारा से बेहतर बनाना भी बेहद जरूरी है, ताकी वो स्किल सेट डेवेलपमेंट को लेकर आज के जमाने की शिक्षा दे सके. अगर ऐसा होता है तो ही सरकार आने वाले समय में युवाओं को रोजगार के मौकों के लिये तैयार कर सकेगी. जर्मनी, नॉरवे, फिंनलैंड आदि देशों की तरह अगर भारत में भी युवाओँ को सही दिशा मिलेगी तो वो दुनिया में कामयाबी की ऊंचाइयां हासिल कर सकेंगे.