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गांधी@150: वर्धा सेवाग्राम आश्रम में हुई थी गांधीजी के हत्या की कोशिश

महात्मा गांधी की हत्या दिल्ली में हुई थी. लेकिन उसके पहले भी उनकी हत्या की कोशिश की गई थी. महाराष्ट्र के वर्धा में भी एक ऐसी ही कोशिश की गई थी. जानें सन् 1944 में क्या हुआ था वर्धा के सेवाग्राम आश्रम में...

वर्धा सेवाग्राम आश्रम में हुई थी गांधीजी के हत्या की कोशिश
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Published : Oct 1, 2019, 10:59 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 7:52 PM IST

वर्धा: स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी ने कुछ समय ​​महाराष्ट्र के वर्धा स्थित सेवाग्राम आश्रम में बिताया था. गांधी करीब 10 साल तक वर्धा के सेवाग्राम में रहे थे. इस दौरान बापू ने कई महत्वपूर्ण बैठकें और निर्णय भी किए. गांधी के सेवाग्राम में रहने के दौरान उनकी हत्या का षड्यंत्र भी रचा गया. हालांकि, ये असफल रहा और बाद में 1948 में गांधीजी की हत्या दिल्ली में कर दी गई.

दरअसल महात्मा गांधी मुस्लिम नेता मोहम्मद अली जिन्ना के साथ भारत और पाकिस्तान, हिन्दू-मुसलमान मुद्दे पर एक बैठक के लिए जा रहे थे. यह बैठक सन् 1944 में मुंबई में होने वाली थी.
इस बैठक में भाग लेने के लिए महात्मा गांधी वर्धा सेवाग्राम से मुंबई के लिए जा रहे थे. इस बैठक का कुछ दक्षिणपंथी संगठन घोर विरोध कर रहे थे. गांधीजी के मुम्बई जाने का जानकारी मिलते ही सेवाग्राम आश्रम के बाहर सुबह से प्रदर्शनकारी जमा हो गए. सभी लोग बापू को वहां जाने से रोकने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन गांधीजी को रुकता नहीं देख विरोधियों ने उन्हें मारने की योजना बना लिया.

हालांकि, पुलिस को इसकी गुप्त सूचना मिल गई. चूंकि बापू बैठक में शामिल होने जाते, इसलिए संभावना भी थी कि उनके साथ कुछ अनुचित हो सकता था. तत्कालीन स्थानीय डीसीपी ने अनहोनी का अंदाजा देख, सुबह-सुबह ही बापू से मिलने चले गए, जबकि बापू आश्रम से कुछ ही देर में प्रस्थान करने वाले थे.

इस साजिश की सूचना से सावधान पुलिस ने आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर लिया. आंदोलन में शरीक एक आंदोलनकारी के पास से सात इंच लंबा चाकू जब्त हुआ. गाल थाटे नामक व्यक्ति से यह चाकू जब्त किया गया. बापू के सचिव के रूप में काम कर रहे किशोर भाई ने उल्लेख किया है कि नाथूराम गोडसे भी उसी स्थान पर मौजूद थे.

इसे भी पढे़ं- ईटीवी भारत की ओर से देश के सर्वश्रेष्ठ गायकों ने बापू को दी संगीतमय श्रद्धांजलि

गांधीजी की हत्या के इस विफल कोशिश का उल्लेख जंगीनाथ फड़नवीस अपनी पुस्तक 'गांधी की शहादत' में किया है, चुनीभाई वैद्य ने 'गांधी की हत्या, सच्चाई या झूठ' में लिखा है. मसलन गांधीजी को शहीद करने वाला नाथुराम गोडसे ने भी अपनी पुस्तक में उल्लेख किया.

हालांकि जिस व्यक्ति को गांधीजी के हत्या की साजिश में गिरफ्तार किया गया था. उसने शुरू में बताया था कि गाड़ी का टायर पंचर करने के लिए चाकू रखा था, लेकिन बाद में जांच से पता चला गांधीजी की हत्या के प्रयास के लिए था. वर्धा पुलिस की सर्तकता और सावधानी से इतिहास में गांधीजी की हत्या का कोशिश असफल करने के लिए याद किया जाता है.

वर्धा: स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी ने कुछ समय ​​महाराष्ट्र के वर्धा स्थित सेवाग्राम आश्रम में बिताया था. गांधी करीब 10 साल तक वर्धा के सेवाग्राम में रहे थे. इस दौरान बापू ने कई महत्वपूर्ण बैठकें और निर्णय भी किए. गांधी के सेवाग्राम में रहने के दौरान उनकी हत्या का षड्यंत्र भी रचा गया. हालांकि, ये असफल रहा और बाद में 1948 में गांधीजी की हत्या दिल्ली में कर दी गई.

दरअसल महात्मा गांधी मुस्लिम नेता मोहम्मद अली जिन्ना के साथ भारत और पाकिस्तान, हिन्दू-मुसलमान मुद्दे पर एक बैठक के लिए जा रहे थे. यह बैठक सन् 1944 में मुंबई में होने वाली थी.
इस बैठक में भाग लेने के लिए महात्मा गांधी वर्धा सेवाग्राम से मुंबई के लिए जा रहे थे. इस बैठक का कुछ दक्षिणपंथी संगठन घोर विरोध कर रहे थे. गांधीजी के मुम्बई जाने का जानकारी मिलते ही सेवाग्राम आश्रम के बाहर सुबह से प्रदर्शनकारी जमा हो गए. सभी लोग बापू को वहां जाने से रोकने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन गांधीजी को रुकता नहीं देख विरोधियों ने उन्हें मारने की योजना बना लिया.

हालांकि, पुलिस को इसकी गुप्त सूचना मिल गई. चूंकि बापू बैठक में शामिल होने जाते, इसलिए संभावना भी थी कि उनके साथ कुछ अनुचित हो सकता था. तत्कालीन स्थानीय डीसीपी ने अनहोनी का अंदाजा देख, सुबह-सुबह ही बापू से मिलने चले गए, जबकि बापू आश्रम से कुछ ही देर में प्रस्थान करने वाले थे.

इस साजिश की सूचना से सावधान पुलिस ने आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर लिया. आंदोलन में शरीक एक आंदोलनकारी के पास से सात इंच लंबा चाकू जब्त हुआ. गाल थाटे नामक व्यक्ति से यह चाकू जब्त किया गया. बापू के सचिव के रूप में काम कर रहे किशोर भाई ने उल्लेख किया है कि नाथूराम गोडसे भी उसी स्थान पर मौजूद थे.

इसे भी पढे़ं- ईटीवी भारत की ओर से देश के सर्वश्रेष्ठ गायकों ने बापू को दी संगीतमय श्रद्धांजलि

गांधीजी की हत्या के इस विफल कोशिश का उल्लेख जंगीनाथ फड़नवीस अपनी पुस्तक 'गांधी की शहादत' में किया है, चुनीभाई वैद्य ने 'गांधी की हत्या, सच्चाई या झूठ' में लिखा है. मसलन गांधीजी को शहीद करने वाला नाथुराम गोडसे ने भी अपनी पुस्तक में उल्लेख किया.

हालांकि जिस व्यक्ति को गांधीजी के हत्या की साजिश में गिरफ्तार किया गया था. उसने शुरू में बताया था कि गाड़ी का टायर पंचर करने के लिए चाकू रखा था, लेकिन बाद में जांच से पता चला गांधीजी की हत्या के प्रयास के लिए था. वर्धा पुलिस की सर्तकता और सावधानी से इतिहास में गांधीजी की हत्या का कोशिश असफल करने के लिए याद किया जाता है.

Intro:वर्धा
असाईनवाय साठे सर/ मनोज सर

गांधी 150 सिरीज नॅशनलला सुद्धा देणे,

मराठी हिंदी बाईट, मिड पिटीसी पुस्तकांचे व्हिजवल आहेत. सेवाग्राम आश्रमचे व्हिजवल अगोदर पाठवलेले आहेत.

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सेवाग्राममध्ये झाला होता गांधींच्या हत्येचा प्रयत्न, पोलिसांच्या सतर्कतेने फसला

वर्धा - महात्मा गांधी यांच्या सर्वाधिक काळ म्हणजे स्वातंत्र्य लढ्यातील महत्वाचा काळ सेवाग्राम आश्रमात राहिले. दहा वर्षाचा हा कार्यकाल जितका महत्वाचा होता. तितकाच महत्वाचे निर्णय बैठका आणि निर्णय या भूमीत झाले. गांधींचा शेवट साहाव्यांदा गोळ्या घालून झालेल्या हल्यात असला तरी एक पर्यंत त्यांचावर सेवाग्राम आश्रमात सुद्धा झाला होता.

महात्मा गांधी आणि मुस्लिम नेते जिन्हा याची एक बैठक 1944 मध्ये मुंबईला होणार होती. या बैठकीला जाण्यासाठी महात्मा गांधी हे सेवाग्रामवरून मुंबईला जाणार होते. सकाळपासून सेवाग्राम आश्रमाच्या बाहेर आंदोलकांनी बापुनी काहीही झाले तरी जिन्हाला भेटीला जाउं देऊ नये असा प्रयत्न होणार होता.

वरवर दिसणारा हा विरोध भेटीला असला तरी यात त्यांची हत्या करण्याचा कट रचण्यात आला होता. यावेळी पोलिसांना गुप्त माहिती मिळाली होती. यात बापू जाणार असल्याने त्याचसोबत काही तरी अनुचित प्रकार घडण्याची शक्यता होती. तत्कालीन 1944 मध्ये असलेले डीसीपी सकाळी बापूंच्या भेटीला आले. त्यांनी याची कल्पना दिली. यावेळी बापू आश्रमातून पायदळ निघत काही अंतरावर एका वाहनात जाणार होते.

पण हा कट असल्याने पोलिसांनी आंदोलकान ताब्यात घेण्यात आले. यावेळी एका आंदोलका जवळ 7 इंच लांब चाकू जप्त करण्यात आला. त्यावेळी ग.ल थत्ते नामक इसमाजवळून हा चाकू जप्त करण्यात आला होता. यावेळी याच ठिकाणी नथुराम गोडसे उपस्थित असल्याचा उल्लेख महादेव भाई नसताना बापुचे सचिव म्हणून काम पाहणारे किशोरभाई यांनी त्याचा डायरीत हा उल्लेख केला आहे. यासोबत जंगनाथ फडणवीस लिखित गांधी की शहादत, चुनीभाई वैद्य लिखित गांधी की हत्या क्या सच क्या झूठ यामधे स्वतःला गांधींला शहीद करणारा सावरकरांचा जमादार असल्याचा उल्लेख नथुराम गोडसें याने केला असा उल्लेख सुद्धा आहे.

हा हत्येचा कटात ताज करण्यात आलेल्या व्यक्तीला सुरवातीला अटक करण्यात आली तेव्हा गाडीचा टायर पंचर करून रोखण्यासाठी चाकू असल्याचे संगीतले होते. मात्र तपासत पुढे हा हत्येचा प्रयत्न होता आणि तो पोलिसांच्या सतर्कतेने अपयशी ठरला असल्याची नोंद इतिहासात पाहायल मिळते.

बाईट - अविनाश काकडे, सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान, सेवाग्राम.
Body:पराग ढोबळे, वर्धा.Conclusion:
Last Updated : Oct 2, 2019, 7:52 PM IST
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