नई दिल्ली : पूर्व सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) भानुप्रताप बर्गे ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की. इस याचिका में उन्होंने कोरोना के खिलाफ लड़ रहे पुलिसकर्मियों को 'जोखिम और कठिनाई' भत्ता देने को लेकर केंद्र सरकार को निर्देशित करने का आग्रह किया है.
बर्गे का कहना है कि यह कोई किताबी बात नहीं है, जो पुलिसकर्मी अपनी जान जोखिम डाल कर काम कर रहे हैं, उन्हें यह मदद मिलनी चहिए.
याचिका में कहा गया है कि एक संरक्षक को स्वास्थ्य और सुरक्षा की आवश्यकता होती है. इस समय सरकार को प्रभावी कदम उठाने चाहिए और पुलिसकर्मियों के अच्छे स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहिए.
याचिका के आधार का हवाला देते हुए पूर्व एसीपी का तर्क है कि पुलिस के काम करने से उनके परिवार भी कोरोना के जोखिम में पड़ गए हैं और पुलिसकर्मी काफी मानसिक तनाव में हैं, जिनका ध्यान रखने की आवश्यकता है.
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बर्गे ने पुलिस का मनोबल बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन, बोनस, अतिरिक्त वेतन का सुझाव दिया. साथ ही फ्रंटलाइन पर किसी भी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत का सामना कर रहे 48 वर्ष से अधिक उम्र के पुलिसकर्मियों को तैनात नहीं करने के लिए कहा.
चुनावों को स्थगित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से निर्देश देने की मांंग
वहीं सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के अध्यक्ष को निर्देश देने की बात कही गई है. जिसके तहत जब तक कोरोना वायरस द्वारा बिगड़ी स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, तब तक को चुनाव न कराए जाएं.
याचिका में राज्य चुनाव आयोगों को आवश्यक सलाह जारी करने के लिए अध्यक्ष को निर्देशित करने की मांग की गई है. यह जनहित याचिका अधिवक्ता डी. नरेंद्र रेड्डी ने दायर की है.
आजीविका के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए जनहित याचिका दायर
सुप्रीम कोर्ट में एक और जनहित याचिका दायर की गई है, जो सरकारों से यह सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश मांगती है कि निजी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से कर्मचारियों को बिना कोई कारण बताए निकाला न जाए. यह कोरोना महामारी के बीच लोगों को बिना किसी आजीविका के छोड़ दे. याचिका में साथ ही निर्वाह वेतन का भुगतान करने का दिशा-निर्देश देने की भी मांग की गई है.
अन्य प्रार्थनाओं में सरकार द्वारा उन कर्मचारियों को वित्तीय सहायता सुनिश्चित करने के लिए निर्देश शामिल हैं, जिनकी कंपनियों ने तालाबंदी के बाद अपना कारोबार बंद कर दिया है. साथ ही सरकार द्वारा मंत्रालयों को निर्देश देने की मांग की गई है कि कोरोना के दौरान स्कूल फीस की मांग न करें.