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टीआरपी रेटिंग का हेरफेर, जानें कब कहां-कहां हुई कार्रवाई

मुंबई पुलिस के दावे के बाद से टीआरपी को लेकर खलबली मची हुई है. ऐसे में टीआरपी रेटिंग्स के फिक्सिंग के पिछले मामलों पर डालें एक नजर...

टीआरपी रेटिंग का हेरफेर
टीआरपी रेटिंग का हेरफेर
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Published : Oct 9, 2020, 1:59 PM IST

हैदराबाद : टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स (टीआरपी) को लेकर मुंबई पुलिस का दावा है कि एक पुलिस प्रमुख ने एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जो कि रिपब्लिक टीवी सहित तमाम टीवी चैनलों के टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स (टीआरपी) की हेराफेरी में शामिल था. इस मामले में चार लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है.

मुंबई पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह ने कहा कि अभी तक तीन चैनल रिपब्लिक, फक्त मराठी और बॉक्स सिनेमा इस मामले में लिप्त पाए गए हैं.

टीआरपी रेटिंग्स के फिक्सिंग के पिछले मामले :

मध्य प्रदेश : 2018 में ग्वालियर में सात के खिलाफ मामला दर्ज किया गया, जिनमें से तीन को अवैध रूप से एक विशेष हिंदी समाचार चैनल की टीआरपी रेटिंग्स फिक्स करने के मामले में गिरफ्तार किया गया.

इस घोटाले में शामिल लोगों ने कई घरों में टीआरपी (टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट) मीटर लगाए थे और उन्हें केवल एक हिंदी समाचार चैनल देखने के लिए पैसे की पेशकश भी की. इसके पीछे का मकसद धोखाधड़ी करके चैनल की टीआरपी रेटिंग को बढ़ाना था.

कर्नाटक : साइबर क्राइम पुलिस ने एक मामले में टीवी सीरियल समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया. यह लोग कुछ खास कार्यक्रमों में टीआरपी को अवैध रूप से बढ़ाते थे, जिससे विज्ञापनदाताओं को बड़ा नुकसान होता था.

मामले में टीवी सीरियल निर्माता राजू, सुरेश, जेम्सी और सुभाष आरोपी हैं, यह सभी लोग बेंगलुरू, मधु और मैसूर के निवासी हैं.

गिरोह का मोडस ऑपरेंडी

यह गिरोह अपने परिचितों की पहचान कर उनके घरों में टीआरपी पैनल मीटर लगाता था. इस तरीके से माफिया धारावाहिकों की रेटिंग को नियंत्रित करने में मदद करते थे. कई मामलों में तो इन माफियाओं ने अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए लोगों को टीवी सेट भी दिए थे.

ब्रॉडकास्टिंग ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) संस्थान ने बेंगलुरु के शांति नगर में हमसा रिसर्च ग्रुप कंपनी के माध्यम से 2,000 मीटर स्थापित किए हैं. इनमें से करीब 200 मीटर गैंग के परिचित सर्कल के घरों में हैं.

इन मीटरों की किस्त और इनके प्रबंधन के लिए कंपनी ने टेक्नीशियंस को नियुक्त किया है, जिन्हें 15,000 रुपये से 30,000 रुपये तक का वेतन दिया जाता है.

आपको बता दें कि लगभग 40 प्रतिशत लोगों को यही नहीं मालूम था कि उनके टीवी सेट पर इस तरह के मीटर्स भी लगे हैं.

2012

NDTV ने नील्सन (Nielsen) पर रेटिंग डेटा के लिए मुकदमा दायर किया

नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (NDTV) ने पैसे का भुगतान करने वाले ब्रॉडकास्टरों के पक्ष में टैम रेटिंग डेटा का कथित रूप से हेरफेर करने के लिए नीलसन कंपनी पर मुकदमा दायर किया. 26 जुलाई को न्यूयॉर्क के सुप्रीम कोर्ट में एक विस्तृत 194-पृष्ठ का मुकदमा दायर करते हुए, नेटवर्क ने रेटिंग कंपनी से नुकसान में अरबों डॉलर की मांग की है। NDTV का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है कि एनडीटीवी चैनलों को वास्तव में कम लोग देख रहे थे. इसने नीलसन (Nielsen) और कांटोर (Kantor) पर सहायक कंपनियों और संयुक्त उपक्रमों के एक जानबूझकर जटिल वेब के माध्यम से संचालन करने और भारत में टीएएम के एकाधिकार की शक्ति का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है.

तेलंगाना

04.12.2019 : दो तेलुगु समाचार चैनलों को लाभ पहुंचाने के लिए BARC व्यूअरशिप डेटा में कथित रूप से हेरफेर करने के लिए हैदराबाद में सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई. बार्क के वेस्ट मर्रेदपल्ली पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे. आरोपी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना क्षेत्र के दो समाचार चैनलों से जुड़े थे.

टीवी रेटिंग के हेरफेर पर BARC की कार्रवाई

  • BARC ने 2018-19 में कर्नाटक, मध्य प्रदेश और असम में टीवी (रेटिंग) में हेरफेर करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है.
  • मार्च 2017 में, BARC ने शिकायतों की जांच के लिए एक स्वतंत्र अनुशासन समिति (DisComm) की स्थापना की है. 18 मामलों को सबूतों के साथ डिस्कॉम को भेजा गया है.
  • दक्षिण भारत की अगर बात करें, तो यहां तमिलनाडु से छह, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से पांच और कर्नाटक से एक मामले देखे गए हैं.
  • देश में 12 चैनलों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई है.
  • तेलंगाना में एफआईआर दर्ज की गई और कर्नाटक और ग्वालियर में गिरफ्तारी की गई.

TV9 BHARATVARSH के खिलाफ एनबीए के आरोप

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) ने हिंदी समाचार चैनल TV9 भारतवर्ष के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें कहा गया है कि पिछले आठ हफ्तों से इसके दर्शकों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, यह आरोप लगाते हुए कि यह डेटा हेरफेर पर आधारित है.

यह शिकायत पिछले बुधवार को एनबीए के अध्यक्ष रजत शर्मा द्वारा दर्ज की गई थी - जो कि ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) के साथ-साथ हिंदी समाचार चैनल इंडिया टीवी के अध्यक्ष और प्रधान संपादक के संपादक हैं.

शर्मा ने आरोप लगाया कि बढ़ी हुई रेटिंग टीवी 9 भारतवर्ष और BARC के बीच भ्रष्टाचार और मिलीभगत का परिणाम हो सकती है.

2011 में टीआरपी रेटिंग्स के हेरफेर पर GOVT पैनल फाइंडिंग

टीवी रेटिंग्स भरोसेमंद हैं या नहीं, इसकी जांच के लिए सरकार द्वारा गठित विशेष समिति ने सरकार और उद्योग से आग्रह किया है कि वे हेरफेर करने को लेकर इस्तेमाल घरों की संख्या में तुरंत वृद्धि करें.

एफआईसीसीआई के महासचिव अमित मित्रा की अध्यक्षता वाली समिति ने इंडस्ट्री में कथित खराबी के बारे में चिंता व्यक्त की और टीवी दर्शकों की संख्या को मापने के लिए एक विशेष उद्योग निकाय के संचालन के लिए कहा.

टीवी रेटिंग, जो मापती है कि दर्शकों के किस अनुपात में किसी विशेष कार्यक्रम या चैनल को देखा जाता है, मुख्य रूप से अमेरिका के एसी नील्सन की सहायक कंपनी टैम मीडिया रिसर्च द्वारा किया जा रहा है.

समिति ने उल्लेख किया कि लगभग 9,000 करोड़ रुपये का वार्षिक टीवी विज्ञापन खर्च लगभग पूरी तरह से TAM द्वारा अध्ययन किए गए लगभग 8,100 परिवारों की देखने की वरीयताओं पर आधारित है.

एजेंसी के सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद, ऐसी रिपोर्टें हैं कि चैनल-मालिक उन परिवारों की सूची प्राप्त करने में सक्षम हैं, जहां निगरानी उपकरण स्थापित है, जिससे कदाचार की खबरें आती हैं.

हैदराबाद : टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स (टीआरपी) को लेकर मुंबई पुलिस का दावा है कि एक पुलिस प्रमुख ने एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जो कि रिपब्लिक टीवी सहित तमाम टीवी चैनलों के टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स (टीआरपी) की हेराफेरी में शामिल था. इस मामले में चार लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है.

मुंबई पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह ने कहा कि अभी तक तीन चैनल रिपब्लिक, फक्त मराठी और बॉक्स सिनेमा इस मामले में लिप्त पाए गए हैं.

टीआरपी रेटिंग्स के फिक्सिंग के पिछले मामले :

मध्य प्रदेश : 2018 में ग्वालियर में सात के खिलाफ मामला दर्ज किया गया, जिनमें से तीन को अवैध रूप से एक विशेष हिंदी समाचार चैनल की टीआरपी रेटिंग्स फिक्स करने के मामले में गिरफ्तार किया गया.

इस घोटाले में शामिल लोगों ने कई घरों में टीआरपी (टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट) मीटर लगाए थे और उन्हें केवल एक हिंदी समाचार चैनल देखने के लिए पैसे की पेशकश भी की. इसके पीछे का मकसद धोखाधड़ी करके चैनल की टीआरपी रेटिंग को बढ़ाना था.

कर्नाटक : साइबर क्राइम पुलिस ने एक मामले में टीवी सीरियल समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया. यह लोग कुछ खास कार्यक्रमों में टीआरपी को अवैध रूप से बढ़ाते थे, जिससे विज्ञापनदाताओं को बड़ा नुकसान होता था.

मामले में टीवी सीरियल निर्माता राजू, सुरेश, जेम्सी और सुभाष आरोपी हैं, यह सभी लोग बेंगलुरू, मधु और मैसूर के निवासी हैं.

गिरोह का मोडस ऑपरेंडी

यह गिरोह अपने परिचितों की पहचान कर उनके घरों में टीआरपी पैनल मीटर लगाता था. इस तरीके से माफिया धारावाहिकों की रेटिंग को नियंत्रित करने में मदद करते थे. कई मामलों में तो इन माफियाओं ने अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए लोगों को टीवी सेट भी दिए थे.

ब्रॉडकास्टिंग ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) संस्थान ने बेंगलुरु के शांति नगर में हमसा रिसर्च ग्रुप कंपनी के माध्यम से 2,000 मीटर स्थापित किए हैं. इनमें से करीब 200 मीटर गैंग के परिचित सर्कल के घरों में हैं.

इन मीटरों की किस्त और इनके प्रबंधन के लिए कंपनी ने टेक्नीशियंस को नियुक्त किया है, जिन्हें 15,000 रुपये से 30,000 रुपये तक का वेतन दिया जाता है.

आपको बता दें कि लगभग 40 प्रतिशत लोगों को यही नहीं मालूम था कि उनके टीवी सेट पर इस तरह के मीटर्स भी लगे हैं.

2012

NDTV ने नील्सन (Nielsen) पर रेटिंग डेटा के लिए मुकदमा दायर किया

नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (NDTV) ने पैसे का भुगतान करने वाले ब्रॉडकास्टरों के पक्ष में टैम रेटिंग डेटा का कथित रूप से हेरफेर करने के लिए नीलसन कंपनी पर मुकदमा दायर किया. 26 जुलाई को न्यूयॉर्क के सुप्रीम कोर्ट में एक विस्तृत 194-पृष्ठ का मुकदमा दायर करते हुए, नेटवर्क ने रेटिंग कंपनी से नुकसान में अरबों डॉलर की मांग की है। NDTV का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है कि एनडीटीवी चैनलों को वास्तव में कम लोग देख रहे थे. इसने नीलसन (Nielsen) और कांटोर (Kantor) पर सहायक कंपनियों और संयुक्त उपक्रमों के एक जानबूझकर जटिल वेब के माध्यम से संचालन करने और भारत में टीएएम के एकाधिकार की शक्ति का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है.

तेलंगाना

04.12.2019 : दो तेलुगु समाचार चैनलों को लाभ पहुंचाने के लिए BARC व्यूअरशिप डेटा में कथित रूप से हेरफेर करने के लिए हैदराबाद में सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई. बार्क के वेस्ट मर्रेदपल्ली पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे. आरोपी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना क्षेत्र के दो समाचार चैनलों से जुड़े थे.

टीवी रेटिंग के हेरफेर पर BARC की कार्रवाई

  • BARC ने 2018-19 में कर्नाटक, मध्य प्रदेश और असम में टीवी (रेटिंग) में हेरफेर करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है.
  • मार्च 2017 में, BARC ने शिकायतों की जांच के लिए एक स्वतंत्र अनुशासन समिति (DisComm) की स्थापना की है. 18 मामलों को सबूतों के साथ डिस्कॉम को भेजा गया है.
  • दक्षिण भारत की अगर बात करें, तो यहां तमिलनाडु से छह, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से पांच और कर्नाटक से एक मामले देखे गए हैं.
  • देश में 12 चैनलों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई है.
  • तेलंगाना में एफआईआर दर्ज की गई और कर्नाटक और ग्वालियर में गिरफ्तारी की गई.

TV9 BHARATVARSH के खिलाफ एनबीए के आरोप

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) ने हिंदी समाचार चैनल TV9 भारतवर्ष के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें कहा गया है कि पिछले आठ हफ्तों से इसके दर्शकों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, यह आरोप लगाते हुए कि यह डेटा हेरफेर पर आधारित है.

यह शिकायत पिछले बुधवार को एनबीए के अध्यक्ष रजत शर्मा द्वारा दर्ज की गई थी - जो कि ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) के साथ-साथ हिंदी समाचार चैनल इंडिया टीवी के अध्यक्ष और प्रधान संपादक के संपादक हैं.

शर्मा ने आरोप लगाया कि बढ़ी हुई रेटिंग टीवी 9 भारतवर्ष और BARC के बीच भ्रष्टाचार और मिलीभगत का परिणाम हो सकती है.

2011 में टीआरपी रेटिंग्स के हेरफेर पर GOVT पैनल फाइंडिंग

टीवी रेटिंग्स भरोसेमंद हैं या नहीं, इसकी जांच के लिए सरकार द्वारा गठित विशेष समिति ने सरकार और उद्योग से आग्रह किया है कि वे हेरफेर करने को लेकर इस्तेमाल घरों की संख्या में तुरंत वृद्धि करें.

एफआईसीसीआई के महासचिव अमित मित्रा की अध्यक्षता वाली समिति ने इंडस्ट्री में कथित खराबी के बारे में चिंता व्यक्त की और टीवी दर्शकों की संख्या को मापने के लिए एक विशेष उद्योग निकाय के संचालन के लिए कहा.

टीवी रेटिंग, जो मापती है कि दर्शकों के किस अनुपात में किसी विशेष कार्यक्रम या चैनल को देखा जाता है, मुख्य रूप से अमेरिका के एसी नील्सन की सहायक कंपनी टैम मीडिया रिसर्च द्वारा किया जा रहा है.

समिति ने उल्लेख किया कि लगभग 9,000 करोड़ रुपये का वार्षिक टीवी विज्ञापन खर्च लगभग पूरी तरह से TAM द्वारा अध्ययन किए गए लगभग 8,100 परिवारों की देखने की वरीयताओं पर आधारित है.

एजेंसी के सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद, ऐसी रिपोर्टें हैं कि चैनल-मालिक उन परिवारों की सूची प्राप्त करने में सक्षम हैं, जहां निगरानी उपकरण स्थापित है, जिससे कदाचार की खबरें आती हैं.

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