नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि लेह और श्रीनगर को पूरे साल आपस में जोड़ने वाली जोजिला सुरंग की लागत को बढ़ने से रोकने के लिए उसके डिजाइन में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं, क्योंकि सरकार लगभग 6,800 करोड़ रुपये की पिछली अनुमानित लागत पर ही परियोजना को पूरा करना चाहती है.
यह सुरंग परियोजना करीब छह साल से रुकी हुई है और इसका रणनीतिक महत्व है, क्योंकि जोजिला दर्रा श्रीनगर-कारगिल-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर 11,578 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और सर्दियों में भारी बर्फबारी के चलते बंद हो जाता है. इस दौरान लद्दाख क्षेत्र का कश्मीर से संपर्क कट जाता है.
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी ने कहा कि हम डिजाइन में कुछ बदलाव करने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि मेरी कोशिश है कि लागत को बढ़ने से रोका जाए और इसे 6,800 करोड़ रुपये की पूर्व अनुमानित लागत में ही तैयार किया जाए'.
परियोजना की संशोधित लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है और इसे मंत्रिमंडल के पास भेजा गया है. हालांकि, मंत्री ने कहा 'हम डिजाइन में मामूली परिवर्तनों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं'.
उन्होंने कहा कि हम सुरक्षा मानकों से समझौता किए बिना स्केप सुरंग के साथ ही शॉफ्ट्स को भी हटा सकते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि परियोजना के लिए एक या दो महीनों में दोबारा बोली मंगाई जा सकती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई 2018 में तत्कालीन जम्मू-कश्मीर में एशिया की सबसे लंबी दोतरफा सुरंग बनाने के लिए 6,800 करोड़ रुपये लागत वाली परियोजना की आधारशिला रखी थी.
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हालांकि आधारशिला रखने के कुछ महीनों बाद ही राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड ने वित्तीय संकट से गुजर रहे आईएलएंडएफएस समूह की कंपनी आईएलएंडएफएस ट्रांसपोर्ट को दिया गया ठेका रद कर दिया.
गडकरी ने कहा कि परियोजना को इससे पहले हाईब्रिड एन्युटी मोड पर तैयार किया जाना था, लेकिन अब इसे ईपीसी (इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण) में बदल दिया जाएगा'. हाईब्रिड एन्युटी का अर्थ है कि सरकार एक निश्चित अवधि तक नियत राशि का भुगतान करेगी और शेष अवधि में यह राशि कम-ज्यादा हो सकती है.