नई दिल्ली: बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अंदर सबकुछ ठीक नहीं है. इफ्तार पार्टी के जरिए राजनीतिक संदेश भेजे जा रहे हैं. कोई भी पार्टी खुल्लम-खुल्ला नहीं बोल रही है. इशारों ही इशारों में निशाना साधे जा रहे हैं. इस बीच केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक ट्वीट कर दिया और फिर उसके बाद सियासी घमासान मच गया है. अभी तक जो शोला अंदरखाने भड़का था, उसकी चिनगारी बाहर दिखने लगी है.
गिरिराज सिंह ने लिखा 'कितनी खूबसूरत तस्वीर होती जब इतनी ही चाहत से नवरात्रि पर फलाहार का आयोजन करते और सुंदर सुदंर फोटो आते ? अपने कर्म-धर्म में हम पिछड़ क्यों जाते हैं और दिखावा में आगे रहते है'.
दरअसल, उन्होने ये निशाना उन नेताओं (मुख्य रूप से नीतीश कुमार) पर साधा, जो उनके अनुसार इफ्तार पार्टी के जरिए सियासी गोटी फिट करते रहते हैं. उन्होंने इसके साथ एक तस्वीर भी साझा की है. इसमें नीतीश कुमार, राम विलास पासवान, जीतन राम मांझी और अन्य नेता मौजूद हैं.
नीतीश कुमार अपने सहयोगी सुशील मोदी द्वारा आोयजित इफ्तार पार्टी में नहीं गए, लेकिन अपने विरोधी जीतन राम मांझी की इफ्तार पार्टी में पहुंच गए. सियासी मामलों के जानकार बताते हैं कि नीतीश इसके जरिए संदेश दे रहे हैं.
वैसे, जदयू के नेता संजय सिंह ने कहा कि गिरिराज सिंह के बयान को हमलोग गंभीरता से नहीं लेते हैं. गिरिराज सिंह हिन्दुत्व के लाइन पर चलते हैं. हमलोग भी हिन्दू परिवार में पैदा लिए हैं, लेकिन हमलोग टोपी भी पहनते हैं और टीका भी लगाते हैं.
पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा कि गिरिराज सिंह एक धर्म में बंधकर उसकी बात कर रहे हैं. हिंदुस्तान एक धर्म में बंधा हुआ नहीं है. सभी धर्मों का आदर करने वाला यह सेक्युलर देश है. ये लोग एक धर्म का नाम लेकर देश के सेक्युलरिज्म से खिलवाड़ कर रहे हैं.
मांझी ने कहा कि पर्व-त्योहार में राजनीति नहीं होती. हम लोग होली में भी मिलते हैं. हम भी नीतीश कुमार के बुलाने पर जाते हैं.
बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा है कि 'उन्हें' शब्दों के चयन में संयम बरतना चाहिए.
इस पर चिराग पासवान ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि लोक जनशक्ति पार्टी के स्थपाना से ही सबका साथ, सबका विकास,सबका विश्वास का मूल मंत्र पार्टी के आत्मा से जुड़ा हुआ है. मुझे खुशी है कि इस मूल मंत्र को आदरणीय नरेंद्र मोदी जी ने भी दोहराया है. त्योहार मनाने से समाज में समरस्ता आती है. इस तरह के प्रश्न भारत की परम्परा पर उंगलियां उठाते हैं.
साथ ही बिहार सीएम नीतीश कुमार ने भी गिरिराज के इस ट्वीट को महज मीडिया अटेंशन पाने के लिए स्टंट बताया है. उन्होंने कहा कि गिरिराज ऐसा इसलिए करते हैं ताकि मीडिया इस पर खबर बनाए.
हालांकि, इसके सियासी मायने तो है हीं. एक दिन पहले ही राष्ट्रीय जनता दल ने नीतीश की ओर नरमी के संकेत दिए हैं. राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद ने कहा कि राजनीति में कोई स्थायी दोस्त और स्थायी दुश्मन नहीं होता है.
सवाल ये है कि क्या बिहार में फिर से महागठबंधन वर्सेस भाजपा की स्थिति बन रही है या नीतीश कुमार अभी से ही दबाव की राजनीति कर रहे हैं. ताकि सीटों के मामले में भाजपा उन पर हावी ना हो.
आपको बता दें कि बिहार विधानसभा के लिए चुनाव अगले साल होने हैं.