लखनऊ : एक समय था जब देश में बांसुरी का सबसे बड़ा कारोबार उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले से होता था, लेकिन पिछले कई वर्षों से सरकार की उपेक्षा के चलते बांसुरी का व्यापार लगातार घटने लगा. बांसुरी का व्यापार घटकर इतना हो गया कि पीलीभीत में बांसुरी बनाने वालों की संख्या मात्र 10 से 20 प्रतिशत ही रह गई है. वहीं अब वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना पीलीभीत के बांसुरी उद्योग के लिए ऑक्सीजन की तरह सामने आई. इस योजना के तहत जनपद के बांसुरी उद्योग को जगह दी गई. अब इससे एक बार फिर जनपद पीलीभीत का बांसुरी उद्योग नई उड़ान भरने लगा है.
विदेशों में बढ़ी मांग
जनपद पीलीभीत में बनने वाली बांसुरी की मांग अब देश-प्रदेश के अलावा विदेशों में भी बढ़ने लगी है. उत्तर प्रदेश सरकार की ओडीओपी योजना के तहत यह व्यापार लगातार बढ़ता जा रहा है. जनपद पीलीभीत के बांसुरी का निर्यात अब अमेरिका सहित यूरोपीय देशों में भी शुरू कर दिया गया है.
MSME के तहत बांसुरी उद्योग में 20% की बढ़ोतरी
एमएसएमई का विशेष लाभ जनपद पीलीभीत के बांसुरी उद्योग को मिला है. एमएसएमई के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018 में ओडीओपी योजना शुरू करने के बाद बांसुरी उद्योग में लगभग 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. राज्य सरकार के अनुसार बांसुरी उद्योग का सालाना औसत व्यापार दो करोड़ पहुंच चुका है. पीलीभीत से सालाना 20 से 25 लाख बांसुरी महाराष्ट्र, तमिलनाडु समेत दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर के राज्य में भेजी जा रही है.
बांसुरी को मिला ग्लोबल मार्केट
वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के तहत पीलीभीत की बांसुरी को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर विशेष तरह से जगह दी गई है, जिसके तहत बांसुरी को एक ग्लोबल मार्केट भी मिल गया है. अमेरिका सहित यूरोपीय देशों में बांसुरी का निर्यात होने से आने वाले समय में स्थानीय इकाइयों को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद राज्य सरकार द्वारा की जा रही है.
एमएसएमई विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने योगी सरकार की तरफ से पीलीभीत के बांसुरी उद्योग को लेकर रिसर्च कराया है.
ई-कॉमर्स अनुदान
इसके तहत कोई भी कारीगर ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर रजिस्ट्रेशन कराता है तो राज्य सरकार द्वारा उसे 10 हजार रूपये का अनुदान दिया जाता है. पीलीभीत समेत पूरे प्रदेश में ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ समझौता करने के बाद 2 वर्षों में 24 करोड़ रुपये का व्यवसाय हो चुका है. ई-कॉमर्स के जरिए पीलीभीत में उल्लेखनीय प्रगति दिखाने वाले कारीगर का सम्मान भी किया गया है.
कॉमन फैसिलिटी सेंटर
ओडीओपी योजना के तहत कारीगरों की जरूरतें पूरी करने के लिए हर जिले में कॉमन फैसिलिटी सेंटर की स्थापना की जा रही है. अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि कॉमन फैसिलिटी सेंटर के निर्माण की लागत का 90 फीसदी सरकार वहन कर रही है.
ट्रेडिंग एंड टूल किट स्कीम
ओडीओपी योजना के तहत सरकार कारीगरों को कौशल विकास के लिए 10 दिन की निशुल्क ट्रेनिंग देती है. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद कारीगरों को सर्टिफिकेट के साथ-साथ टूलकिट भी दी जाती है.