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वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2020: वैश्विक पोषण लक्ष्यों को प्राप्त करने में नहीं मिलेगी सफलता

हाल ही में वैश्विक पोषण रिपोर्ट2020 पेश की गई है. इस रिपोर्ट में तमाम बातों का उल्लेख किया गया है. वहीं, ऐसे मामले भी प्रस्तुत किए गए हैं, जो काफी चौंकाने वाले हैं.

global nutrition report 2020
वैश्विक पोषण रिपोर्ट2020 पर डालें एक नजर
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Published : Dec 10, 2020, 10:31 AM IST

हैदराबाद: हाल ही में वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2020 जारी की गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी भी वैश्विक स्तर पर अस्वीकार्य रूप से कुपोषण उच्च स्तर पर बना हुआ है. वहीं, यह भी बताया गया कि 2025 तक वैश्विक पोषण लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफलता नहीं मिलेगी.

2. इस रिपोर्ट में कहा गया कि 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में करीब 149 मिलियन अविकसित. 49.5 मिलियन कमजोर और 40.1 मिलियन अधिक वजन के हैं. वहीं, 677.6 मिलियन बच्चे मोटे हैं.

3. इसके अलावा इस रिपोर्ट में कहा गया कि विशेष रूप से अफ्रीका, पश्चिम एशिया और लैटिन अमेरिका में 2015 के बाद से ऐसे बच्चों की संख्या बढ़कर 820 मिलियन हो गई है जो भूखे या अल्पपोषित हैं.

4. 53 देशों के लगभग 113 मिलियन लोग खाद्य असुरक्षा, जलवायु के झटके और आर्थिक अशांति के परिणामस्वरूप तेज भूख महसूस करते है.

5. वहीं, वैश्विक पोषण रिपोर्ट2020 में बताया गया कि पिछले दो दशकों में दुनिया की एक तिहाई व्यस्क आबादी अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त है.

6. यह भी बताया गया कि 2012 के 165.8 मिलियन के मुकाबले 2018 में बचपन में बच्चों की वृद्धि के मामले घटकर 149 मिलियन हो गए हैं.

7. दुनियाभर में किसी भी देश ने बढ़ते वजन और मोटापे की प्रवृत्ति को रोकने में कामयाबी नहीं पाई है.

8. वैश्विक पोषण रिपोर्ट2020 में कहा गया कि गरीब देशों में पौष्टिक खाद्य पदार्थों के दाम ज्यादा हैं.

9. गर्भावस्था के दौरान और बचपन में कम खाना जीवन में कुपोषण का प्रमुख कारण है. यह शारीरिक और मस्तिष्क विकास को प्रभावित करता है.

10. सरकारों, व्यापार और सामाजिक जीवन को भोजन और स्वास्थ्य प्रणालियों में कुपोषण को दूर करने के प्रयास करने चाहिए.

11. सबसे गरीब घरों, ग्रामीण क्षेत्रों में या कम पढ़ी-लिखी मां के बच्चों के लिए न्यूनतम आहार विविधता की दरों में काफी असमानता है.

12. नए विश्लेषण से पता चलता है कि वैश्विक और राष्ट्रीय नमूने देशों और समुदायों के असमानताओं को छिपाते हैं. जिसमें कमजोर समूह सबसे अधिक प्रभावित होते हैं.

13. अधिकांश लोग स्वस्थ आहार और गुणवत्तापूर्ण पोषण नहीं खा सकते. इसके लिए खाद्य और स्वास्थ्य प्रणालियों को बदलना होगा.

14. हमें खाद्य प्रणालियों में असमानताओं को दूर करने के साथ-साथ सभी के लिए स्वस्थ, स्थायी, सुलभ और सस्ती पसंद वाले भोजन बनाने चाहिए.

15. हमें पोषण को पूरी तरह से स्वास्थ्य प्रणालियों में एकीकृत करना चाहिए और पोषण देखभाल, निवारक और उपचारात्मक, सार्वभौमिक रूप से उपलब्ध कराना चाहिए.

भारत की गिनती अधिक वजन और वृद्धि को रोकने वाली श्रेणी में

  1. नाइजीरिया, इंडोनेशिया और भारत में वृद्धि को रोकने में सबसे बड़ी असमानता देखी गई है. जहां समुदायों में यह स्तर चार गुना था.
  2. भारत में हर 2 गर्भवतियों में से 1 एनमिक है. 5 साल से कम उम्र के 3 बच्चों में से 1का अल्प विकास हुआ है और 5 साल से कम उम्र के 5 बच्चों में से 1 कमजोर है.
  3. अधिक वजन या मोटापे की दर महिलाओं में 20.7और पुरुषों में 18.9% तक पहुंच जाती है.
  4. इसी वजह से भारत कुपोषण के दोहरे बोझ का सामना कर रहा है.

2025 वैश्विक पोषण लक्ष्यों की दिशा में देश की प्रगति

Country level progress towards the 2025 global nutrition targets.

कुपोषण से निपटने के उपाय

भोजन और स्वास्थ्य प्रणालियों में असमानता का सामना करना

1. वर्तमान में कुपोषण सबसे बड़ी सामाजिक चुनौतियों में से एक है, जिससे विशाल स्वास्थ्य, आर्थिक और पर्यावरणीय बोझ होता है.

2. सबसे पहले हमें उत्पादन से लेकर उपभोग तक खाद्य प्रणालियों में असमानताओं को दूर करना होगा. वर्तमान खाद्य प्रणालियां लोगों को स्वस्थ भोजन विकल्प चुनने में सक्षम नहीं बनाती हैं. वर्तमान समय में अधिकांश लोग स्वस्थ आहार का उपयोग नहीं कर सकते हैं.

3. मौजूदा कृषि प्रणालियां स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों, जैसे फल, नट्स और सब्जियों की व्यापक रेंज का उत्पादन करने के बजाय मुख्य रूप से चावल, गेहूं और मक्का जैसे प्रधान अनाज की अधिकता पर केंद्रित हैं.

4. जलवायु आपातकाल ने खाद्य प्रणालियों पर पुनर्विचार करने को महत्वपूर्ण बना दिया है

5. हमें स्वास्थ्य प्रणालियों में पोषण संबंधी असमानताओं को दूर करना चाहिए. कुपोषण बीमारी और मृत्यु का प्रमुख कारण बन गया है. जो स्वास्थ्य प्रणालियों पर एक असहनीय तनाव डाल रहा है.

पोषण परिणामों में सुधार करने के लिए निवेश

वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने और कुपोषण को समाप्त करने के लिए आवश्यक गहन अभियान सभी क्षेत्रों और देशों की सामूहिक जिम्मेदारी है. सरकारों के घरेलू वित्त पोषण निरंतर सुधार सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं. उसी समय, अंतरराष्ट्रीय दाता समुदाय का यह कर्तव्य है कि वहां कदम बढ़ाए, जहां सरकारों के पास प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने के लिए संसाधनों की कमी है.

खाद्य प्रणाली: यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्वस्थ और स्थायी रूप से उत्पादित भोजन सभी के लिए सबसे सुलभ, सस्ती पसंद है. सभी क्षेत्रों को भोजन प्रणाली के पोषण के लिए मिलकर काम करना होगा.

स्वास्थ्य प्रणाली: जीवन को बचाने और स्वास्थ्य देखभाल की लागतों में कटौती करने के लिए मौजूदा बुनियादी ढांचे का लाभ उठाना चाहिए. इसके साथ-साथ नई प्रौद्योगिकियों को पेश करने के लिए सहयोग के लिए क्षेत्रों को काम करना चाहिए.

पोषण समन्वय, वित्तपोषण और जवाबदेही: सेक्टरों को पूरक धन और जवाबदेही तंत्र विकसित करने के लिए साझेदारी में काम करना चाहिए. जो समुदायों और लोगों को निर्देशन पर केंद्रित हों, जो कुपोषण से प्रभावित हों.

हैदराबाद: हाल ही में वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2020 जारी की गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी भी वैश्विक स्तर पर अस्वीकार्य रूप से कुपोषण उच्च स्तर पर बना हुआ है. वहीं, यह भी बताया गया कि 2025 तक वैश्विक पोषण लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफलता नहीं मिलेगी.

2. इस रिपोर्ट में कहा गया कि 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में करीब 149 मिलियन अविकसित. 49.5 मिलियन कमजोर और 40.1 मिलियन अधिक वजन के हैं. वहीं, 677.6 मिलियन बच्चे मोटे हैं.

3. इसके अलावा इस रिपोर्ट में कहा गया कि विशेष रूप से अफ्रीका, पश्चिम एशिया और लैटिन अमेरिका में 2015 के बाद से ऐसे बच्चों की संख्या बढ़कर 820 मिलियन हो गई है जो भूखे या अल्पपोषित हैं.

4. 53 देशों के लगभग 113 मिलियन लोग खाद्य असुरक्षा, जलवायु के झटके और आर्थिक अशांति के परिणामस्वरूप तेज भूख महसूस करते है.

5. वहीं, वैश्विक पोषण रिपोर्ट2020 में बताया गया कि पिछले दो दशकों में दुनिया की एक तिहाई व्यस्क आबादी अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त है.

6. यह भी बताया गया कि 2012 के 165.8 मिलियन के मुकाबले 2018 में बचपन में बच्चों की वृद्धि के मामले घटकर 149 मिलियन हो गए हैं.

7. दुनियाभर में किसी भी देश ने बढ़ते वजन और मोटापे की प्रवृत्ति को रोकने में कामयाबी नहीं पाई है.

8. वैश्विक पोषण रिपोर्ट2020 में कहा गया कि गरीब देशों में पौष्टिक खाद्य पदार्थों के दाम ज्यादा हैं.

9. गर्भावस्था के दौरान और बचपन में कम खाना जीवन में कुपोषण का प्रमुख कारण है. यह शारीरिक और मस्तिष्क विकास को प्रभावित करता है.

10. सरकारों, व्यापार और सामाजिक जीवन को भोजन और स्वास्थ्य प्रणालियों में कुपोषण को दूर करने के प्रयास करने चाहिए.

11. सबसे गरीब घरों, ग्रामीण क्षेत्रों में या कम पढ़ी-लिखी मां के बच्चों के लिए न्यूनतम आहार विविधता की दरों में काफी असमानता है.

12. नए विश्लेषण से पता चलता है कि वैश्विक और राष्ट्रीय नमूने देशों और समुदायों के असमानताओं को छिपाते हैं. जिसमें कमजोर समूह सबसे अधिक प्रभावित होते हैं.

13. अधिकांश लोग स्वस्थ आहार और गुणवत्तापूर्ण पोषण नहीं खा सकते. इसके लिए खाद्य और स्वास्थ्य प्रणालियों को बदलना होगा.

14. हमें खाद्य प्रणालियों में असमानताओं को दूर करने के साथ-साथ सभी के लिए स्वस्थ, स्थायी, सुलभ और सस्ती पसंद वाले भोजन बनाने चाहिए.

15. हमें पोषण को पूरी तरह से स्वास्थ्य प्रणालियों में एकीकृत करना चाहिए और पोषण देखभाल, निवारक और उपचारात्मक, सार्वभौमिक रूप से उपलब्ध कराना चाहिए.

भारत की गिनती अधिक वजन और वृद्धि को रोकने वाली श्रेणी में

  1. नाइजीरिया, इंडोनेशिया और भारत में वृद्धि को रोकने में सबसे बड़ी असमानता देखी गई है. जहां समुदायों में यह स्तर चार गुना था.
  2. भारत में हर 2 गर्भवतियों में से 1 एनमिक है. 5 साल से कम उम्र के 3 बच्चों में से 1का अल्प विकास हुआ है और 5 साल से कम उम्र के 5 बच्चों में से 1 कमजोर है.
  3. अधिक वजन या मोटापे की दर महिलाओं में 20.7और पुरुषों में 18.9% तक पहुंच जाती है.
  4. इसी वजह से भारत कुपोषण के दोहरे बोझ का सामना कर रहा है.

2025 वैश्विक पोषण लक्ष्यों की दिशा में देश की प्रगति

Country level progress towards the 2025 global nutrition targets.

कुपोषण से निपटने के उपाय

भोजन और स्वास्थ्य प्रणालियों में असमानता का सामना करना

1. वर्तमान में कुपोषण सबसे बड़ी सामाजिक चुनौतियों में से एक है, जिससे विशाल स्वास्थ्य, आर्थिक और पर्यावरणीय बोझ होता है.

2. सबसे पहले हमें उत्पादन से लेकर उपभोग तक खाद्य प्रणालियों में असमानताओं को दूर करना होगा. वर्तमान खाद्य प्रणालियां लोगों को स्वस्थ भोजन विकल्प चुनने में सक्षम नहीं बनाती हैं. वर्तमान समय में अधिकांश लोग स्वस्थ आहार का उपयोग नहीं कर सकते हैं.

3. मौजूदा कृषि प्रणालियां स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों, जैसे फल, नट्स और सब्जियों की व्यापक रेंज का उत्पादन करने के बजाय मुख्य रूप से चावल, गेहूं और मक्का जैसे प्रधान अनाज की अधिकता पर केंद्रित हैं.

4. जलवायु आपातकाल ने खाद्य प्रणालियों पर पुनर्विचार करने को महत्वपूर्ण बना दिया है

5. हमें स्वास्थ्य प्रणालियों में पोषण संबंधी असमानताओं को दूर करना चाहिए. कुपोषण बीमारी और मृत्यु का प्रमुख कारण बन गया है. जो स्वास्थ्य प्रणालियों पर एक असहनीय तनाव डाल रहा है.

पोषण परिणामों में सुधार करने के लिए निवेश

वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने और कुपोषण को समाप्त करने के लिए आवश्यक गहन अभियान सभी क्षेत्रों और देशों की सामूहिक जिम्मेदारी है. सरकारों के घरेलू वित्त पोषण निरंतर सुधार सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं. उसी समय, अंतरराष्ट्रीय दाता समुदाय का यह कर्तव्य है कि वहां कदम बढ़ाए, जहां सरकारों के पास प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने के लिए संसाधनों की कमी है.

खाद्य प्रणाली: यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्वस्थ और स्थायी रूप से उत्पादित भोजन सभी के लिए सबसे सुलभ, सस्ती पसंद है. सभी क्षेत्रों को भोजन प्रणाली के पोषण के लिए मिलकर काम करना होगा.

स्वास्थ्य प्रणाली: जीवन को बचाने और स्वास्थ्य देखभाल की लागतों में कटौती करने के लिए मौजूदा बुनियादी ढांचे का लाभ उठाना चाहिए. इसके साथ-साथ नई प्रौद्योगिकियों को पेश करने के लिए सहयोग के लिए क्षेत्रों को काम करना चाहिए.

पोषण समन्वय, वित्तपोषण और जवाबदेही: सेक्टरों को पूरक धन और जवाबदेही तंत्र विकसित करने के लिए साझेदारी में काम करना चाहिए. जो समुदायों और लोगों को निर्देशन पर केंद्रित हों, जो कुपोषण से प्रभावित हों.

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