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पिछले पांच वर्षों में राष्ट्रीय राजधानी से 16,504 लड़कियां लापता: रिपोर्ट

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Published : Jul 18, 2019, 11:33 PM IST

दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्ष 2014 से 2017 तक दिल्ली से 16,504 लड़कियां लापता हुई. इनमें 3730 लड़कियों का अभी कोई सुराग नहीं मिल सका है. जानें क्या है पूरा मामला...

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नई दिल्ली: दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राजधानी में लापता बच्चों को लेकर एक रिपोर्ट दिल्ली सरकार को सौंपी है. रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में लापता बच्चों को ना खोज पाने का प्रतिशत साल दर साल बढ़ता जा रहा है. लापता बच्चों में भी लड़कियों की संख्या अधिक है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्यादातर लापता बच्चे प्रवासी लोगों के हैं, जो दिल्ली में मजदूरी के लिए आते हैं और कुछ समय बाद चले जाते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2014 से 2017 तक 16504 लड़कियां दिल्ली से लापता हुई. इनमें से 3730 लड़कियों का अभी कोई सुराग नहीं लग पाया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

लड़कियां ज्यादा लापता
दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 से 2017 तक लापता और बरामद बच्चों का विवरण दिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक 2014 से 2017 तक दिल्ली में सबसे ज्यादा लड़कियां लापता हुई हैं, जबकि लापता लड़कों की संख्या 12,918 है. तो वहीं, लड़कियों की संख्या 16,504 है. लापता लड़कों में से 10849 लड़कों और 12774 लड़कियों को ढूंढ लिया गया तो वहीं 2069 लड़के और 3730 लड़कियां अभी भी लापता हैं.

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नरेला थाने में सबसे ज्यादा केस
दिल्ली में सबसे ज्यादा बच्चे गुम होने के मामले नरेला थाने में दर्ज किए गए हैं. इसके बाद बाहरी दिल्ली के समयपुर बादली, शाहाबाद डेयरी, विजय विहार तो वहीं दक्षिणी दिल्ली के जैतपुर, संगम विहार, उत्तम नगर, भलस्वा डेयरी, डाबड़ी, खजूरी खास, करावल नगर, न्यू उस्मानपुर, महरौली, न्यू अशोक नगर, बेगमपुर, बिंदापुर, बुराड़ी, कापसहेड़ा, गोकुलपुरी और सीमापुरी थाना शामिल है. लापता बच्चों को ढूंढ पाने में समयपुर बादली थाने को सबसे कम सफलता मिली है. तो वहीं नई दिल्ली जिले में सबसे कम बच्चे बीते 5 वर्षों में गुम हुए हैं.

पढ़ें- 40 साल की रेखा ने उठाया बस्ता और बेटे के साथ स्कूल पढ़ने चल दीं...

दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव विजय देव दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग की रिपोर्ट को लेकर कहते हैं बच्चों को खोजने के लिए सभी विभागों को मिलकर काम करना होगा. इससे सफलता की दर बढ़ेगी.

इसमें पुलिस का योगदान सबसे अहम होता है अब लापता बच्चों को तलाशने के लिए पुलिस ने एक मोबाइल एप भी बनाया है. जिसके माध्यम से किसी लापता बच्चे को तस्वीर अपलोड करने पर उसमें उसकी जानकारी दर्ज हो जाती है और पुलिस को इसे तलाशने में मदद मिलती हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राजधानी में लापता बच्चों को लेकर एक रिपोर्ट दिल्ली सरकार को सौंपी है. रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में लापता बच्चों को ना खोज पाने का प्रतिशत साल दर साल बढ़ता जा रहा है. लापता बच्चों में भी लड़कियों की संख्या अधिक है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्यादातर लापता बच्चे प्रवासी लोगों के हैं, जो दिल्ली में मजदूरी के लिए आते हैं और कुछ समय बाद चले जाते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2014 से 2017 तक 16504 लड़कियां दिल्ली से लापता हुई. इनमें से 3730 लड़कियों का अभी कोई सुराग नहीं लग पाया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

लड़कियां ज्यादा लापता
दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 से 2017 तक लापता और बरामद बच्चों का विवरण दिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक 2014 से 2017 तक दिल्ली में सबसे ज्यादा लड़कियां लापता हुई हैं, जबकि लापता लड़कों की संख्या 12,918 है. तो वहीं, लड़कियों की संख्या 16,504 है. लापता लड़कों में से 10849 लड़कों और 12774 लड़कियों को ढूंढ लिया गया तो वहीं 2069 लड़के और 3730 लड़कियां अभी भी लापता हैं.

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नरेला थाने में सबसे ज्यादा केस
दिल्ली में सबसे ज्यादा बच्चे गुम होने के मामले नरेला थाने में दर्ज किए गए हैं. इसके बाद बाहरी दिल्ली के समयपुर बादली, शाहाबाद डेयरी, विजय विहार तो वहीं दक्षिणी दिल्ली के जैतपुर, संगम विहार, उत्तम नगर, भलस्वा डेयरी, डाबड़ी, खजूरी खास, करावल नगर, न्यू उस्मानपुर, महरौली, न्यू अशोक नगर, बेगमपुर, बिंदापुर, बुराड़ी, कापसहेड़ा, गोकुलपुरी और सीमापुरी थाना शामिल है. लापता बच्चों को ढूंढ पाने में समयपुर बादली थाने को सबसे कम सफलता मिली है. तो वहीं नई दिल्ली जिले में सबसे कम बच्चे बीते 5 वर्षों में गुम हुए हैं.

पढ़ें- 40 साल की रेखा ने उठाया बस्ता और बेटे के साथ स्कूल पढ़ने चल दीं...

दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव विजय देव दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग की रिपोर्ट को लेकर कहते हैं बच्चों को खोजने के लिए सभी विभागों को मिलकर काम करना होगा. इससे सफलता की दर बढ़ेगी.

इसमें पुलिस का योगदान सबसे अहम होता है अब लापता बच्चों को तलाशने के लिए पुलिस ने एक मोबाइल एप भी बनाया है. जिसके माध्यम से किसी लापता बच्चे को तस्वीर अपलोड करने पर उसमें उसकी जानकारी दर्ज हो जाती है और पुलिस को इसे तलाशने में मदद मिलती हैं.

Intro:नई दिल्ली. दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राजधानी में लापता बच्चों को लेकर एक रिपोर्ट दिल्ली सरकार को सौंपी है. रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में दिनोंदिन लापता बच्चों को ना खोज पाने का प्रतिशत साल दर साल बढ़ता जा रहा है. लापता बच्चों में भी लड़कियों की संख्या अधिक है. ज्यादातर लापता बच्चे प्रवासी लोगों के हैं. जो दिल्ली में मजदूरी के लिए आते हैं और कुछ समय बाद चले जाते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2014 से 2017 तक 16504 लड़कियां दिल्ली से लापता हुई. इनमें से 3730 लड़कियों का अभी कोई सुराग नहीं लग पाया है.


Body:दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 से 2017 तक लापता और बरामद बच्चों का विवरण दिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक 2014 से 2017 तक दिल्ली में सबसे ज्यादा लड़कियां लापता हुई हैं. जबकि लापता लड़कों की संख्या 12,918 है. तो वही, लड़कियों की संख्या 16,504 है. लापता लड़कों में से 10849 लड़कों और 12774 लड़कियों को ढूंढ लिया गया. तो वहीं 2069 लड़के और 3730 लड़कियां अभी भी लापता हैं.

दिल्ली के नरेला थाने में दर्ज है सबसे अधिक लापता बच्चों के मामले

दिल्ली में सबसे ज्यादा बच्चे गुम होने के मामले नरेला थाने में दर्ज किए गए हैं. इसके बाद बाहरी दिल्ली के समयपुर बादली, शाहाबाद डेयरी, विजय विहार तो वहीं दक्षिणी दिल्ली के जैतपुर, संगम विहार, उत्तम नगर, भलस्वा डेयरी, डाबड़ी, खजूरी खास, करावल नगर, न्यू उस्मानपुर, महरौली, न्यू अशोक नगर, बेगमपुर, बिंदापुर, बुराड़ी, कापसहेड़ा, गोकुलपुरी और सीमापुरी थाना शामिल है. लापता बच्चों को ढूंढ पाने में समयपुर बादली थाने को सबसे कम सफलता मिली है. तो वहीं नई दिल्ली जिले में सबसे कम बच्चे बीते 5 वर्षों में गुम हुए हैं.

समाप्त, आशुतोष झा


Conclusion: दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव विजय देव दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग की रिपोर्ट को लेकर कहते हैं बच्चों को खोजने के लिए सभी विभागों को मिलकर काम करना होगा इससे सफलता की दर बढ़ेगी इसमें पुलिस का योगदान सबसे अहम होता है अब लापता बच्चों को तलाशने के लिए पुलिस ने एक मोबाइल एप भी बनाया है जिसके माध्यम से किसी लापता बच्चे को तस्वीर अपलोड करने पर उसमें उसकी जानकारी दर्ज हो जाती है और पुलिस को इसे तलाशने में मदद मिलती हैं

समाप्त, आशुतोष झा
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