जयपुर : गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने एक नवंबर से आंदोलन की घोषणा कर दी है. आंदोलन की घोषणा के साथ ही प्रदेश की गहलोत सरकार पूरी तरीके से एक्शन मोड में आ गई है. सरकार ने जहां गुर्जर बाहुल्य जिलों में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया है. वहीं, सरकार ने इन 8 जिलों में रासुका लगा दिया है. जिला कलेक्टर की सिफारिश पर गृह विभाग ने प्रस्ताव तैयार करके शुक्रवार को मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा. जहां पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से हरी झंडी मिलने के साथ ही संबंधित जिला कलेक्टरों को रासुका लगाने का अधिकार दे दिया गया है.
दरअसल, गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की ओर से आंदोलन की घोषणा के साथ ही प्रदेश की गहलोत सरकार ने सभी गुर्जर बाहुल्य जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद करने के बाद सख्त रुख अपनाते हुए प्रदेश में गुर्जर बाहुल्य 8 जिलों मे रासुका लगा दिया है.
भरतपुर जिला कलेक्टर सहित अन्य जिलों से आए सुझाओं के बाद गृह विभाग ने परिक्षण करके शुक्रवार को मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया था. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी.
इन जिलों में लगी रासुका
इसके साथ ही अब संबंधित 8 जिलों के जिला कलेक्टर को रासुका लगाने का अधिकार होगा. सरकार ने भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, दौसा, टोंक, बूंदी, झालावाड़ और करौली के जिला कलेक्टर्स को रासुका के तहत करवाई करने की पावर्स दे दी है.
क्या है रासुका
इस पावर के साथ अगर जिला कलेक्टर को कोई भी संदिग्ध व्यक्ति या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा कोई मामला दिखता है, तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है. इस कानून के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को एख साल तक के लिए जेल में रहना पड़ता है. इसमें किसी तरह की कोई जमानत या कोर्ट में अर्जी लगाने का प्रावधान नहीं है.
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बता दें कि, रासुका यानी (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980) कानून में देश की सुरक्षा के संबंध में प्रावधान किए गए हैं. केंद्र सरकार और राज्य सरकार को पूर्ण शक्तियां प्राप्त हैं कि यदि देश या राज्य में किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा कोई ऐसी गतिविधि की जाती है या की जाने की आशंका है या ऐसा कुछ भी किए जाने का पूर्ण विश्वास है, जिससे देश-प्रदेश के नागरिकों की सुरक्षा में बाधा पड़ सकती है और देश को सुचारू रूप से चलाने में बाधा आ सकती है, तो ऐसी स्थिति में रासुका लगाया जाता है. रासुका के तहत संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार किए जाने का प्रावधान है. पूर्व में भी प्रदेश में डॉक्टर आंदोलन के दौरान इसी रासुका कानून को लागू किया जा चुका है.