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दिव्यांशी की पेंटिंग को गूगल ने बनाया डूडल, अब देगा सात लाख की स्कॉलरशिप

सात साल की बच्ची दिव्यांशी ने कैन्वस का सहारा लिया और लोगों के दिलों में उतर गई. गूगल ने गुरुवार को चिल्ड्रन-डे के मौके पर दिव्यांशी की तरफ से बनाई पेंटिंग को डूडल में भी स्थान दिया.

दिव्यांशी की पेंटिंग को गूगल ने बनाया डूडल
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Published : Nov 15, 2019, 11:59 PM IST

चंडिगढ़: हरियाणा की साइबर सिटी गुरुग्राम में रहने वाले बच्चे भी पॉल्यूशन से परेशान है. इसी विषय पर सात साल की बच्ची दिव्यांशी ने कैन्वस का सहारा लिया और लोगों के दिलों में उतर गई. दरअसल दिव्यांशी ने ऐसी पेंटिंग बनाई है, जिसमें पेड़ों को जूता पहनाए, पंख लगाए दिखाया गया है, जिसके चलते पेड़ खुद भाग कर कटने से बच सके.

दिव्यांशी की मां ने इस पेंटिंग को गूगल की तरफ से आयोजित स्पर्धा 'द वॉकिंग ट्री' में भेजा था, जहां ये पेंटिंग 1.10 लाख प्रतिस्पर्धियों में पहले नंबर पर आई है. गूगल कंपनी ने इसे अपने डूडल में स्थान दिया है और साथ में ही 5 लाख रुपये की कॉलेज और 2 लाख रुपये की स्कूल स्कॉलरशिप देने वाला है.

दिव्यांशी की पेंटिंग को गूगल ने बनाया डूडल

कहां से मिली प्रेरणा?
गुरुग्राम के सेक्टर 51 रहने वाली दूसरी क्लास की छात्रा दिव्यांशी छुट्टियों में नानी के घर लखनऊ गई थी. वहां उसके घर में पेड़ काट दिए गए थे. यह देख वह बहुत रोई. उसे स्कूल में पढ़ाया गया था कि पेड़ों से मिलने वाली ऑक्सीजन उनके कटने से ही कम हो रही है.

दिव्यांशी की माता ने उसका रोना बंद करवाया और ड्रॉइंग शीट देते हुए कहा कि पेड़ों के कटने से जो ख्याल उसके दिमाग में आये उस पर एक तस्वीर बनाए, दिव्यांशी तीन दिन में एक ऐसा चित्र बनाया जिसे देखकर उसके मम्मी-पापा भी हंसने लगे. इन तस्वीरों में पेड़ को भागने के लिया जूता पंख साईकिल और तैराकी को दर्शाया गया था,ताकि पेड़ अपने आप को काटने से बचा सके.

1 लाख से ज्यादा प्रतिभागियों में प्रथम आई दिव्यांशी
दिव्यांशी की तरफ से बनाए गए पेंटिंग्स से खुश होकर उसकी मम्मी ने इसे गूगल के एक कार्यकर्म कंप्टीशन 'द वॉकिंग ट्री' में यह सोचकर भेज दिया कि दिव्यांशी को प्रोत्साहन मिलगा, लेकिन जब नतीजा आया तो पता चला कि दिव्यांशी की यह पेंटिंग 1.1 लाख प्रतिस्पर्धियों में पहले नंबर पर आई है. गूगल ने गुरुवार को चिल्ड्रन-डे के मौके पर दिव्यांशी की तरफ से बनाई पेंटिंग को डूडल में स्थान दिया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और दिव्यांशी नेशनल विजेता बन गई.

यह भी पढ़ें : SC ने आरे में पेड़ काटने पर रोक लगाई, अगली सुनवाई 21 को

दिव्यांशी को आर्टिस्ट बनाना चाहते हैं माता पिता
दिव्यांशी गुरुग्राम के सेक्टर 51 में रहने की वाली है. इसके पिता एक कंपनी में एचआर मैनेजर है. तो वही मां एक आर्टिस्ट है और एक निजी स्कूल में ड्राइंग की टीचर हैं. दिव्यांशी अपना ज्यादातर समय पेंटिंग बनाने में लगाती है उसके बनाए हुए सभी पेंटिंग लोगों को जागरूक करने का काम करते हैं. दिव्यांशी की इस पहल से खुश होकर उसके घर वाले उसे भी एक आर्टिस्ट बनाना चाहते है.

चंडिगढ़: हरियाणा की साइबर सिटी गुरुग्राम में रहने वाले बच्चे भी पॉल्यूशन से परेशान है. इसी विषय पर सात साल की बच्ची दिव्यांशी ने कैन्वस का सहारा लिया और लोगों के दिलों में उतर गई. दरअसल दिव्यांशी ने ऐसी पेंटिंग बनाई है, जिसमें पेड़ों को जूता पहनाए, पंख लगाए दिखाया गया है, जिसके चलते पेड़ खुद भाग कर कटने से बच सके.

दिव्यांशी की मां ने इस पेंटिंग को गूगल की तरफ से आयोजित स्पर्धा 'द वॉकिंग ट्री' में भेजा था, जहां ये पेंटिंग 1.10 लाख प्रतिस्पर्धियों में पहले नंबर पर आई है. गूगल कंपनी ने इसे अपने डूडल में स्थान दिया है और साथ में ही 5 लाख रुपये की कॉलेज और 2 लाख रुपये की स्कूल स्कॉलरशिप देने वाला है.

दिव्यांशी की पेंटिंग को गूगल ने बनाया डूडल

कहां से मिली प्रेरणा?
गुरुग्राम के सेक्टर 51 रहने वाली दूसरी क्लास की छात्रा दिव्यांशी छुट्टियों में नानी के घर लखनऊ गई थी. वहां उसके घर में पेड़ काट दिए गए थे. यह देख वह बहुत रोई. उसे स्कूल में पढ़ाया गया था कि पेड़ों से मिलने वाली ऑक्सीजन उनके कटने से ही कम हो रही है.

दिव्यांशी की माता ने उसका रोना बंद करवाया और ड्रॉइंग शीट देते हुए कहा कि पेड़ों के कटने से जो ख्याल उसके दिमाग में आये उस पर एक तस्वीर बनाए, दिव्यांशी तीन दिन में एक ऐसा चित्र बनाया जिसे देखकर उसके मम्मी-पापा भी हंसने लगे. इन तस्वीरों में पेड़ को भागने के लिया जूता पंख साईकिल और तैराकी को दर्शाया गया था,ताकि पेड़ अपने आप को काटने से बचा सके.

1 लाख से ज्यादा प्रतिभागियों में प्रथम आई दिव्यांशी
दिव्यांशी की तरफ से बनाए गए पेंटिंग्स से खुश होकर उसकी मम्मी ने इसे गूगल के एक कार्यकर्म कंप्टीशन 'द वॉकिंग ट्री' में यह सोचकर भेज दिया कि दिव्यांशी को प्रोत्साहन मिलगा, लेकिन जब नतीजा आया तो पता चला कि दिव्यांशी की यह पेंटिंग 1.1 लाख प्रतिस्पर्धियों में पहले नंबर पर आई है. गूगल ने गुरुवार को चिल्ड्रन-डे के मौके पर दिव्यांशी की तरफ से बनाई पेंटिंग को डूडल में स्थान दिया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और दिव्यांशी नेशनल विजेता बन गई.

यह भी पढ़ें : SC ने आरे में पेड़ काटने पर रोक लगाई, अगली सुनवाई 21 को

दिव्यांशी को आर्टिस्ट बनाना चाहते हैं माता पिता
दिव्यांशी गुरुग्राम के सेक्टर 51 में रहने की वाली है. इसके पिता एक कंपनी में एचआर मैनेजर है. तो वही मां एक आर्टिस्ट है और एक निजी स्कूल में ड्राइंग की टीचर हैं. दिव्यांशी अपना ज्यादातर समय पेंटिंग बनाने में लगाती है उसके बनाए हुए सभी पेंटिंग लोगों को जागरूक करने का काम करते हैं. दिव्यांशी की इस पहल से खुश होकर उसके घर वाले उसे भी एक आर्टिस्ट बनाना चाहते है.

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गुरुग्राम-सात साल की बच्ची बनी डूडल राष्ट्रीय  विजेता 

बच्ची ने बनाये पेड़ो के चलते हुए चित्र 

कैन्वस पर उकेरे स्विमिंग करते,साईकिल चलते, उड़ते ,चलते पेडो के चित्र    

पेंटिंग के माध्यम से पेड़ो को काटने से बचने के लिए भागते हुए दिखाया 

गूगल की तरफ से 5 लाख रुपए की कॉलेज और 2 लाख रु. की स्कूल स्कॉलरशिप मिलेगी   

एंकर 

साइबर सिटी गुरुग्राम में रहने वाले बच्चे भी पॉल्यूशन से परेशान है | इसी को ले कर सात साल की लड़की ने कैन्वस का सहारा लिया और लोगो के दिलो में उतर गई | दरसल दिव्यांशी ने ऐसी पेंटिंग बनाइ है ,जिसमे पेड़ो को जूता पहनाए ,पंख लगाए दर्शाया है,जिसके चलते पेड़ स्वयं भाग कर काटने से बच सके | दिव्यांशी की माँ ने इस पेंटिंग को  गूगल द्वारा आयोजित स्पर्धा ‘द वॉकिंग ट्री’ में भेज दिया, जहा यह पेंटिंग 1.10  लाख प्रतिस्पर्धियों में पहले नंबर पर आई है। गूगल कंपनी ने इसे अपने डूडल में स्थान दिया है और साथ में ही 5 लाख रुपए की कॉलेज और 2 लाख रु. की स्कूल स्कॉलरशिप देने वाला है। 

VO-1

गुरुग्राम के सेक्टर 51 रहने वाली दूसरी क्लास की छात्रा दिव्यांशी छुट्टियाें में नानी के घर लखनऊ गई थी। वहां उसके घर में पेड़ काट दिए गए थे। यह देख वह बहुत रोई। उसे स्कूल में पढ़ाया गया था कि पेड़ों से मिलने वाली ऑक्सीजन उनके कटने से ही कम हो रही है। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के कारण स्कूल जाते समय रोज उसका दम घुटता है। मां ने उसका रोना बंद कराया और ड्रॉइंग शीट देते हुए कहा-की  पेड़ों के कटने से जो ख्याल उसके दिमाग में आये उसपर एक चित्र बनाए, दिव्यांशी दो से तीन दिन में एक ऐसा चित्र बनाया जिसे देखकर उसके मम्मी-पापा भी हसने लगे । इन तस्वीरों में पेड़ को भागने के लिया जूता पंख साईकिल और तैराकी को दर्शाया गया था  ,ताकि पेड़ अपने आप को काटने से बचा सके।  

बाइट-दिव्यांशी (छात्रा) 

बाइट दीप्ती सिंघल (छात्रा की माँ )

VO-2

दिव्यांशी द्वारा बनाए गए चित्र से खुश होकर उसकी मम्मी ने इसे गूगल के एक कार्यकर्म  स्पर्धा ‘द वॉकिंग ट्री में यह सोचकर भेज दिया कि दिव्यांशी को प्रोत्साहन मिलगा , लेकिन जब नतीजा आया तो पता चला कि दिव्यांशी की यह पेंटिंग 1.1 लाख प्रतिस्पर्धियों में पहले नंबर पर आई है। गूगल ने गुरुवार को चिल्ड्रन डे के मौके पर दिव्यांशी द्वारा बनाई पेंटिंग को डूडल में स्थान दिया तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और दिव्यांशी नेशनल विजेता बन गई | 

बाइट-नितिन सिंघल (छात्रा के पिता) 

VO-3

दिव्यांशी गुरुग्राम के सेक्टर 51 में रहने की वाली है | इसके पिता एक कंपनी में एचआर मैनेजर है | तो वही माँ एक आर्टिस्ट है और एक निजी स्कूल में ड्राइंग की टीचर है |  दिव्यांशी अपना ज्यादातर समय खेलकूद में न देकर सारा समय पेंटिंग बनाने में लगाती है उसके बनाए हुए सभी पेंटिंग लोगो को जागरूक करने का काम करते है|  दिव्यांशी की इस पहल से खुश होकर उसके घर वाले उसे भी एकआर्टिस्ट बनाना चाहते है
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