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वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2020 : कुपोषण के दोहरे बोझ का सामना कर रहा देश

वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2020 के मुताबिक भारत को कुपोषण के दोहरे बोझ का सामना करना पड़ रहा है. इससे बचने के लिए सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं. उन्हीं में से एक है राष्ट्रीय पोषण मिशन. इसे 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू किया था.

Global Nutrition Report 2020
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Published : May 13, 2020, 5:09 PM IST

Updated : May 14, 2020, 11:18 AM IST

हैदराबाद : भारत में प्रजनन आयु की दो महिलाओं में से एक एनीमिक होती है. पांच वर्ष से कम आयु के तीन बच्चों में से एक अविकसित रहता है. ठीक तरह से विकास न होने के पीछे असमानताएं हैं. यह शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में 10.1 प्रतिशत ज्यादा देखा गया है.

वयस्क महिलाओं में मोटापे की दर 20.7 प्रतिशत है और पुरुषों में 18.9. कुपोषण और मोटापे के इस सह-अस्तित्व के साथ, भारत को कुपोषण के दोहरे बोझ का सामना करना पड़ रहा है.

ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स प्रोग्राम
भारत ने जनवरी 2018 में ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स प्रोग्राम शुरू किया. राष्ट्रय पोषण मिशन में पाया गया था कि देश के सभी नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता पिछले दस वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुरूप नहीं है. अभियान में यह भी पाया गया कि सामाजिक और आर्थिक विकास के मामले में राज्यों के भीतर बड़ी भिन्नता है. इसके बाद ही ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स प्रोग्राम शुरू किया गया.

कार्यक्रम की विशेषताएं
यह एक अनूठा कार्यक्रम है, जो 28 राज्यों में 115 आकांक्षात्मक जिलों में असमानता, सामाजिक अन्याय और बहिष्कार जैसी सम्साओं की दिशा में नीतिगत ध्यान केंद्रित करता है. इसका उद्देश्य सेवाओं में सुधार है. इनमें स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, बुनियादी ढांचा, कृषि और जल संसाधन शामिल हैं.

कार्यक्रम का उद्देश्य भारत में जीवन के स्तर में विषमताओं को दूर करना और सुधार करना है. सभी लोगों की अर्थव्यवस्था में तेजी, प्रभावी और पूरी तरह से भाग लेने की क्षमता को बेहतर बनाना है. यह जिलों में बदलाव आने से ही संभव हो पाएगा.

इस कार्यक्रम का एक और अद्देश्य हैं कि आशा और आंगनवाड़ी कर्मी द्वारा चिन्हित महिलाओं और बच्चों को स्वास्थ्य और पोषण से जुड़ी सेवाएं मिलें और ऐसी महिलाओं और बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हो.

इन सेवाओं में प्रसवपूर्व देखभाल, गर्भावस्था के दौरान आयरन सप्लीमेंट आपूर्ति, खून की कमी का उपचार, स्तनपान की शीघ्र शुरुआत, शिशु को खिलाने पर परामर्श, जन्म पर वजन माप, बच्चे के विकास की निगरानी और मौखिक रिहाइड्रेशन से दस्त का उपचार आदि शामिल हैं. कार्यक्रम में छमाही घरेलू सर्वेक्षण भी शामिल है, जिसका उद्देश्य कार्यक्रम की कवरेज और गुणवत्ता का आकलन करना है. बता दें कि परिणाम सकारात्मक हैं.

कार्यक्रम का अरस

Global Nutrition Report 2020
2020 वैश्विक पोषण रिपोर्ट

हैदराबाद : भारत में प्रजनन आयु की दो महिलाओं में से एक एनीमिक होती है. पांच वर्ष से कम आयु के तीन बच्चों में से एक अविकसित रहता है. ठीक तरह से विकास न होने के पीछे असमानताएं हैं. यह शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में 10.1 प्रतिशत ज्यादा देखा गया है.

वयस्क महिलाओं में मोटापे की दर 20.7 प्रतिशत है और पुरुषों में 18.9. कुपोषण और मोटापे के इस सह-अस्तित्व के साथ, भारत को कुपोषण के दोहरे बोझ का सामना करना पड़ रहा है.

ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स प्रोग्राम
भारत ने जनवरी 2018 में ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स प्रोग्राम शुरू किया. राष्ट्रय पोषण मिशन में पाया गया था कि देश के सभी नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता पिछले दस वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुरूप नहीं है. अभियान में यह भी पाया गया कि सामाजिक और आर्थिक विकास के मामले में राज्यों के भीतर बड़ी भिन्नता है. इसके बाद ही ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स प्रोग्राम शुरू किया गया.

कार्यक्रम की विशेषताएं
यह एक अनूठा कार्यक्रम है, जो 28 राज्यों में 115 आकांक्षात्मक जिलों में असमानता, सामाजिक अन्याय और बहिष्कार जैसी सम्साओं की दिशा में नीतिगत ध्यान केंद्रित करता है. इसका उद्देश्य सेवाओं में सुधार है. इनमें स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, बुनियादी ढांचा, कृषि और जल संसाधन शामिल हैं.

कार्यक्रम का उद्देश्य भारत में जीवन के स्तर में विषमताओं को दूर करना और सुधार करना है. सभी लोगों की अर्थव्यवस्था में तेजी, प्रभावी और पूरी तरह से भाग लेने की क्षमता को बेहतर बनाना है. यह जिलों में बदलाव आने से ही संभव हो पाएगा.

इस कार्यक्रम का एक और अद्देश्य हैं कि आशा और आंगनवाड़ी कर्मी द्वारा चिन्हित महिलाओं और बच्चों को स्वास्थ्य और पोषण से जुड़ी सेवाएं मिलें और ऐसी महिलाओं और बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हो.

इन सेवाओं में प्रसवपूर्व देखभाल, गर्भावस्था के दौरान आयरन सप्लीमेंट आपूर्ति, खून की कमी का उपचार, स्तनपान की शीघ्र शुरुआत, शिशु को खिलाने पर परामर्श, जन्म पर वजन माप, बच्चे के विकास की निगरानी और मौखिक रिहाइड्रेशन से दस्त का उपचार आदि शामिल हैं. कार्यक्रम में छमाही घरेलू सर्वेक्षण भी शामिल है, जिसका उद्देश्य कार्यक्रम की कवरेज और गुणवत्ता का आकलन करना है. बता दें कि परिणाम सकारात्मक हैं.

कार्यक्रम का अरस

Global Nutrition Report 2020
2020 वैश्विक पोषण रिपोर्ट
Last Updated : May 14, 2020, 11:18 AM IST
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