भागलपुर (बिहार) : उत्तर प्रदेश के अयोध्या में पांच अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का भव्य समारोह रखा गया है. इसके लिए तैयारियां जोरों पर हैं. मंदिर का निर्माण कार्य इस दिन से शुरू हो जाएगा. भूमि पूजन के लिए नक्षत्र और तमाम मान्यताओं का विशेष ध्यान रखा गया है. मंदिर की नींव में बिहार के भागलपुर से गंगाजल और मिट्टी मंगाई गई है.
जानकारी अनुसार, अयोध्या में मंदिर निर्माण में सात समुद्रों का पानी, देश की सभी धार्मिक नदियों का पानी, प्रमुख धामों की मिट्टी और गया जी से फल्गु नदी के रेत का उपयोग किया जाना है. ऐसे में भागलपुर के सुल्तानगंज में बहने वाली उत्तरवाहिनी गंगा का जल और अजगैबीनाथ मंदिर के पास से मिट्टी मंगाई गई है. भागलपुर के एक और प्रसिद्ध तीर्थ बूढ़ानाथ मंदिर की मिट्टी और मंदिर के घाट के पास बहने वाली पावन गंगा का जल भेजा गया है.
डाक द्वारा भेजा गया गंगाजल और मिट्टी
विहिप (विश्व हिंदू परिषद) की भागलपुर इकाई ने बताया कि जिले के प्रमुख तीर्थों की मिट्टी और गंगाजल को डाक द्वारा भेज दिया गया है. विहिप ने यह भी जानकारी दी कि मंदिर निर्माण के लिए 3 अगस्त से विशेष पूजा अनुष्ठान शुरू कर किया जाएगा. विहिप के विभागीय संपर्क प्रमुख राकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि अयोध्या में राम मंदिर का नींव 5 अगस्त को रखी जानी है. इसको लेकर देश के प्रमुख के तीर्थों से मिट्टी मंगाई गई है.
बांका के मंदार पर्वत से भी जाएगी मिट्टी
विहिप के संपर्क प्रमुख ने जानकारी देते हुए कहा कि बांका के मंदार पर्वत से भी मिट्टी को भेजा जाएगा. एक दो दिन में मंदिर के लिए बांका विहिप इकाई के सदस्य मिट्टी को पार्सल करेंगे.
अजगैबीनाथ और बूढ़ानाथ मंदिर का राम मंदिर कनेक्शन
भागलपुर से 26 किलोमीटर पश्चिम सुल्तानगंज में उत्तरावाहिनी गंगा के बीच ग्रेनटिक पत्थर की विशाल चट्टान पर अजगैबीनाथ मंदिर स्थित है. आनंद रामायण के अनुसार, इस प्रसिद्ध मंदिर का पहले नाम विल्वेश्वर महादेव हुआ करता था. राजा राम अपने राज्याभिषेक के बाद माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ तीर्थाटन करने यहां पहुंचे थे.
दंत कथाओं के अनुसार, अजगैबीनाथ मंदिर की स्थापना ऋषि मुनि जाह्नवी ने की थी. उन्होंने भगवान शिव को धनुष 'अजगर' यहीं रखा था, जिस वजह से इस मंदिर का नाम अजगैबीनाथ पड़ गया.
इस राक्षस का वध कर भगवान राम आए भागलपुर
बूढ़ानाथ मंदिर धार्मिक धरोहर के रूप में समृद्ध और विश्व विख्यात मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण त्रेता युग में हुआ था. पौराणिक कथानुसार, बक्सर से ताड़का सुर का वध करने के बाद वशिष्ठ मुनी अपने शिष्य राम और लक्ष्मण के साथ भागलपुर आए थे और उसी समय यहां उन्होंने बूढ़ानाथ मंदिर की स्थापना कर शिवलिंग की पूजा-अर्चना की थी. शिव पुराण के द्वादश अध्याय में भी इसका वर्णन है. इसी मंदिर के नाम से ही मोहल्ले का नाम भी बूढ़ानाथ रखा गया है.