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विशेष : कोरोना के चलते कॉर्पोरेट आय सहित जीडीपी में आ सकती है गिरावट

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी सीआरआईएसआईएल की नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के चलते कॉर्पोरेट आय में 15 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है, जबकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट हो सकती है. इसके अलावा छोटे व्यवसायों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

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Published : Jun 22, 2020, 10:23 AM IST

Updated : Jun 22, 2020, 10:54 AM IST

हैदराबाद : क्रेडिट रेटिंग एजेंसी सीआरआईएसआईएल (CRISIL) की नवीनतम रिपोर्ट में देश की अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस संक्रमण के गंभीर प्रभावों का जिक्र किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी के चलते कॉर्पोरेट आय में 15 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है, जबकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट हो सकती है. इसके अलावा छोटे व्यवसायों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

यह रिपोर्ट 'आत्मनिर्भर अभियान' विशेष पैकेज के अनावरण के लगभग एक महीने बाद आई है. दरअसल, आत्मनिर्भर पैकेज में आश्वासन दिया गया है कि यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को काफी बढ़ावा देगा, जो अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को एक हफ्ते पहले निर्देश दिया कि वह छोटे व्यवसायों के लिए धन की कमी न होने के लिए हर संभव कोशिश करें. इसके अलावा उन्होंने बैंकों को सलाह दी कि वह नियमों में जहां तक हो ढील दें.

इसके बाद बैंकों की ओर एक आधिकारिक बयान भी जारी किया गया था, जिसमें कहा गया कि एमएसएमई क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है.

सीआरआईएसआईएल के विश्लेषण के अनुसार, लघु उद्योगों के अस्तित्व के लिए खतरा बना हुआ है, जो गंभीर स्थिति को उजागर करता है. हालांकि, स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआई) ने हाल ही में देश के आर्थिक पुनरुत्थान के लिए चरणबद्ध योजना की घोषणा की है. इनमें से एक निवेश के लिए सकारात्मक सुधार और नकदी प्रवाह की बढ़ती मांग की आवश्यकता है.

सीआरआईएसआईएल द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय अब तक ऐसी किसी भी मांग को पूरा करने में विफल रहे हैं, जो तत्काल सुधारात्मक उपायों पर जोर दे.

प्रसिद्ध मूडी का मानना है कि महामारी का प्रभाव शुरू होने से पहले लगभग डेढ़ वर्ष से अधिक समय से दबाव में चल रहे छोटे व्यवसायों को केंद्र सरकार के विशेष पैकेज द्वारा स्थिर नहीं किया जा सकता. हालांकि, सरकार ने घोषणा की कि यह जीडीपी को 10 प्रतिशत की वृद्धि में मदद करेगी.

वहीं, फिच रेटिंग्स फर्म का विश्लेषण है कि ग्रोथ का मौद्रिक पहलू 10 प्रतिशत से अधिक नहीं है. फिच रेटिंग्स फर्म के अनुसार छोटे व्यवसायों के लिए तीन ट्रिलियन रुपये के आपातकालीन ऋण की न्यूनतम ब्याज दर 9.25 प्रतिशत और अधिकतम 14 प्रतिशत है, जबकि प्रबंधन पूंजी ऋण के लिए पुष्टि की गई दर 7.5 प्रतिशत है.

विशलेषण के मुताबिक, अगर भुगतान की अवधि 10 वर्ष से अधिक बढ़ा दी जाती है और ब्याज दर तीन से चार प्रतिशत होती, तो यह छोटी फर्मों के लिए एक बड़ा वरदान साबित होता.

पढ़ें - ड्रोन ने दिखाई नई रोशनी : कोरोना से जंग में निभा रहा महत्वपूर्ण भूमिका

रिपोर्ट में आग्रह किया गया है कि सरकार द्वारा कोविड महामारी के दौरान एमएसएमई सामान और गुड्स एंड सर्विसेज (जीएसटी) भुगतानों को स्थगित कर दिया जाए.

रिपोर्ट में जर्मनी का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि जर्मनी द्वारा अपनी एमएसएमई कंपनियों को विशेष वरीयता देने के कारण, वह 60 प्रतिशत तक रोजगार के अवसर पैदा करने में सक्षम हैं.

सिंगापुर, न्यूजीलैंड और जापान की सरकारों ने छोटे उद्योगों, मार्केट में सुविधाओं और रचनात्मक डिजिटल प्रौद्योगिकी के लिए धन की उपलब्धता पर अपना ध्यान केंद्रित करके दिखाया है और यह आश्चर्यजनक है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देकर, कोरोना संकट से अवसर पैदा करना चाहते हैं और भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाना चाहते हैं.

इसके लिए कम से कम छोटे उद्योगों को बड़े पैमाने पर मदद करने की कवायद को तेज किया जाना चाहिए. इससे पहले कि लोग निराश होकर अपने व्यवसाय को बंद करने के लिए मजबूर हों, लघु उद्योग क्षेत्र, स्पेयर पार्ट्स निर्माण, महत्वाकांक्षी कुशल उद्यमियों, आदि को निवेश के लिए आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान किया जाना चाहिए.

हैदराबाद : क्रेडिट रेटिंग एजेंसी सीआरआईएसआईएल (CRISIL) की नवीनतम रिपोर्ट में देश की अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस संक्रमण के गंभीर प्रभावों का जिक्र किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी के चलते कॉर्पोरेट आय में 15 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है, जबकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट हो सकती है. इसके अलावा छोटे व्यवसायों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

यह रिपोर्ट 'आत्मनिर्भर अभियान' विशेष पैकेज के अनावरण के लगभग एक महीने बाद आई है. दरअसल, आत्मनिर्भर पैकेज में आश्वासन दिया गया है कि यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को काफी बढ़ावा देगा, जो अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को एक हफ्ते पहले निर्देश दिया कि वह छोटे व्यवसायों के लिए धन की कमी न होने के लिए हर संभव कोशिश करें. इसके अलावा उन्होंने बैंकों को सलाह दी कि वह नियमों में जहां तक हो ढील दें.

इसके बाद बैंकों की ओर एक आधिकारिक बयान भी जारी किया गया था, जिसमें कहा गया कि एमएसएमई क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है.

सीआरआईएसआईएल के विश्लेषण के अनुसार, लघु उद्योगों के अस्तित्व के लिए खतरा बना हुआ है, जो गंभीर स्थिति को उजागर करता है. हालांकि, स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआई) ने हाल ही में देश के आर्थिक पुनरुत्थान के लिए चरणबद्ध योजना की घोषणा की है. इनमें से एक निवेश के लिए सकारात्मक सुधार और नकदी प्रवाह की बढ़ती मांग की आवश्यकता है.

सीआरआईएसआईएल द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय अब तक ऐसी किसी भी मांग को पूरा करने में विफल रहे हैं, जो तत्काल सुधारात्मक उपायों पर जोर दे.

प्रसिद्ध मूडी का मानना है कि महामारी का प्रभाव शुरू होने से पहले लगभग डेढ़ वर्ष से अधिक समय से दबाव में चल रहे छोटे व्यवसायों को केंद्र सरकार के विशेष पैकेज द्वारा स्थिर नहीं किया जा सकता. हालांकि, सरकार ने घोषणा की कि यह जीडीपी को 10 प्रतिशत की वृद्धि में मदद करेगी.

वहीं, फिच रेटिंग्स फर्म का विश्लेषण है कि ग्रोथ का मौद्रिक पहलू 10 प्रतिशत से अधिक नहीं है. फिच रेटिंग्स फर्म के अनुसार छोटे व्यवसायों के लिए तीन ट्रिलियन रुपये के आपातकालीन ऋण की न्यूनतम ब्याज दर 9.25 प्रतिशत और अधिकतम 14 प्रतिशत है, जबकि प्रबंधन पूंजी ऋण के लिए पुष्टि की गई दर 7.5 प्रतिशत है.

विशलेषण के मुताबिक, अगर भुगतान की अवधि 10 वर्ष से अधिक बढ़ा दी जाती है और ब्याज दर तीन से चार प्रतिशत होती, तो यह छोटी फर्मों के लिए एक बड़ा वरदान साबित होता.

पढ़ें - ड्रोन ने दिखाई नई रोशनी : कोरोना से जंग में निभा रहा महत्वपूर्ण भूमिका

रिपोर्ट में आग्रह किया गया है कि सरकार द्वारा कोविड महामारी के दौरान एमएसएमई सामान और गुड्स एंड सर्विसेज (जीएसटी) भुगतानों को स्थगित कर दिया जाए.

रिपोर्ट में जर्मनी का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि जर्मनी द्वारा अपनी एमएसएमई कंपनियों को विशेष वरीयता देने के कारण, वह 60 प्रतिशत तक रोजगार के अवसर पैदा करने में सक्षम हैं.

सिंगापुर, न्यूजीलैंड और जापान की सरकारों ने छोटे उद्योगों, मार्केट में सुविधाओं और रचनात्मक डिजिटल प्रौद्योगिकी के लिए धन की उपलब्धता पर अपना ध्यान केंद्रित करके दिखाया है और यह आश्चर्यजनक है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देकर, कोरोना संकट से अवसर पैदा करना चाहते हैं और भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाना चाहते हैं.

इसके लिए कम से कम छोटे उद्योगों को बड़े पैमाने पर मदद करने की कवायद को तेज किया जाना चाहिए. इससे पहले कि लोग निराश होकर अपने व्यवसाय को बंद करने के लिए मजबूर हों, लघु उद्योग क्षेत्र, स्पेयर पार्ट्स निर्माण, महत्वाकांक्षी कुशल उद्यमियों, आदि को निवेश के लिए आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान किया जाना चाहिए.

Last Updated : Jun 22, 2020, 10:54 AM IST
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