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जानिए ब्लूम्सबरी ने दिल्ली हिंसा पर लिखी किताब को वापस क्यों लिया ?

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Published : Aug 24, 2020, 9:30 AM IST

Updated : Aug 24, 2020, 1:01 PM IST

ब्लूम्सबरी इंडिया ने 'डेल्ही रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी' नाम की एक पुस्तक को प्रकाशित करने से मना कर दिया. इसके बाद प्रकाशन और लेखकों के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. ब्लूम्सबरी ने कहा कि वह समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है. इसके जवाब में लेखकों ने कहा कि अब आजादी के समर्थक कहां गुम हो गए हैं. क्या है पूरा विवाद, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

दिल्ली हिंसा
दिल्ली हिंसा

नई दिल्ली : ब्लूम्सबरी इंडिया द्वारा दिल्ली हिंसा से जुड़ी किताब के प्रकाशन से इनकार करने के एक दिन बाद गरुड़ प्रकाशन ने कहा कि वह 'डेल्ही रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी' शीर्षक वाली पुस्तक प्रकाशित करेगा. किताब के प्रकाशन से पूर्व एक ऑनलाइन कार्यक्रम को लेकर हंगामा मचने के बाद ब्लूम्सबरी इंडिया ने पुस्तक के प्रकाशन से हाथ खड़े कर दिये थे. गरुड़ प्रकाशन ने कहा कि किताब के अगले 15 दिनों में बिक्री के लिये उपलब्ध होने की उम्मीद है.

गरुड़ प्रकाशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संक्रांत सानू ने कहा, 'गरुड़ प्रकाशन भारतीय इतिहास- प्राचीन और समसामयिक- के प्रामाणिक विमर्श के लिये प्रतिबद्ध है. यह देख कर दुख होता है कि अन्य प्रकाशक किताब की विषय-वस्तु के बजाय अन्य घटनाक्रमों से प्रभावित हैं. हम किताब के प्रमुख लेखकों का दिल्ली हिंसा की असली तस्वीर सामने लाने के लिये समर्थन करते हैं.'

क्या है पूरा विवाद, समझें

क्या कहा ब्लूम्सबरी प्रकाशन ने

हमारा प्रकाशन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थक है, साथ ही समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी निभानी है. उसे लेकर प्रकाशन सचेत है. दिल्ली दंगों के बारे में 'डेल्ही रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी' प्रकाशित होने वाली थी, लेकिन लेखकों ने ऐसे लोगों को प्री-लॉन्च इवेंट में आमंत्रित किया, जिन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

क्या कहा लेखकों ने

इस किताब के तीन लेखक हैं. मोनिका अरोड़ा, सोनाली चितालकर और प्रेरणा मलहोत्रा. मोनिका अरोड़ा ने कहा कि क्या आजादी के मसीहा बोलने की आजादी से डर गए हैं. क्या उन्हें ये लगता है कि हमारी किताब उस सच को उजागर कर देगी, जिसे दबाने का प्रयास किया जाता रहा है.

सोनाली चितालकर ने कहा कि हम पक्षपाती नहीं हैं. हमारी किताब शहरी नक्सलियों और इस्लामिक जिहादियों के खिलाफ रूख अपनाती हैं. यह मुस्लिम विरोधी किताब नहीं है.

प्रेरणा मल्होत्रा ने कहा कि पुस्तक का विरोध तथाकथित वामपंथी विचारकों और बुद्धिजीवियों द्वारा किया गया है. इन्हीं लोगों ने यह झूठ फैलाया था कि सीएए मुसलमानों के खिलाफ है. हमारी किताब पूरी तरह से जमीनी शोध पर आधारित है.

क्या है इस पुस्तक में

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस पुस्तक में दिल्ली दंगों के बारे में जानकारी दी गई है. इसमें दंगों के लिए प्रशिक्षण कैसे दिया गया था, इसका जिक्र है. इसमें कथित तौर पर दुष्प्रचार तंत्र के प्रयोग की भी जानकारी दी गई है. भारत में शहरी नक्सवाल और जिहादी के सिद्धान्त, सीएए और शाहीन बाग के आंदोलन की भी चर्चा है.

ब्लूम्सबरी प्रकाशन को गत शुक्रवार को उस समय ऑनलाइन तीखी प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ा, जब शनिवार को किताब के लोकार्पण का एक कथित विज्ञापन सामने आया और इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा नेता कपिल मिश्रा को दिखाया गया. आरोप है कि कपिल मिश्रा ने दिल्ली दंगा से पहले तीखे भाषण दिए थे.

नई दिल्ली : ब्लूम्सबरी इंडिया द्वारा दिल्ली हिंसा से जुड़ी किताब के प्रकाशन से इनकार करने के एक दिन बाद गरुड़ प्रकाशन ने कहा कि वह 'डेल्ही रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी' शीर्षक वाली पुस्तक प्रकाशित करेगा. किताब के प्रकाशन से पूर्व एक ऑनलाइन कार्यक्रम को लेकर हंगामा मचने के बाद ब्लूम्सबरी इंडिया ने पुस्तक के प्रकाशन से हाथ खड़े कर दिये थे. गरुड़ प्रकाशन ने कहा कि किताब के अगले 15 दिनों में बिक्री के लिये उपलब्ध होने की उम्मीद है.

गरुड़ प्रकाशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संक्रांत सानू ने कहा, 'गरुड़ प्रकाशन भारतीय इतिहास- प्राचीन और समसामयिक- के प्रामाणिक विमर्श के लिये प्रतिबद्ध है. यह देख कर दुख होता है कि अन्य प्रकाशक किताब की विषय-वस्तु के बजाय अन्य घटनाक्रमों से प्रभावित हैं. हम किताब के प्रमुख लेखकों का दिल्ली हिंसा की असली तस्वीर सामने लाने के लिये समर्थन करते हैं.'

क्या है पूरा विवाद, समझें

क्या कहा ब्लूम्सबरी प्रकाशन ने

हमारा प्रकाशन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थक है, साथ ही समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी निभानी है. उसे लेकर प्रकाशन सचेत है. दिल्ली दंगों के बारे में 'डेल्ही रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी' प्रकाशित होने वाली थी, लेकिन लेखकों ने ऐसे लोगों को प्री-लॉन्च इवेंट में आमंत्रित किया, जिन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

क्या कहा लेखकों ने

इस किताब के तीन लेखक हैं. मोनिका अरोड़ा, सोनाली चितालकर और प्रेरणा मलहोत्रा. मोनिका अरोड़ा ने कहा कि क्या आजादी के मसीहा बोलने की आजादी से डर गए हैं. क्या उन्हें ये लगता है कि हमारी किताब उस सच को उजागर कर देगी, जिसे दबाने का प्रयास किया जाता रहा है.

सोनाली चितालकर ने कहा कि हम पक्षपाती नहीं हैं. हमारी किताब शहरी नक्सलियों और इस्लामिक जिहादियों के खिलाफ रूख अपनाती हैं. यह मुस्लिम विरोधी किताब नहीं है.

प्रेरणा मल्होत्रा ने कहा कि पुस्तक का विरोध तथाकथित वामपंथी विचारकों और बुद्धिजीवियों द्वारा किया गया है. इन्हीं लोगों ने यह झूठ फैलाया था कि सीएए मुसलमानों के खिलाफ है. हमारी किताब पूरी तरह से जमीनी शोध पर आधारित है.

क्या है इस पुस्तक में

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस पुस्तक में दिल्ली दंगों के बारे में जानकारी दी गई है. इसमें दंगों के लिए प्रशिक्षण कैसे दिया गया था, इसका जिक्र है. इसमें कथित तौर पर दुष्प्रचार तंत्र के प्रयोग की भी जानकारी दी गई है. भारत में शहरी नक्सवाल और जिहादी के सिद्धान्त, सीएए और शाहीन बाग के आंदोलन की भी चर्चा है.

ब्लूम्सबरी प्रकाशन को गत शुक्रवार को उस समय ऑनलाइन तीखी प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ा, जब शनिवार को किताब के लोकार्पण का एक कथित विज्ञापन सामने आया और इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा नेता कपिल मिश्रा को दिखाया गया. आरोप है कि कपिल मिश्रा ने दिल्ली दंगा से पहले तीखे भाषण दिए थे.

Last Updated : Aug 24, 2020, 1:01 PM IST
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