कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा कृषि क्षेत्र सुधार बिलों का विरोध करने पर आलोचना की. उन्होंने कहा कि मगरमच्छ के आंसू किसानों के दर्द को दूर नहीं करेंगे.
राज्यपाल ने केंद्र की पीएम-किसान सम्मान निधि योजना को लागू करने का आग्रह किया. राज्यपाल ने यह दावा करते हुए कहा कि राज्य के 70 लाख किसानों को इस योजना से वंचित क्यों रखा गया? यह उन किसानों के साथ घोर अन्याय है.
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि में लाभ न लेने से 70 लाख पश्चिम बंगाल के किसानों को @MamataOfficial ने 8,400 करोड़ रुपये का लाभ नहीं ले पाए.
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Why deny @MamataOfficial benefit Rs 8,400 crores to 70 lac WB farmers. by failure to participation in PM-Kisan Samman Nidhi !
— Governor West Bengal Jagdeep Dhankhar (@jdhankhar1) September 22, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
So far every farmer has lost Rs. 12,000/- that would have come to his bank account.
Urge CM -Crocodile Tears will not relieve pain of farmers. (1/3) pic.twitter.com/CR02yoTPIb
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— Governor West Bengal Jagdeep Dhankhar (@jdhankhar1) September 22, 2020
So far every farmer has lost Rs. 12,000/- that would have come to his bank account.
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So far every farmer has lost Rs. 12,000/- that would have come to his bank account.
Urge CM -Crocodile Tears will not relieve pain of farmers. (1/3) pic.twitter.com/CR02yoTPIb
अब तक हर किसान का 12,000 रुपये का नुकसान हुआ है, जो उसके बैंक खाते में आया होगा. धनखड़ ने ट्विटर पर कहा कि सीएम मगरमच्छ के आंसू बहाकर किसानों के दर्द को दूर नहीं करेंगी.
धनखड़ ने कहा कि यह योजना केंद्र द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित है. किसानों को इसके लाभ लेने से इनकार करने के लिए कोई औचित्य नहीं है.
उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि राज्य के 70 लाख से अधिक किसानों को पीएम-किसान सम्मान निधि के लाभ से वंचित करना, राज्य सरकार की शिथिलता और निष्क्रियता के कारण उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है.
उन्होंने दावा किया कि दिसंबर 2018 से केंद्र की योजना कार्यात्मक है और राज्य सरकार इसे लागू करने के लिए कोई वित्तीय बोझ या दायित्व नहीं उठाएगी.
धनखड़ ने लिखा कि इसके पास केवल विवरण प्रदान करने के लिए है, जो दुर्भाग्य से किसी भी तर्कसंगत दृष्टिकोण के बिना नहीं किया गया है.