नई दिल्ली : भारत के सेना प्रमुख आज तीन दिवसीय दौर पर नेपाल जा रहे हैं. इस दौरान सेना प्रमुख काठमांडू में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली समेत कई अन्य अधिकारियों से मुलाकात करेंगे. भारत और नेपाल के रिश्तों में शुक्रवार को सुधार का ठोस एक और संकेत मिला, जब सेना प्रमुख का नेपाल दौरा आधिकारिक रूप से तय हो गया.
सेना प्रमुख की यात्रा के दौरान इतिहास बनने वाला है, क्योंकि नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी नरवणे की यात्रा के दौरान उन्हें नेपाली सेना के जनरल का मानद रैंक प्रदान करेंगी. दोनों देशों की सेनाओं के बीच मजबूत संबंधों को दर्शाने वाली यह परंपरा 1950 में शुरू हुई थी. इस परंपरा के तहत भारत भी नेपाली सेना के प्रमुख को भारतीय सेना के जनरल का मानद रैंक प्रदान करता है.
नरवणे की यात्रा का प्रमुख उद्देश्य दोनों देशों के बीच सीमा विवाद से उपजे तनाव की पृष्ठभूमि में संबंधों में पुन: सामंजस्य स्थापित करना है.
ऐसी संभावना जताई जा रही है कि इसी दौरान भारत और चीन के बीच भी कोर कमांडर स्तर की वार्ता होगी, जिसमें दोनों देश के बीच सैनिकों के पीछे हटने पर सहमति बन सकती है.
हालांकि इससे पहले भारत और चीन के बीच 6 जून, 22 जून, 30 जून, 14 जुलाई, 2 अगस्त और 21 सितंबर को कमांडर स्तर की वार्ता हुई, लेकिन यह सभी बैठकें अनिष्कर्षपूर्ण साबित हुई हैं.
जनरल नरवणे ने कहा कि मैं नेपाल की यात्रा करने और अपने समकक्ष नेपाल के सेना प्रमुख जनरल पूर्ण चंद्र थापा से मुलाकात के लिए उनकी ओर से मिले निमंत्रण को लेकर उत्साहित हूं. मुझे विश्वास है कि यह यात्रा दोनों देशों की सेनाओं के बीच मित्रता के बंधन को और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
सेना मुख ने कहा कि नेपाल के राष्ट्रपति द्वारा नेपाली सेना के जनरल के मानद रैंक से सम्मानित किया जाना मेरे लिए एक बड़ा सम्मान है. मैं इस यात्रा का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं.
उन्होंने यह भी कहा कि वह उन्हें बुलाने के लिए नेपाल के प्रधानमंत्री के आभारी हैं.
भारतीय दूतावास के प्रवक्ता नवीन कुमार ने कहा कि जनरल नरवणे की यात्रा दोनों देशों की सेनाओं के बीच मित्रता के लंबे समय से जारी और परंपरागत बंधन को और गहरा करेगी.
नरवणे एक चल अस्पताल के लिए एक एम्बुलेंस और चिकित्सा उपकरण भेंट करेंगे, अस्पताल का संचालन नेपाली सेना करेगी.
नेपाल की सेना के सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना प्रमुख गुरुवार सुबह सेना के पवेलियन में शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि देंगे.
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दिलचस्प बात यह है कि नरवणे की नेपाल यात्रा से पहले भारत के रिसर्च एंड एनालायसिस विंग (रॉ) के प्रमुख सामंत कुमार गोयल ने 21 अक्टूबर को नेपाल के प्रधानमंत्री ओली से मुलाकात की थी. बता दें कि रॉ भारत की खुफिया एजेंसी है.
जनरल नरवणे नेपाल के सेना प्रमुख जनरल पूर्ण चंद्र थापा के निमंत्रण पर नेपाल की यात्रा करेंगे.
अधिकारियों ने कहा कि सेना प्रमुख का इस यात्रा के दौरान नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी और प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली से मुलाकात करने के अलावा कई अन्य असैन्य एवं सैन्य नेताओं के साथ बातचीत करने का कार्यक्रम है.
नेपाल की यात्रा से पहले सेना प्रमुख ने म्यामांर की यात्रा की थी. वह म्यामांर यात्रा पर विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के साथ गए थे.
दरअसल, 17,000 फीट पर लिपुलेख क्षेत्र में भारत की ओर से किए जा रहे सड़क निर्माण को लेकर भारत और नेपाल के बीच एक कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया था, क्योंकि काठमांडू ने इस क्षेत्र को अपना क्षेत्र होने का दावा किया था. कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा के समय को कम करने के लिए सड़क का निर्माण किया गया.
लिपुलेख भारत, नेपाल और चीन के बीच एक त्रि-जंक्शन है, जो उत्तराखंड में कालापानी घाटी में स्थित है. इसके बाद, नेपाल ने इस क्षेत्र को अपना दिखाते हुए एक नया राजनीतिक मानचित्र पेश किया. भारत ने नेपाल के इस नए नक्शे को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह ऐतिहासिक तथ्यों या सबूतों पर आधारित नहीं है.