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पूर्व सीबीआई निदेशक अश्विनी कुमार ने की आत्महत्या, जानें वजह

नगालैंड के पूर्व राज्यपाल और पूर्व सीबीआई निदेशक अश्विनी कुमार ने खुदकुशी की. पूर्व आईपीएस अधिकारी हिमाचल के सिरमौर जिला के रहने वाले थे. पुलिस ने मौके से सुसाइड नोट भी बरामद किया है.

पूर्व राज्यपाल अश्वनी कुमार
पूर्व राज्यपाल अश्वनी कुमार
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Published : Oct 7, 2020, 8:50 PM IST

Updated : Oct 8, 2020, 10:41 AM IST

शिमला : हिमाचल के पूर्व डीजीपी, सीबीआई के पूर्व निदेशक और नगालैंड के राज्यपाल रहे अश्विनी कुमार ने शिमला में आत्महत्या कर ली. उन्होंने शिमला में अपने आवास पर फंदा लगा लिया. मौके से पुलिस को सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है. सुसाइड नोट में लिखा है कि वह अपने जीवन से तंग आकर आगे की यात्रा के लिए निकल रहे हैं. उन्होंने सुसाइड नोट में अंगदान की इच्छा भी जाहिर की. सिरमौर जिला में जन्में अश्विनी कुमार सीनियर आईपीएस अफसर थे. उनकी आत्महत्या की खबर मिलते ही शिमला के एसपी मोहित चावला टीम के साथ मौके पर पहुंचे.

अधिकारियों ने बताया कि 1973 बैच के आईपीएस अधिकारी कुमार (69) बुधवार शाम छोटा शिमला के पास ब्रोकहॉर्स्ट स्थित आवास पर फांसी के फंदे से लटके मिले.

मामले की जानकारी देते डी़जीपी संजय कुंडू

हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक संजय कुंडु, शिमला के पुलिस अधीक्षक मोहित चावला और पुलिस के अन्य अधिकारी मौके पर मौजूद हैं. फॉरेंसिक विभाग की टीम भी मौके पर पहुंच गई है.

राज्य पुलिस प्रमुख कुंडु ने बताया, 'हमें एक सुसाइड नोट मिला है जिसपर उन्होंने लिखा है कि वह एक नई यात्रा पर जा रहे हैं. उनके परिवार के सदस्य उस वक्त घर में ही थे, जब वह कमरे में गए. उन्होंने कमरा भीतर से बंद किया और नायलोन की रस्सा से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. परिवार को किसी गड़बड़ी की कोई आशंका नहीं है. हमने कमरे में रखी चीजों को जब्त कर लिया है.'

अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती जांच से लगता है कि पिछले छह महीने में कुमार के सक्रिय जीवन में आया ठहराव, उनका अचानक यूं घर में बंद होकर रह जाना आत्महत्या का कारण जान पड़ता है, लेकिन पुलिस सभी पहलुओं से जांच कर रही है.

उनके पड़ोसियों में से एक ने बताया कि कुमार हमेशा की तरह शाम को टहलने गए थे. घर आने के बाद वह बरसाती में गए. पड़ोसी ने बताया कि परिवार को कोई सदस्य उन्हें रात के भोजन के लिए बुलाने बरसाती में गया था, उसी ने सबसे पहले उनका शव देखा. कुमार के परिवार में पत्नी और बेटा हैं.

कुमार के पुराने सहकर्मी और मौजूदा अधिकारी भी उन्हें मृदुभाषी और हमेशा मुस्कुराते रहने वाला व्यक्ति बताते हैं.

हिमाचल प्रदेश के नाहन के रहने वाले कुमार 2008 में सीबीआई के निदेशक बने थे जब एजेंसी आरुषि तलवार हत्या मामले की जांच कर रही थी. कुमार ने विजय शंकर की जगह सीबीआई के निदेशक का पद संभाला था. उस दौरान आरुषी हत्याकांड लगभग रोज सुर्खियों में रहता था.

अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार खास दस्ता विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) के साथ भी काम किया है. संप्रग सरकार ने 2013 में उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया था. उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश पुलिस के पूर्व प्रमुख कुमार वर्तमान में शिमला के एक निजी विश्वविद्यालय के कुलपति थे.

पुलिस आत्महत्या के कारणों की जांच में जुट गई है, हालांकि सुसाइड नोट बरामद होने के बाद अब कुछ और कहने को नहीं बचा है, लेकिन अश्विनी कुमार अपने जीवन से क्यों तंग आ गए थे और तनाव के कौन से कारण थे, उनका खुलासा होना बाकी है.

अश्विनी कुमार ने अपने अपने प्रोफेशनल जीवन में सफलता के कई आयाम हासिल किए. 70 वर्षीय अश्विनी कुमार का जन्म सिरमौर के जिला मुख्यालय नाहन में हुआ था. वह आईपीएस अधिकारी थे और सीबीआई व एसपीजी में विभिन्न पदों पर रहे. अगस्त 2008 से नवंबर 2010 के बीच वह सीबीआई के निदेशक रहे. मार्च 2013 में उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था.

हालांकि वर्ष 2014 में उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था. इसके बाद वह शिमला में एक निजी विश्वविद्यालय के वीसी भी रहे. उन्होंने कई विषयों में मास्टर डिग्री हासिल की थी. फिलहाल उनकी खुदकुशी से शिमला व हिमाचल में सभी लोग स्तब्ध हैं.

(एक्सट्रा इनपुट-पीटीआई-भाषा)

शिमला : हिमाचल के पूर्व डीजीपी, सीबीआई के पूर्व निदेशक और नगालैंड के राज्यपाल रहे अश्विनी कुमार ने शिमला में आत्महत्या कर ली. उन्होंने शिमला में अपने आवास पर फंदा लगा लिया. मौके से पुलिस को सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है. सुसाइड नोट में लिखा है कि वह अपने जीवन से तंग आकर आगे की यात्रा के लिए निकल रहे हैं. उन्होंने सुसाइड नोट में अंगदान की इच्छा भी जाहिर की. सिरमौर जिला में जन्में अश्विनी कुमार सीनियर आईपीएस अफसर थे. उनकी आत्महत्या की खबर मिलते ही शिमला के एसपी मोहित चावला टीम के साथ मौके पर पहुंचे.

अधिकारियों ने बताया कि 1973 बैच के आईपीएस अधिकारी कुमार (69) बुधवार शाम छोटा शिमला के पास ब्रोकहॉर्स्ट स्थित आवास पर फांसी के फंदे से लटके मिले.

मामले की जानकारी देते डी़जीपी संजय कुंडू

हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक संजय कुंडु, शिमला के पुलिस अधीक्षक मोहित चावला और पुलिस के अन्य अधिकारी मौके पर मौजूद हैं. फॉरेंसिक विभाग की टीम भी मौके पर पहुंच गई है.

राज्य पुलिस प्रमुख कुंडु ने बताया, 'हमें एक सुसाइड नोट मिला है जिसपर उन्होंने लिखा है कि वह एक नई यात्रा पर जा रहे हैं. उनके परिवार के सदस्य उस वक्त घर में ही थे, जब वह कमरे में गए. उन्होंने कमरा भीतर से बंद किया और नायलोन की रस्सा से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. परिवार को किसी गड़बड़ी की कोई आशंका नहीं है. हमने कमरे में रखी चीजों को जब्त कर लिया है.'

अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती जांच से लगता है कि पिछले छह महीने में कुमार के सक्रिय जीवन में आया ठहराव, उनका अचानक यूं घर में बंद होकर रह जाना आत्महत्या का कारण जान पड़ता है, लेकिन पुलिस सभी पहलुओं से जांच कर रही है.

उनके पड़ोसियों में से एक ने बताया कि कुमार हमेशा की तरह शाम को टहलने गए थे. घर आने के बाद वह बरसाती में गए. पड़ोसी ने बताया कि परिवार को कोई सदस्य उन्हें रात के भोजन के लिए बुलाने बरसाती में गया था, उसी ने सबसे पहले उनका शव देखा. कुमार के परिवार में पत्नी और बेटा हैं.

कुमार के पुराने सहकर्मी और मौजूदा अधिकारी भी उन्हें मृदुभाषी और हमेशा मुस्कुराते रहने वाला व्यक्ति बताते हैं.

हिमाचल प्रदेश के नाहन के रहने वाले कुमार 2008 में सीबीआई के निदेशक बने थे जब एजेंसी आरुषि तलवार हत्या मामले की जांच कर रही थी. कुमार ने विजय शंकर की जगह सीबीआई के निदेशक का पद संभाला था. उस दौरान आरुषी हत्याकांड लगभग रोज सुर्खियों में रहता था.

अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार खास दस्ता विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) के साथ भी काम किया है. संप्रग सरकार ने 2013 में उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया था. उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश पुलिस के पूर्व प्रमुख कुमार वर्तमान में शिमला के एक निजी विश्वविद्यालय के कुलपति थे.

पुलिस आत्महत्या के कारणों की जांच में जुट गई है, हालांकि सुसाइड नोट बरामद होने के बाद अब कुछ और कहने को नहीं बचा है, लेकिन अश्विनी कुमार अपने जीवन से क्यों तंग आ गए थे और तनाव के कौन से कारण थे, उनका खुलासा होना बाकी है.

अश्विनी कुमार ने अपने अपने प्रोफेशनल जीवन में सफलता के कई आयाम हासिल किए. 70 वर्षीय अश्विनी कुमार का जन्म सिरमौर के जिला मुख्यालय नाहन में हुआ था. वह आईपीएस अधिकारी थे और सीबीआई व एसपीजी में विभिन्न पदों पर रहे. अगस्त 2008 से नवंबर 2010 के बीच वह सीबीआई के निदेशक रहे. मार्च 2013 में उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था.

हालांकि वर्ष 2014 में उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था. इसके बाद वह शिमला में एक निजी विश्वविद्यालय के वीसी भी रहे. उन्होंने कई विषयों में मास्टर डिग्री हासिल की थी. फिलहाल उनकी खुदकुशी से शिमला व हिमाचल में सभी लोग स्तब्ध हैं.

(एक्सट्रा इनपुट-पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Oct 8, 2020, 10:41 AM IST
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