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पंजाब में गरीबों को नहीं मिल पा रहीं पर्याप्त सरकारी सुविधाएं

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Published : Sep 11, 2020, 10:53 PM IST

पंजाब की नगर पंचायत कीरतपुर साहिब के अंतर्गत रेलवे लाइन के पार सतलज नदी के किनारे घरत वास के निवासी कई सुविधाओं से वंचित हैं. लॉकडाउन के कारण जहां उनका बेरोजगार छिन गया है, वहीं सरकार की ओर से भी उनको कोई सुविधा नहीं मिल रही है.

रीबों को नहीं मिल रहीं सरकारी सुविधाएं
रीबों को नहीं मिल रहीं सरकारी सुविधाएं

चंडीगढ़ : पंजाब की नगर पंचायत कीरतपुर साहिब के अंतर्गत रेलवे लाइन के पार सतलज नदी के किनारे घरत वास के निवासी कई सुविधाओं से वंचित हैं. लॉकडाउन के दौरान कामकज ठप होने के कारण इन लोगों को दो वक्त का भोजन भी नहीं मिल पा रहा है.

इन लोगों का हाल जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने इलाके का दौरा किया. इस दौरान लोगों ने बताया कि उनके पास अपने घर तक नहीं हैं और न ही बिजली की कोई सुविधा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

एक स्थानीय निवासी ने कर्मचंद ने बताया लॉकडाउन के दौरान सरकार की ओर से उन्हें कोई राहत नहीं दी गई. उनको सरकार द्वारा कोई भी सुविधा नहीं दी गई है. यहां तक न यहां कोई स्कूल तक नहीं है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण उनका रोजगार भी खत्म हो गया है.

पढ़ें - पश्चिम बंगाल : बांग्लादेशी कैदियों को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू

उन्होंने बताया कि वह लगभग सौ वर्ष पहले अपने पूर्वजों के साथ यहां आए थे और तब से ही यहां रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहले यहां 40 घर थे, जो 1988 की बाढ़ में बह गए थे. बाढ़ से गंभीर क्षति हुई. कई लोग यहां से चले गए और लगभग 20 लोग बेघर हो गए.

चंडीगढ़ : पंजाब की नगर पंचायत कीरतपुर साहिब के अंतर्गत रेलवे लाइन के पार सतलज नदी के किनारे घरत वास के निवासी कई सुविधाओं से वंचित हैं. लॉकडाउन के दौरान कामकज ठप होने के कारण इन लोगों को दो वक्त का भोजन भी नहीं मिल पा रहा है.

इन लोगों का हाल जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने इलाके का दौरा किया. इस दौरान लोगों ने बताया कि उनके पास अपने घर तक नहीं हैं और न ही बिजली की कोई सुविधा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

एक स्थानीय निवासी ने कर्मचंद ने बताया लॉकडाउन के दौरान सरकार की ओर से उन्हें कोई राहत नहीं दी गई. उनको सरकार द्वारा कोई भी सुविधा नहीं दी गई है. यहां तक न यहां कोई स्कूल तक नहीं है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण उनका रोजगार भी खत्म हो गया है.

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उन्होंने बताया कि वह लगभग सौ वर्ष पहले अपने पूर्वजों के साथ यहां आए थे और तब से ही यहां रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहले यहां 40 घर थे, जो 1988 की बाढ़ में बह गए थे. बाढ़ से गंभीर क्षति हुई. कई लोग यहां से चले गए और लगभग 20 लोग बेघर हो गए.

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