चंडिगढ़: हरियाणा की साइबर सिटी गुरुग्राम में रहने वाले बच्चे भी पॉल्यूशन से परेशान है. इसी विषय पर सात साल की बच्ची दिव्यांशी ने कैन्वस का सहारा लिया और लोगों के दिलों में उतर गई. दरअसल दिव्यांशी ने ऐसी पेंटिंग बनाई है, जिसमें पेड़ों को जूता पहनाए, पंख लगाए दिखाया गया है, जिसके चलते पेड़ खुद भाग कर कटने से बच सके.
दिव्यांशी की मां ने इस पेंटिंग को गूगल की तरफ से आयोजित स्पर्धा 'द वॉकिंग ट्री' में भेजा था, जहां ये पेंटिंग 1.10 लाख प्रतिस्पर्धियों में पहले नंबर पर आई है. गूगल कंपनी ने इसे अपने डूडल में स्थान दिया है और साथ में ही 5 लाख रुपये की कॉलेज और 2 लाख रुपये की स्कूल स्कॉलरशिप देने वाला है.
कहां से मिली प्रेरणा?
गुरुग्राम के सेक्टर 51 रहने वाली दूसरी क्लास की छात्रा दिव्यांशी छुट्टियों में नानी के घर लखनऊ गई थी. वहां उसके घर में पेड़ काट दिए गए थे. यह देख वह बहुत रोई. उसे स्कूल में पढ़ाया गया था कि पेड़ों से मिलने वाली ऑक्सीजन उनके कटने से ही कम हो रही है.
दिव्यांशी की माता ने उसका रोना बंद करवाया और ड्रॉइंग शीट देते हुए कहा कि पेड़ों के कटने से जो ख्याल उसके दिमाग में आये उस पर एक तस्वीर बनाए, दिव्यांशी तीन दिन में एक ऐसा चित्र बनाया जिसे देखकर उसके मम्मी-पापा भी हंसने लगे. इन तस्वीरों में पेड़ को भागने के लिया जूता पंख साईकिल और तैराकी को दर्शाया गया था,ताकि पेड़ अपने आप को काटने से बचा सके.
1 लाख से ज्यादा प्रतिभागियों में प्रथम आई दिव्यांशी
दिव्यांशी की तरफ से बनाए गए पेंटिंग्स से खुश होकर उसकी मम्मी ने इसे गूगल के एक कार्यकर्म कंप्टीशन 'द वॉकिंग ट्री' में यह सोचकर भेज दिया कि दिव्यांशी को प्रोत्साहन मिलगा, लेकिन जब नतीजा आया तो पता चला कि दिव्यांशी की यह पेंटिंग 1.1 लाख प्रतिस्पर्धियों में पहले नंबर पर आई है. गूगल ने गुरुवार को चिल्ड्रन-डे के मौके पर दिव्यांशी की तरफ से बनाई पेंटिंग को डूडल में स्थान दिया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और दिव्यांशी नेशनल विजेता बन गई.
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दिव्यांशी को आर्टिस्ट बनाना चाहते हैं माता पिता
दिव्यांशी गुरुग्राम के सेक्टर 51 में रहने की वाली है. इसके पिता एक कंपनी में एचआर मैनेजर है. तो वही मां एक आर्टिस्ट है और एक निजी स्कूल में ड्राइंग की टीचर हैं. दिव्यांशी अपना ज्यादातर समय पेंटिंग बनाने में लगाती है उसके बनाए हुए सभी पेंटिंग लोगों को जागरूक करने का काम करते हैं. दिव्यांशी की इस पहल से खुश होकर उसके घर वाले उसे भी एक आर्टिस्ट बनाना चाहते है.